जनवरी 12, 2015

नगर परिषद की यह कैसी व्यवस्था...........

कृष्णमोहनसोनी की रिपोर्ट:- सहरसा नगर परिषद्   क्षेत्र के अन्तर्गत अधिकांश वार्डों में दिए गए डस्टबीन कूड़े--कचड़े को रखने के लिए दिया गया है लेकिन यहाँ डस्टबीन में कचड़े नही बल्कि कूड़े--कचड़े में डस्टबीन रखा गया है.सभी मोहल्ले में कूड़े --कचड़े को रखने हेतु डस्टबीन दिया गया है. नगर परिषद् द्धारा वार्डों की साफ सफाई को लेकर हर वार्ड में स्वीपर भी दिया गया है ताकि वातावरण साफ--सुथरा स्वच्छ बना रहे. परन्तु  कई वार्डो की हालत बदहाल है.लोगो को गली--मुहल्लों से होकर गुजरना मुस्किल हो गया है. 
गौरतलब है की सहरसा नगर परिषद् की यह कैसी व्यवस्था है ,जहाँ न तो सड़को की सफाई होती है और न ही किसी वार्ड में स्वीपर नजर आता है.
ऐसी परिस्थिति में डस्टबीन में कचड़ा नही बल्कि कचड़ा में डस्टबीन जरूर नजर आता है.  सरकार ने इसके लिए लाखों रुपये खर्च कर स्वछता अभियान  भी चलाया है,मगर सहरसा नगर परिषद् के विभिन्न वार्डो में दिए गए डस्टबीन या तो गंदे नाली के पानी में पड़े  हुए  है या तो कचड़े की ढेर पर फेके हुए हैं.नगर परिषद् ऐसी डस्टबीन व्यवस्था देकर मानो लोगों पर बड़ा उपकार किया हो.
यहाँ के अधिकांश वार्डो में ये नजारा देखने को मिलता है. इसके लिए न तो वार्ड पार्षद गंभीर हैं और न ही मुहल्ले वासी ही.वार्ड के लोगों का कहना है की साफ़--सफाई के लिए स्वीपर वार्ड में सफाई करने कभी आता ही नहीं है.बड़ा सवाल यह है की वार्ड पार्षद भी इस दिशा में कोई गंभीरता पूर्वक कदम नहीं उठाते हैं. नगर परिषद के वार्ड संख्या  २२/२३/२४/२५/२६/२७/ २८/ ही नहीं  बल्कि अधिकांश वार्डों का हाल यही है. 
सबसे खतरनाक स्तिथि  तो  ऎसे वार्डों की है जहां बिजली के ट्राँसफार्मर के नीचे  नंगे तार के पास डस्टबीन रखा  गया है. जहाँ लोग अपने--अपने घर के कूड़े--कचड़े  को इस खतरनाक डस्टबीन में फेंकने के लिए अपने छोटे--छोटे बच्चे को  भेज देते हैं.जिससे कभी भी बिजली की करंट से कोई बड़ा हादसा हो सकता है.एक तरफ नगर परिषद्  की उदासीनता तो दूसरी तरफ मुहल्लेवासियों की इस दिशा में कोई पहल न करना,एक बड़ी घटना को आमंंत्रित करने जैसा है.हाल यही रहा तो एक दुःखद घटना को होने से कोई रोक नही सकता है.जरूरत है समय रहते नगर परिषद् के आलाधिकारी इस दिशा में कोई ठोस कदम उठायें ताकि स्वच्छ और सुंदर व  सुरक्षित व्यवस्था शहर वासियों को मिल सके.

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