सितंबर 16, 2012

पॉलीटेक्निक छात्र ने की खुदकुशी

चन्दन सिंह की रिपोर्ट: परीक्षा में लगातार दूसरी बार फेल होने की वजह से बीती रात पॉलीटेक्निक के एक छात्र ने पंखे से लगे पाईप में माँ की साड़ी का फंदा बनाकर और उसी से फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली.घटना सदर थाना क्षेत्र के गौतम नगर की है.मृतक के पिता सहरसा के लघु सिंचाई विभाग में क्लर्क के पद प़र कार्यरत हैं. मृतक 20 वर्षीय अभिषेक कुमार जवाहरलाल पॉलीटेक्निक कॉलेज मुहम्मदाबाद,सीतापुर,लखनऊ का द्वितीय पार्ट का छात्र था.मृतक छात्र ने मरने से पहले एक सुसाईड नोट लिख छोड़ा है जिसमें जीवन से उबकर आत्महत्या करने की उसने बात लिखी है.माँ गाँव गयी थी.अभिषेक मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया गाँव का रहने वाला है.विडंबना देखिये बीती देर रात करीब साढ़े ग्यारह बजे माँ भी वापिस अपने गाँव से सहरसा आ गयी लेकिन तबतक देर हो चुकी थी और माँ के कलेजे का टुकड़ा उनके घर पहुँचने से पहले ही इस दुनिया से कूच कर चुका था.मृतक के पिता बताते हैं की करीब आठ बजे रात में वे ऑफिस और बाजार से होते हुए अपने घर पहुँचे तो अपने बेटे को घर के अंदर पंखे के बगल के पाईप से लटकता--झूलता पाया.वे तो पागल हो उठे.उन्हें लगा की बेटे को करेंट लग गया है.उन्होनें आसपास के लोगों को बुलाया तो पता चला की उनका बेटा उनको छोड़कर इस दुनिया से जा चुका है.करीब दस बजे रात में लोगों ने इस बात की सूचना पुलिस को दी.पुलिस आई लेकिन रात होने की वजह से सबकुछ आज सुबह पर छोड़कर वापिस लौट गयी.मृतक के पिता ने बताया की उसका बेटा लगातार दूसरी बार परीक्षा में असफल हुआ,इसी वजह से उसने आत्महत्या कर ली.कल ही उसने मोबाइल पर इंटरनेट के माध्यम से रिजल्ट देखा और यह कठोर कदम उठा लिया.अभिषेक एक माह पूर्व ही परीक्षा देकर अपने घर वापिस आया था और रिजल्ट का इन्तजार कर रहा था.अभिषेक की माँ और बहनों का तो रो--रोकर बुरा हाल है.माँ कहती है की वह क्यों नहीं मर गयी.उसका लाल उसको छोड़कर आखिर क्यों चला गया.अभिषेक तीन भाई और चार बहनों में छट्ठे नंबर का बेटा था.
एक महीने में छात्र के द्वारा आत्महत्या की लगातार दूसरी घटना ने जिले में सनसनी फैलाकर रख दी है.बच्चों के परिजनों के लिए यह दुखद सन्देश है की आखिर वे अपने बच्चों की परवरिश में कैसी--कैसी सतर्कता बरतें.छात्रों को जहां अपने भीतर पलने वाले असंतोष और घुटन का खुलासा अपने स्वजनों से करना चाहिए वहीँ अभिभावकों को भी अपने बच्चों से समय--समय प़र उनकी दिक्कतों--मुश्किलों को लेकर पूछताछ और उसका निपटारा करना चाहिए.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।