जुलाई 25, 2016

सहरसा की धरती पर सहरसा डीएम का ऐतिहासिक पहल...

रविवार के सुबह से दोपहर बाद तक खुद से की सफाई.....

जागो इंडिया जागो....
आमलोगों के लिए एक बड़ा सन्देश...
मुकेश कुमार सिंह की कलम से---- स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन के लिए स्वच्छ माहौल और स्वच्छ वातावरण की भी महती जरुरत है ।अगर घर साफ़ है,सड़क साफ़ है और आपका आसपास साफ़ है तो आप बेहतर तरीके से अपने हर काम को अंजाम दे सकते हैं ।जाहिर तौर पर सफाई का जीवन में अनमोल जगह है ।देश के प्रधानमन्त्री भी स्वच्छ भारत का नारा बुलंद कर हैं ।ऐसे में देश के नागरिक का परम कर्तव्य बनता है की नारा किसी को हो लेकिन अगर उसमे देश हित की गर्माहट हो,तो उसे मूर्त रूप देने की भगीरथ कोशिश हो ।

इसी कड़ी में सहरसा के जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने ऐतिहासिक पहल की । रविवार के सुबह से ही वे समाहरणालय परिसर की सफाई में अकेले ही जुट गए। रविवार के अवकाश के दिन जैसे ही अन्य प्रशासनिक अधिकारी और कर्मी को इसकी सूचना मिली की वे भी डीएम के साथ सफाई अभियान में जुट गए। यह अभियान दोपहर बाद तक चलता रहा। डीएम ने वेवजह के उग आये पौधों की सफाई के साथ--साथ यत्र--तंत्र झाड़ू भी लगाए। देखते ही देखते पूरा समाहरणालय चमकने--दमकने लगा । डीएम उत्तराखण्ड के रहने वाले हैं और आज उन्होनें अपने पहाड़ी हौसले की जमकर उड़ान भरी ।
 उन्होने मौके पर पहुंचे मीडियाकर्मी से तस्वीर ना उतारने का आग्रह किया लेकिन कोई उनकी बात मानने को तैयार नहीं हुआ । सभी इस ख़ास नज़ारे को अपने--अपने कैमरे में कैद करके एक संदेश बनाकर लोगों के सामने रखना चाहते थे ।
सहरसा जिलाधिकारी 
जाहिर तौर पर यह नजारा आँखों को बेहद सुकून देने के साथ--साथ भीतर से सफाई को लेकर खुदी को आगे करने की प्रेरणा दे रहा था ।डीएम का यह प्रयास छपास की बीमारी और टीवी पर दिखने से ईतर था। सहरसा टाईम्स से बात जरते हुए श्री गुंजियाल ने कहा की वे रोज अपने आवास की सफाई सुबह में निश्चित करते हैं और जब भी जनता के काम से उन्हें थोड़ी भी फुरसत मिलती है तो वे और उनकी चिकत्सक पत्नी दोनों मिलकर सफाई करते हैं ।उन्होनें लोगों से आग्रह किया किया की लोग सफाई को अपना आचरण बनाएं । जिस तरह खाना वे समय से खाना चाहते हैं,ठीक उसी तरह वे सफाई को लेकर भी गंभीर हों । दिखावे के लिए सफाई ना करें बल्कि इसे अपनी आदत बनाएं ।
निश्चित रूप से डीएम की यह पहल एक नजीर है,जिसे आमजन को आत्मसात कर,इसे जीवंत स्पंदन देना चाहिए ।यह अभियान एक विभाग का नहीं बल्कि घर--घर का बनना चाहिए ।कहते हैं की स्वस्थ वातावरण और स्वस्थ शरीर में ईश्वर का निवास होता है ।

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।