जनवरी 19, 2015

कोशी की कछार पर होती है सी०बी०एस०ई० पैटर्न की पढ़ाई - ग्रामीण छात्रों में उत्साह

कृष्णमोहन  सोनी की रिपोर्ट:- सरकार पुरे बिहार में  शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए गंभीर हैं इसके लिए करोड़ो अरबों रुपये भी खर्च कर रही है, लेकिन सरजमीन पर सही-सही उतर पाना मुस्किल है. विभागीय स्तर से इस दिशा में कहीं न कहीं कमी है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब तबके के छात्र छात्रायें बेहतर  शिक्षा से वंचित हो जाते हैं. अभिभावक उतना पैसा जुटा नहीं पाते हैं. वह अपने बच्चों को सही  तालीम दिलवा सके इसकी व्यवस्था सरकारी विधालयों में कहीं से नहीं दिखती है. सिर्फ भवनों का निर्माण और मीड-डे मिल की राशियों का बंदर बाँट में  मसगुल रहते है. निजी स्कूलों में ऐसे बच्चों  को पढ़ाने के लिए 25 प्रतिशत दाखिल भी नही हो पा रहा है शहर में खोले गए कोचिंग संस्थान  में हर सब्जेक्ट की पढ़ाई के लिए अलग-अलग अच्छी रकम भरना परता है जिस बजह से ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र पढ़ाई नही कर पाते है.

लेकिन आज जो हम आपको दिखा रहे हैं उसे आप इत्तेफाक समझेंगे. आपको लगेगा की बच्चों को सही तालीम सिर्फ AC क्लास रूम या बड़े बिल्डिंग में हैं नहीं मिलती बल्कि बिना छत या AC रूम के भी अच्छी शिक्षा दी जा सकती है. इसी वाक्या को चरितार्थ कर रही है साइंस सेक्सीज क्लास नामक कोचिंग संस्थान.
जी हाँ ग्रामीण इलाकों में भी कम खर्च पर अच्छी शिक्षा व्यवस्था देने  के लिए जिले के महिषी प्रखंड क्षेत्र के कोशी की कछार पर बसा बलुआहा गाँव में साइंस सेक्सीज क्लास नामक कोचिंग संस्थान खोली गयी है. जहाँ सैकड़ों की संख्यां में छात्र- छात्राएं पढ़ाई कर अच्छी तालीम ले रहे हैं. पूर्वी कोशी तटबंध के छात्र  इस संस्थान में पढ़ने के लिए आते है. इस बावत शिक्षक डी० के० कश्यप ने बताया की उन्होंने खुद बहुत कठिन से एम०  एस० सी०. मेथ तक की पढ़ाई पटना साइंस कालेज से किया है. मंहगाई के दौर में ग्रामीण छात्र-छात्राओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है इसलिए हमने इन गरीब छात्रों के लिए बहुत ही कम राशि में शिक्षा से लाभान्वित करता हूँ ताकि हमारे ग्रामीण छात्र भी देश में अपना नाम रौशन करे. इस  कोचिंग में इंगलिश, मेथ, फिजिक्स, कैमिस्ट्री सहित अन्य परीक्षा के लिए पी० यू०के  विद्धान शिक्षक के द्धारा कम  ही दिनों में अच्छी पढ़ाई होती है. उन्होंने कहा की आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बहुत ही कमजोर है कोशी की कछार पर तटबंध के किनारे इन ग्रामीण क्षेत्रों में हम अपने संस्थान में सी०बी०एस०ई०  पैटर्न की पढ़ाई की व्यवस्था किया है. 
इस तरह के खबरों से आपको सहरसा टाईम्स हमेशा अवगत कराते रहेगा।
 

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