
मृतक के घर के बाहर भारी भीड़ जमा है और हर कोई एक दुसरे से आँखों ही आँखों में यह सवाल करता दिख रहा है की आखिर यह क्यों और कैसे हो गया।चारों तरफ चीख और चीत्कार की आवाज गूंज रही है।आँखें यहाँ आंसुओं से तर और सीने चाक हो रहे हैं।दीपक घर का इकलौता चिराग था जो एक झटके में बुझ गया।मृतक के परिजन रो-रो कर बस विलाप किये जा रहे हैं।बहन,माँ और चाची सब बस यही कह रही हैं की दीपक के हत्यारे को ढूंढ़ कर ला दीजिये।दीपक को इन्साफ दिलवाईये।दीपक की माँ अरहुलिया देवी मातमी गीत के लहजे में अपने दर्द को बयां कर रही है।सच में पूरा घर और गाँव मातम में डूबा हुआ भगवान् को भी रोने को विवश कर रहा है।
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अजीत सत्यार्थी,एस.पी, |
ह्त्या जैसी घटना घटी हो तो सियासी लोग सियासत करने से कहाँ बाज
आने वाले।महिषी राजद विधायक अब्दुल गफूर भी दल-बल के साथ पीड़ित से
मिलने पहुँच गए।उनका कहना है की इस बात की जानकारी लालू प्रसाद से लेकर राम
विलास पासवान तक को है।वे हत्यारे तक पहुँचने के लिए हर संभव मदद के लिए
कटिबद्ध हैं। पुलिस के अधिकारी इस
मामले में पुलिस की लापरवाही मानने को बिलकुल तैयार नहीं हैं।पुलिस अधीक्षक
का कहना है की ह्त्या की दो वजह हो सकती है।पहला प्रेम प्रसंग या फिर
दूसरा कमीशन पर चेन्नई में इंजीनियरिंग में एडमिशन कराने का धंधा।बताना
लाजिमी है की दीपक इस इलाके के लड़कों को डोनेशन पर चेन्नई में एडमिशन भी
कराता था।खुद दीपक बी.आई.टी मेसरा,रांची में इन्व्रामेंटल साईंस और
इंजीनियरिंग फेकल्टी का फाईनल ईयर का छात्र था। घर का इकलौता
चिराग जब बुझ गया हो तो उस घर का आलम क्या होगा,इसे समझा जा सकता है।पुलिस
ने अनुसंधान में देरी की है,यह एक सच है।अब दीपक इस दुनिया से कूच कर चुका
है।अब पुलिस को उसके हत्यारे को ढूंढ़कर उसे सलाखों के भीतर पहुंचाने में
किसी तरह की कोताही नहीं बरतनी चाहिए।