फ़रवरी 10, 2015

महिला की मौत पर फूटा गुस्सा-----



सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट:- प्रसव के लिए सदर थाना के गांधी पथ स्थित सूर्या नर्सिंग होम में बीती शाम भर्ती हुयी सुपौल इलाके की महिला की ईलाज के दौरान हुयी मौत के बाद आज सुबह परिजनों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया.मृतका के परिजनों ने नर्सिंग होम में तैनात चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए नर्सिंग होम में ना केवल जमकर हंगामा किया बल्कि तोड़फोड़ भी की.मौके पर पहुंचे पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने पहुंचकर बड़ी मशक्कत के बाद मामले को शांत कराकर लाश को नर्सिंग होम से हटवाया.

यह नजारा है सदर थाना के गांधी पथ स्थित निजी "सूर्या"नर्सिंग होम का. सुपौल सदर थाना के कोसी कॉलोनी की रहने वाली सताईस वर्षीय उषा देवी को बीती शाम प्रसव के लिए यहां पर भर्ती कराया गया था. उषा का मायका सदर थाना के रिफ्यूजी चौक के समीप है.बीती रात सूर्या नर्सिंग होम की महिला चिकित्सक करुणा शंकर ने सिजेरियन से उषा का प्रसव कराया. उषा को बेटा हुआ था.लेकिन उसी दौरान उषा की तबियत अचानक बिगड़ गयी और उसकी मौत हो गयी जिसकी सूचना तत्काल परिजनों को नहीं दी गयी. रात बारह बजे के बाद नर्सिंग होम के कर्मचारियों ने परिजनों से कहा की उषा की हालत गंभीर है और उसको पटना ले जाना होगा. परिजन कुछ समझ नहीं पा रहे थे की अचानक क्या हो गया.लेकिन उषा को जब एम्बुलेंस में डाला जा रहा था उसी समय परिजन को यह आभास हो गया की उषा की मौत हो चुकी है और अस्पताल कर्मी जिम्मेवारी से बचने के लिए उषा को पटना भेजने की साजिश कर रहे हैं. धीरे--धीरे लोग जमा ओने लगे फिर आज सुबह सात बजे से हंगामा शुरू हुआ जो बड़ी मशक्कत के बाद ग्यारह बजे दिन में शांत हुआ.परिजन सीधा आरोप लगा रहे की उषा के ईलाज में घोर लापरवाही करके उसे मार डाला गया.

मौके पर पहुंचे पुलिस और प्रशासन के अधिकारी ने बड़ी मुश्किल से आक्रोशित लोगों को शांत कराया. जिला प्रशासन के अधिकारी सदर एसडीओ राजेश कुमार सिंह ने कहा की परिजन ईलाज में लापरवाही से हुयी मौत की बात बता रहे हैं और इसी को लेकर उनका आक्रोश है.लोगों को शांत करा लिया गया है.मौत की वजह को बता पाना उनके लिए मुश्किल है,क्योंकि यह टेक्नीकल बात है.वैसे परिजन अगर केश दर्ज कराएंगे तो जांचोपरांत आगे उचित कार्रवाई की जायेगी.
ईलाज में लापरवाही से मौत का यह कोई नया मामला नहीं है.मौत के बाद हंगामा फिर बीच का कोई रास्ता निकालना यहां का पुराना चलन है.आजतक कभी भी कोई बड़ी कार्रवाई निजी अस्पताल प्रबंधन पर नहीं हुयी है.जाहिर सी बात है की पैसा बोलता है.

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