फ़रवरी 13, 2015

संत रविदास की 638वीं जयंती समारोह धूम-धाम से मनाई गई

कृष्णमोहन सोनी की रिपोर्ट:- संत शिरोमणि रविदास की 638वीं जयंती समारोह बड़े धूम धाम से मनाई गयी. इस मौके पर एक दिवसीय प्रथम जिला सम्मेलन भी आयोजित किये गए. जयंती समारोह में चण्डीगढ़, वाराणसी,पंजाब सहित सहरसा जिले के विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ों महिला पुरुषों ने हिस्सा लिया.

स्थानीय सुपर बाजार स्थित मैदान में आयोजित समारोह के इस मौके पर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव जी महाराज प्रदेश अध्यक्ष जनार्दन राम और वाराणसी से आयी मनीषा प्रभाकर गायिका द्धारा  भजन कीर्तन और संत रविदास की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाल कर उनके विचारों पर चलने की नसीहत दी गयी. इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ एक विशाल प्रदर्शन भी निकाले गए. 
राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव जी महाराज ने कहा कि आज पुरे देश में तेजी से बदलाव आ रहा है जिसमे अब मनुवादी विचार धाराओं को अलग-थलग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एक समय था जब चमार जातियों से छुआछूत की भावना थी जिसे मनुवादी विचारको द्धारा घृणा से देखा जाता था. इसका मूल कारण था कि हम रविदास वर्ग के लोगों में शिक्षा की कमी एकजुटता कि कमी रहना यही कारण रहा है जिससे हम लोगों को समाज के मुख्यधारा से अलग रखा जाता था. उन्होंने कहा कि आप लोग असली राजा चमंरवंश के वंशज हो।  उन्होंने संत रविदास की जीवनी एवं उनके पवित्र विचारों पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए कहा कि संत रविदास जी छुआछूत की भावना को समाप्त करने, समतामूलक समाज की स्थापना, सनातन धर्म के बारे में उपस्थित लोगों को बताते हुए नशामुक्त समाज बनाने पर बल दिया.
इस मौके पर अन्य वक्ताओं ने अपनी अपनी विचार रखते हुए बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर के संदेश शिक्षित हो संगठित बनो संघर्ष करो की नारा को जेहन में रखकर चलने की बात भी कही इस जयंती समारोह की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष जनार्दन राम ने किया. कार्यक्रम में मनीषा प्रभाकर की भजन कीर्तन से उपस्थित लोग झूम उठे जबकि मौके पर जिला अध्यक्ष आनंदी राम, संतोष राम, बसपा के जिला सचिव संजय पंजियार, विक्की राम, अशोक राम, कुशेश्वर राम, सुरेन्द्र राम हरी नारायण राम, विनोद राम फुलेश्वर राम, चण्डेश्वरी राम, रामविलास राम, सुनील राम, आदि ने भी सम्बोधित किया। 

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।