जनवरी 04, 2015

दबंगों का कहर

मुकेश कुमार सिंह की कलम से --- लगता है बिहार में कानून और पुलिस का कोई खौफ नहीं रहा. चहुँदिश दबंग, गुंडे और मवालियों का कहर बरप रहा है. अपराध के आंकड़े सारे रिकॉर्ड तोड़ने पर आमदा है. आलम यह है की आमलोगों का जीना पूरी तरह से मुहाल है. बीती रात सहरसा जिले के सौर बाजार इलाके में दबंगों ने कुछ दलित परिवारों पर ऐसा कहर ढाया जिसे ये दलित ताउम्र नहीं भूल पाएंगे। दबंगों ने इनके घर को तोड़फोड़ कर ना केवल जमीनदोज कर डाला बल्कि इनके जीवन भर की कुल जमापूंजी भी लूट ली. यही नहीं जालिमों ने महिलाओं, बच्चों के साथ---साथ सभी उम्र के लोगों की धुनाई भी की. पीड़ित परिवार ने  सौर बाजार थाना में आठ लोगों को नामजद और करीब पचास अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. लेकिन पुलिस अभीतक किसी की गिरफ्तारी में कामयाब नहीं हो पायी है. पीड़ित परिवार बेछपपर डरे--सहमे हैं क्योंकि उन्हें दबंगों की तरफ से अभी भी जान से मार डालने की धमकी मिल रही है. विशेष रिपोर्ट-----------
तिनका--तिनका जोड़कर सपनों का आशियाना बनाया था  कमर तोड़ मिहनत से घर में कुछ सामान भी जुटाए थे. लेकिन बीती रात दबंग दरिंदों का कहर बरपा और जो कुछ हुआ उसके स्मरण मात्र से रूह थर्रा जाती है. दबंगों ने इनके घर को तोड़फोड़ कर ना केवल जमीनदोज कर डाला बल्कि इनके जीवन भर की कुल जमापूंजी भी लूट ली. यही नहीं जालिमों ने महिलाओं, बच्चों के साथ---साथ सभी उम्र के लोगों की धुनाई भी की. गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बख्सा इन बहसी आततायियों ने. घर में दाना नहीं और तन ढकने के लिए कपडे नहीं. सर्द रात में आसमान इनके लिए छत है. देखिये यहां का जर्रा--जर्रा सच की कहानी बयां कर रहा है. कल चमन था आज एक सहरा हुआ .दरिंदों ने कुछ भी नहीं छोड़ा, बेछप्पर कर डाला इन्हें.बात इतने पर ही खत्म नहीं हो रही. दबंग अब इन्हें धमकी दे रहे हैं की हादसे वाली जगह पर फिर से घर बनाया तो उन्हें मौत की गहरी नींद में सुला दिया जाएगा.
घर के मुखिया विष्णुदेव पासवान.हैं जालिमों ने पेड़ में बांधकर इनकी पिटाई की है. ये जख्मी हैं और कह रहे हैं की लगातार तीन साल से उनके परिवार पर जुल्म ढाया जा रहा है. इसबार तो हद की इंतहा हो गयी. खाने को लाले हैं. उनकी कोई नहीं सुन रहा.क्या करें, कहाँ जाएँ और किससे फ़रियाद करें, उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है.दलित पर जुल्म हुआ हो तो विरोधी दल के सियासी लोगों को एक बड़ा मौक़ा तो मिल ही जाता है.वारदात स्थल पर इनका पहुंचना लाजिमी है. लोजपा नेत्री सरिता पासवान मौके पर पहुंचकर अपना राजनीतिक धर्म निभा रही हैं. पीड़ितों पर हुए जुल्म की दास्ताँ को जुबां देने के साथ--साथ पीड़ितों को न्याय मिले इसके लिए वे आवाज बुलंद कर रही हैं.
  प्रेम सागर, एसडीपीओ, सदर सहरसा
पहली बार हमें एक ऐसे पुलिस अधिकारी मिले जिन्होनें बिना लफ्फाजी के घटना घटी है, उसे स्वीकारा है. अधिकारी प्रेम सागर, एसडीपीओ, सदर, सहरसा कह रहे हैं की घटना घटी है और वे खुद आरोपियों को गिरफ्त में लेने के लिए छापामारी में जुटे हुए हैं. इनकी मानें तो डरे--सहमे दलित परिवार के लोगों की सुरक्षा के लिए थाना स्तर से इंतजाम किया गया है. अब सुरक्षा का क्या इंतजाम हुआ है, हमने इसका भी जायजा लिया. जहां इतनी बड़ी घटना घटी हो और आगे भी कोई बड़ी अनहोनी होने की आशंका हो, वहाँ पर चार होमगार्ड के जवान को लगाया गया है. होमगार्ड के जवान कमल मिस्त्री कह रहे हैं की इस जगह पर किसी बड़े अधिकारी को होना चाहिए. लेकिन वे तो एक अदना सा मुलाजिम है,इसलिए हुकूम बजा रहे हैं.बड़ा सवाल यह है की अगर कोई बड़ी अनहोनी हुयी,तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा.
बहरहाल जो तस्वीरें चस्पां है, उससे तो यही जाहिर हो रहा है की दबंगों के सामने कानून और पुलिस ने अपने घुंटने टेक दिए हैं.रब जाने आगे क्या होगा.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।