अगस्त 11, 2013

जानलेवा अस्पताल का बेशर्म सच

 मुकेश कुमार सिंह: कोसी इलाके का PMCH कहा जाने वाला सदर अस्पताल इन दिनों ना केवल पूरी तरह से जानलेवा बना हुआ है बल्कि मानवता को मुकम्मिल तौर पर शर्मसार करने की नयी ईबारत भी लिख रख रहा है।आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की इस अस्पताल से ना केवल सहरसा जिले के बल्कि सुपौल और मधेपुरा जिले के साथ--साथ नेपाल इलाके के तक़रीबन पचास लाख से ज्यादा लोगों की काफी उम्मीदें हैं।आज इस अस्पताल की हम आपको ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जिसे देखकर एक तरफ जहां इस अस्पताल का बेशर्म सच बेपर्दा हो जाएगा वहीँ आपका कलेजा मुंह को आ जाएगा।एक बुजुर्ग महिला जिसके हाथ में स्लाईन चढाने के लिए हाथ में इंट्राकैट लगा हुआ है लेकिन वह अस्पताल के बेड पर नहीं बल्कि खुले आसमान के नीचे एक नाले के बगल में पड़ी कराह रही है।इंसानियत को शर्मशार करने वाली और अस्पताल की बेशर्मी की इन्तहा को आज सहरसा टाईम्स बेपर्दा करने जा रहा है।  
अस्पताल परिसर का एक बेहद खास हिस्सा जहां पर ना केवल अस्पताल के महत्वपूर्ण वार्ड हैं बल्कि जहां पर मरीजों के लिए भोजन का इंतजाम होता है ठीक उसके बगल में एक नाले के पास पड़ी इस बुजुर्ग महिला को देखिये। यह महिला दर्द और अपने मर्ज की वजह से कराह रही है।इसके हाथ में स्लाईन चढाने के लिए हाथ में इंट्राकैट लगा हुआ है लेकिन यह यहाँ पर पड़ी हुई व्यवस्था और तमाम सरकारी इंतजामात का मुंह नोंच रही है। हम शाम से इस महिला के करीब रहे लेकिन हमारी मौजूदगी के घंटों बाद भी अस्पताल का कोई आला से लेकर कोई मुलाजिम तक यहाँ नहीं पहुंचा।थक--हारकर हमने सहरसा के डी.एम शशि भूषण कुमार और सिविल सर्जन डॉक्टर भोला नाथ झा का फोन किया लेकिन ये शाही अधिकारी हमारे इतल्ला करने के डेढ़ घंटे बाद तक मौके पर नहीं पहुंचे।
इस बीच किसी ने छातापुर(सुपौल)जदयू विधायक नीरज कुमार बबलू जिनका निजी आवास सहरसा जिला मुख्यालय में है को खबर कर दी।विधायक जी मौके पर आये और खुद अपनी नंगी आँखों से सुशासन के असल यानि नंगे सच को देखा।हमने इनसे खूब जबाब--तलब किया जिसपर विधायक जी जांच और कारवाई का तकिया--कलाम पढ़ते रहे।यहाँ नौकरशाहों के अलमस्त रवैये की पोल--पट्टी खुल रही है। अस्पताल में सहरसा टाईम्स की मौजूदगी का जैसे ही अहसास कुछ समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों को हुआ वे भी यहाँ आ धमके और जिले के अफसरानों को खरी--खोटी सुनाने लगे।इनलोगों ने जहां सहरसा टाईम्स की पहल को काबिले तारीफ़ बताया वहीँ जिलाधिकारी और स्वास्थ्य अधिकारी को निकम्मा होने के साथ--साथ खुद उन्हें ही लावारिश बताया।इनकी प्रवीण आनंद,समाजसेवी,लुकमान अली,सामाजिक कार्यकर्ता और रितेश रंजन,उपाध्यक्ष,जिला परिषद्,सहरसा की मानें तो ऐसे अधिकारियों पर मुकदमा होना चाहिए।इनलोगों ने ऐसा रोष जाहिर किया जिससे सच की तस्वीर और बदरंग तरीके से साफ़--साफ़ दिखने लगी। 
सूचना की बड़ी देरी बाद सिविल सर्जन सह चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर भोला नाथ झा की नींद टूटी और वे मौके पर आये और नाले के किनारे पड़ी महिला को देखने लगे।अब साहब आये हैं इनका अपना मिजाज और काम करने का अपना तरीका है।सहरसा टाईम्स ने जब उनसे पूछा की आखिर अस्पताल में यह क्या चल रहा है का जबाब उन्होनें यह कहकर दिया की वे पहले जांच करेंगे की इस अस्पताल में यह मरीज भर्ती थी की कहीं इसे बाहर से किसी ने लाकर यहाँ पर फेंक तो नहीं दिया है।इस महिला को ईलाज की दरकार है और हुजुर को जांच की पड़ी है।हम भी कहाँ मानने वाले थे।हमने मौके पर तैनात डॉक्टर से भर्ती पंजी को खंगलवाया।पीड़ित बुजुर्ग महिला पिछले तीन दिनों से इस अस्पताल में भर्ती थी।पीड़ित महिला आसाम की रहने वाली है और भटक कर सहरसा चली आई है।
 मौके पर एक अधिकारी अस्पताल के प्रबंधक विनय रंजन साहब हमें मिल गए।हमने जब इस मरीज को लेकर उनसे सवाल किया तो उन्होनें बताया की यह मरीज उनके द्वारा ही तीन दिन पूर्व यहाँ भर्ती कराई गयी थी।इसका इलाज आपातकालीन कक्ष में चल रहा था।अब यह महिला कैसे नाले के पास चली गयी इसका उन्हें कुछ पता नहीं है।इनको यह भी अंदेशा है की महिला को नाले के पास कोई असामाजिक तत्व भी हो सकता है की पहुंचाया हो।साहब ने इतना तो स्वीकारा की महिला इसी अस्पताल में भर्ती थी लेकिन सिविल सर्जन साहब का बयान तो कुछ और ही था।आप ही दोनों अधिकारियों के बयान का मिलान कीजिये और सच समझने और देखने की कोशिश कीजिये।
इस अनदेखी,लापरवाही,बदइन्तजामी और बेशर्मी को कहिये की हम क्या नाम दें।इस अस्स्पताल में गरीबों की जिन्दगी लीलने का पूरा इंतजाम है साहेब,अगर आप यहाँ से ज़िंदा बच निकलते हैं तो समझिये अल्लाह मेहरबान है।बाबू--हाकिम और मुलाजिम यहाँ सुविधा देने के लिए आ रही अकूत धन राशि को दोनों हाथों से एक तरफ जहां लूट रहे हैं तो वहीँ दूसरी तरफ मौत बाँट रहे हैं।

1 टिप्पणी:

  1. kya bolu........

    bolne se kuch ho jayega kya.....
    aise kitni bar pakda gaya hai lekin kya hua.....

    meri mano to salo ko suspend kardo......
    kar sakte ho kya....

    in salo ko sadar se jayeda apni clinic ki fikar hai...........

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