फ़रवरी 13, 2017

इन्टर परीक्षा को लेकर सरकार का तालिबानी फ़रमान


परीक्षा के कवरेज से मीडिया को दूर रखने का फरमान हुआ है जारी.....
कदाचार की सच्ची तस्वीर को सामने नहीं आने देना चाहती है सरकार....
कदाचार और टॉपर घोटाले से तिलमिलाई है सरकार.......
मुकेश कुमार सिंह की खड़ी--खड़ी---- 
फाईल फोटो 
बिहार सरकार एक तरफ जहां अपराध पर लगाम लगाने में असफल साबित हो रही है वहीं किसी भी महकमे में ईमानदारी दूर--दूर तक नजर नहीं आती है। फजीहत का तमगा लिए यह सरकार खुद अपनी तारीफ़ में कसीदे कढ़ रही है। कल मंगलवार से शुरू हो रही अंतर स्नातक की परीक्षा में सरकार ने हिटलर और मुसोलिनी को मात देते हुए बड़ा कड़क फरमान जारी किया है।  सरकार ने सभी जिलों के जिलाधिकारी को आदेश दिया है की इंटर के परीक्षा केंद्रों पर पत्रकार नहीं जाएंगे और परीक्षा का कवरेज किसी भी तरीके से नहीं किया जाएगा ।यानि परीक्षा केंद्र के भीतर क्या चल रहा है,यह किसी को पता नहीं चलेगा ।
हमारे सुधि पाठकों, आपको याद होगा की पीछे की परीक्षाओं में बिहार ने कदाचार के मामले में एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया था। परीक्षा केंद्रों पर खुलेआम परीक्षार्थी के परिजन या तो पुलिस जवान को पैसे देकर या फिर चौथी मंजिल पर पर्वतारोही की तरह पहुंचकर चिट--पुर्जे पहुंचाते थे। यही नहीं बांस--बल्ले में भी चिट--पुर्जे बांधकर परीक्षार्थी तक पहुंचाए जाते थे। 
फाईल फोटो 
खासकर के बिहार के हाजीपुर की तस्वीर सबसे शर्मसार करने वाली थी । कदाचार की अनोखी तस्वीर को ना केवल देशभर में लोगों ने देखा था बल्कि विदेशों में भी कदाचार की तस्वीरें खूब देखी गयी थी।
जाहिर सी बात है की इस तस्वीर ने सरकार की खूब किरकिरी करायी थी। कदाचार की गंगा, यमुना, सरस्वती, झेलम सहित सारी नदियां एक साथ बही थी। ऐसे में सरकार को अपने सारे सम्बद्ध तंत्र को मजबूत कर परीक्षा को कदाचार मुक्त बनाना चाहिए।  लेकिन सरकार की मंसा कहीं से ठीक नहीं है और उसी का नतीजा है की सरकार ने परीक्षा केंद्रों से पत्रकारों को दूर रखना ही जायज समझा। दशकों से शिक्षा के नाम पर अरबों रूपये बहाने वाली सरकार बच्चों के भविष्य को संवारने की जगह खिलवाड़ करती रही है ।मंत्री--विधायक से लेकर अफसरान अपनी मनमानी करते रहे हैं ।एक तो प्राथमिक स्कूल से लेकर कॉलेज तक में पढ़ाई के नाम पर मजाक चल रहा है ।प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालय में शिक्षक--शिक्षिकाएं जहां मौज--मस्ती करते रहे हैं,वहीं कॉलेज में प्राध्यापकों के हुनर को जंग लग गया है ।
फाईल फोटो  
सरकार का पत्रकारों को परीक्षा केंद्रों से दूर रखने का फैसला लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला है । सरकार बेहतर काम करने में विफल साबित हो रही है और लोग इस सच से वाकिफ ना हों,इसके लिए वह,यह कठोर रवैया अपना रही है ।
हम ताल ठोंककर कहते हैं कि बिहार सरकार शिक्षा के मामले में बेहद कमजोर भर नहीं बल्कि फिस्सडी साबित हो रही है ।अपने पाप को ढंकने के लिए वह पत्रकारों के लिए नए दायरे तय कर रही है ।यह मसला बेहद गंभीर है ।सरकार की इस नापाक हरकत पर महामहिम राज्यपाल रामनाथ कोविन्द और माननीय उच्च न्यायालय को संज्ञान लेने की जरुरत है ।पिछली परीक्षाओं में देश से विदेश तक अपना भद पिटवा चुकी सरकार परदे के पीछे से कदाचार का खेल खेलना चाहती है ।पत्रकारों को इस मुद्दे पर लामबंद होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहिए ।सरकार और पूरा सिस्टम जनता के हित के लिए है ।इस राज्य में तानाशाही चलने नहीं दी जायेगी ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।