मार्च 05, 2017

सारण में पत्रकार की पिटाई मामले में पुलिसिया रवैये से ABPSS के तेवर हुए तल्ख

Chandan Singh (Saharsa Times)
सारण में पत्रकार की पिटाई मामले में पुलिसिया रवैये से ABPSS के तेवर हुए तल्ख
राष्ट्रीय सचिव ने देशभर में धारा 379 के तहत आमलोगों के साथ ज्यादती करने वाले पुलिस अधिकारी पर कसा तंज 
पैसा,पैरवी और रसूख के सामने बेबस है खाकी
देखभर के पत्रकार से पुलिस और अन्य अफसरान की कार्यशैली को पर्दाफाश करने की अपील
पटना से चन्दन सिंह की रिपोर्ट---
सारण के ईटीवी संवाददाता संतोष गुप्ता से छिनतई और बदसलूकी मामले में ABPSS सहित कुछ अन्य पत्रकार संगठन के पुरजोर दखल के बाद आरोपी जदयू नेता दिनेश सिंह की कल पटना से गिरफ्तारी हुयी थी ।पटना से सारण पुलिस ने उन्हें सारण लाया था ।उनपर पीड़ित पत्रकार संतोष गुप्ता के आवेदन पर कई धाराओं से लैस  FIR सारण सदर थाना में दर्ज किया गया था । आरोपी नेता दिनेश सिंह पर धारा 379 भी लगाया गया था ।लेकिन दबंग नेता का पावर चला और सदर थाने के इंस्पेक्टर ने अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए बेल बॉन्ड पर थाने से ही उन्हें जमानत दे दी ।अमूमन ऐसे मामले में अक्सर पुलिस अधिकारी बेल नहीं देते हैं और यह मामला एसडीपीओ से होते हुए एसपी तक पहुंचता है और मामले का सघन अनुसंधान होता है ।लेकिन इस मामले का अनुसंधान घटनास्थल का अवलोकन,गवाहों के बयान सहित अन्य जांच के वगैर टेबुल पर ही हो गया ।सम्भव है की इस मामले में पैसे का भी खूब खेल हुआ हो ।
वैसे जदयू नेता की गिरफ्तारी ABPSS सहित अन्य पत्रकार संगठन की जीत है ।लेकिन जीत का ग्राफ बेहद ही छोटा है ।पीड़ित पत्रकार के साथ हुए अपमान का सही इन्साफ हम तभी मानते,जब आरोपी दिनेश सिंह जेल की हवा खाते ।वैसे "कुछ नहीं से कुछ" अच्छा होता है ।
ईटीवी संवाददाता संतोष गुप्ता
(सारण )

चूँकि इस मामले को ABPSS ने बड़ी चुनौती के तौर पर लिया था,लिहाजा घटना के पटाक्षेप के तरीके से संगठन की तल्खी बरकरार है ।ABPSS के राष्ट्रीय सचिव मुकेश कुमार सिंह ने जारी किये अपने बयान में कहा है की ABPSS के सभी साथी देशभर में पुलिस की कार्यशैली पर नजर बनाएं रखें ।यह देखना बेहद जरुरी है की पुलिस अधिकारी आम जनता पर लगे धारा 379 को लेकर क्या करते हैं ।श्री सिंह ने पत्रकार के अन्य संगठनों से भी अपील की है की वे ABPSS की इस मुहीम के साझीदार बनें ताकि पत्रकारों के साथ--साथ आमलोगों का भी भला हो सके ।
इस घटना से इतना तो साफ हो गया है की पैसा,रसूख,पैरवी और ताकत के सामने सही इन्साफ मिलना नामुमकिन है ।खाकी पर खादी भारी है ।
आरोपी नेता दिनेश सिंह
पूरा सिस्टम नेताओं के इशारे पर चलता है ।राष्ट्रीय सचिव मुकेश कुमार सिंह ने देश के पत्रकारों का आह्वान करते हुए कहा की प्रिंट,इलेक्ट्रानिक और सोसल मीडिया के पत्रकार साथी पुलिस--प्रशासन के कार्यक्रमों का समाचार संकलन ना करें ।इन सभी के गुणगान की प्रथा को खत्म करने की जरूरत है ।अखबार,टीवी और सोसल मीडिया पर इनकी तस्वीर और इनके दिखावे वाले कार्यक्रम की रपट नहीं लिखी और नहीं दिखाई जानी चाहिए ।एक तरह से इनका बहिष्कार जरुरी है ।हम पत्रकारों को इनकी कमियां ढूढ़--ढूंढकर जनता के सामने परोसना चाहिए ।राष्ट्रीय सचिव मुकेश कुमार सिंह ने अपने बयान में आगे कहा की पत्रकारों को भी आज अपने आचरण और व्यवहार का सापेक्ष आत्मन्थन  करना जरुरी है ।हमें अधिकारियों से कैसे मिलना है,उनसे कैसे बातें करनी है ।घटनास्थल पर कैसे जाना है और कैसे समाचार संकलन करना है ।कैसे आम लोगों को और नेताओं को टटोलना है । पत्रकारों को व्यवहारिक पत्रकारिता की पूरी समझदारी रखनी होगी ।किसी अधिकारी और कर्मी के साथ चाय की चुस्की लेना,शीलबन्द बोतल का पानी पीना,गुटखे--तंबाकू और पान खाना,नाश्ते का चटखारे लेना,इन सभी चीजों से हमारे पत्रकार साथी को बचना होगा ।हमें शालीन, गंभीर और एक तटस्थ चिंतक बनने की जरुरत है ।
मूल तौर पर आखिर में निष्कर्ष के तौर पर हम यही कहना चाहेंगे की समाज को बदलने का माद्दा रखने वाले पत्रकारों को आज खुद में बदलाव लाने की जरूरत है ।साथ ही,आपसी भाईचारे और विराट एकता की भी जरूरत है ।देश में कहीं भी किसी पत्रकार के साथ अगर ज्यादती हो,तो हमें समवेत,उन्हें इन्साफ दिलाने के लिए पहल करनी चाहिए ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।