सितंबर 16, 2016

एक माह पूर्व हुआ जोनल तबादला लेकिन अपने जौहर से अभी तक कर रहा है थानेदारी


यह थानेदार बहुत मायावी है ......
हमने अपने जीवन में इतना प्रभावशाली और ताकतवर थानेदार नहीं देखा ?
डीजीपी से कम रूतबा नहीं है जनाब का ........
कयासों का बाजार गर्म बटोरन नाम से मशहूर यह थानेदार,जाते--जाते बटोरने में है जुटा हुआ....... 
एसपी साहेब की भी खूब बरसाती है इनपर कृपा.......... 


मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---->>

सही मायने में हमारा दिमाग काम नहीं कर रहा है । जिस थानेदार का जोनल तबादला,बीते माह 16 तारीख को ही हो गया,आखिर वह अबतक अपने पद पर बना कैसे है ?भाई ! हम भी कोई जाहिल इंसान नहीं हैं ।अच्छी जगह से पढ़ाई की है और बड़ी निष्ठा और समर्पण से पत्रकारिता के पेशे में आये हैं ।एक महीने तबादले के हो गए और जनाब अभीतक हिसाब--किताब में लगे हैं ।
इस महामानव का नाम संजय कुमार सिंह है ।ये अधिकतर मामलों को सुनते ही फ़टाफ़ट निपटाने की काबीलियत रखते हैं ।कहीं कोई घटना की सुचना आई की,जनाब के मुंह से निकला की मामला बस यही होगा ।जमीन और मारपीट से लेकर राशन--किरासन की गाड़ी और बड़े वाहन को लेकर इनके पास अकूत ज्ञान है । लूट,छिनतई,चोरी और ह्त्या जैसे मामले में ये तो और विशाल पारखी हैं ।रेड लाईट इलाके के मामले हों,या फिर शराब का कोई मामला,हर मामले में साहेब की तगड़ी पकड़ है ।इनकी थानेदारी के काल का तटस्थ पड़ताल करें तो अपराधी सीना ताने और पुलिस भींगी बिल्लो बनी नजर आई है ।जाहिर तौर पर अपराधियों की समानांतर सरकार चल रही है यहां ।अपराधियों की बल्ले बल्ले है और अपराधी बिना किसी शक--शुब्बा के पुलिस पर भारी हैं ।

तबादले के बाद आखिर ये क्यों नहीं जा रहे ?
बड़ा दहकता,तल्ख और मौजूं सवाल है की तबादले के बाद ये आखिर सहरसा सदर थाने से हिल क्यों नहीं रहे हैं ? तो कुछ लोग कहते हैं की साहब लक्ष्मी के पुजारी और रसूख वाले हैं ।पैरवी--पहुँच भी तगड़ी है ।छः माह का इन्होने ऊपर से ही स्टे करवा लिया है ।वैसे हम सुनी--सुनाई बात कर रहे हैं ।हमें इस बाबत कोई पुख्ता जानकारी नहीं है ।कुछ लोग कह रहे हैं की एसपी अश्वनी कुमार का कुछ बकाया है,उसे चुकता करने के लिए वे पुराने देनदार से वसूली कर रहे हैं ।ये भी सुनी--सुनाई बात ही है ।लेकिन आखिरकार जनता जनार्दन को कोई तो समझाए की ये साहेब तबादले के महीने बाद भी कुर्सी से क्यों चिपके हैं ?
इस मसले पर बड़े साहब क्या कहते हैं ?
इस मसले पर एसपी अश्वनी कुमार और सदर एसडीपीओ सुबोध विश्वास कहते हैं की अभी थाने में कोई योग्य थानेदार नहीं आया है ।साथ ही कुछ लंबित केश का मामला और कुछ टेक्निकल बातें हैं जिसकारण इन्हें रिलीव नहीं किया जा रहा है । सभी कुछ न्याय सम्मत हो रहा है ।इधर सदर थाने में एक नए इंस्पेकटर भाई भरत ने योगदान दिया है ।शहर में लोग चर्चा कर रहे हैं की सदर थाने के अगले थानेदार भाई भरत ही होंगे ।लोग तो यह भी कह रहे हैं की संजय कुमार सिंह अपने कार्यकाल में महाभारत काल की याद ताजा कर रहे थे ।क्या भाई भारत थाने की कमान संभालते रामायण युग में जनता को ले जाएंगे ? क्या जनता राम राज्य की उम्मीद करे ?
आखिर में हम चलते--चलते यह जरूर कहेंगे की संजय कुमार सिंह ने सहरसा की अपनी थानेदारी में एक मिशाल बनाया है जिसे आने वाले किसी थानेदार को धराशायी करना पहाड़ खोदकर दूध निकालने के समान होगा ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।