नवंबर 12, 2016

बिहार में पत्रकार अब महफूज नहीं

पत्रकार की ह्त्या से दहला बिहार,बिहार में बंदूक राज का नंगा नाच,बारूद के सामने नतमस्तक है सिस्टम
बंदूक के पुजारी ने लीला कलम के सिपाही को,बिहार में पत्रकार अब महफूज नहीं ,पहले राजदेव अब धर्मेन्द्र
खुद मैं भी हूँ निशाने पर

सासाराम से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---->>
बेखौफ और बेलगाम अपराधियो ने एक हिंदी दैनिक अखबार के पत्रकार धर्मेन्द्र सिंह को गोली मार कर उनकी ईहलीला खत्म कर दी ।घटना मुफस्सिल थाना के अमरा तालाब की है । जानकारी के मुताबिक़ आज सुबह धर्मेन्द्र अपने घर के पास ही चाय दूकान पर चाय पी रहे थे की एक बाईक पर सवार तीन अपराधियों ने उन्हें नजदीक से सीने में गोली दाग दी ।हांलांकि शुरू में धर्मेन्द्र ने अपनी जान बचाने की कोशिश की । अपराधियों से उनकी हाथापाई भी हुयी ।लेकिन अपराधी ह्त्या करनी है,यह ठान कर आये थे । अपराधियों ने बिल्कुल निकट से उनके सीने में गोली मारी ताकि उनकी मौत हो जाए ।स्थानीय लोगो नें  आनन--फानन में जख्मी धर्मेद्र को सासाराम के सदर अस्पताल में भर्ती कराया ।जहाँ प्राथमिक उपचार के बाद उनकी स्थिति को नाजुक देखते हुए उन्हे वाराणसी रेफर कर दिया गया ।लेकिन धर्मेन्द्र वाराणसी नहीं पहुँच सके ।रास्ते में ही उनकी मौत हो गयी ।पुलिस अब इस मामले की छानबीन में जुटी है और अपराधियों को चिन्हित कर लेने का ना केवल दावा कर रही बल्कि उनकी गिरफ्तारी के लिए छापामारी भी कर रही है ।घटना के बाद पत्रकारो में भारी क्षोभ और आक्रोश है ।हमारे पास जो जानकारी उपलब्ध हो पा रही है,उसके मुताबिक़ धर्मेद्र पत्थर माफिया के खिलाफ खूब लिख रहे थे ।कयास लगाया जा रहा है की पत्थर माफियाओं ने ही इस हत्या की घटना को अंजाम दिया है ।वैसे पुलिस अधिकारी, इस हत्या के बाबत अपना मुंह ही नहीं खोल रहे हैं ।सबके मुंह फेविकोल से चिपके हुए हैं ।इस ह्त्या ने सासाराम सहित पुरे बिहार में सनसनी फैला दी है ।
सुनो सरकार----
राजदेव के बाद अब धर्मेन्द की ह्त्या ।हम पत्रकार बिरादरी के लोग अब खामोश नहीं रहेंगे ।सिस्टम से लड़ने के साथ--साथ अब अपराधियों से भी हम लड़ेंगे ।हमारी हिफाजत की चिंता नौकरशाह और हुक्मरान को नहीं है ।पुलिस अधिकारी सहित सभी विभागों के अधिकारी हमें देखकर यूँ बिदकते हैं जैसे लाल कपड़ा देखकर सांढ़ ।उन्हें हमसे बदबू आती है ।हमें एकजुट होकर अब पुख्ता और साबूत रणनीति बनानी होगी ।मैं अपने बारे में भी बता दूँ की बहुत पहले से ही मैं नेता,कुछ दलाल,माफिया, अधिकारी और अपराधियों के राडार पर हूँ ।कई बार मुझे धमकियां भी मिल चुकी है ।ऐसे में किसी ने मेरी कोई सुध नहीं ली ।हो सकता है राजदेव और धर्मेन्द्र की तरह मुझे भी ठिकाने लगाने की कोशिश हो ।मैंने ठान लिया है की लड़ाई अब आरपार की होगी ।जरूरत पड़ी तो कुछ को खुलकर लुढ़कायेंगे हम ।माननीय न्यायालय भी खुलकर हम पत्रकारों की चिंता नहीं कर रही है ।हम अब यूँ ही मरते नहीं रहेंगे ।अब वक्त कुछ को मार गिराने का है ।लेकिन दुःख तो इस बात का भी है की हमारे कुछ पत्रकार भाई भी अपराधियों के साथ--साथ सड़े लोगों की ना केवल रोटी खाते हैं बल्कि उनके तलवे भी चाटते हैं ।कुछ पत्रकार, जिन्हें पत्रकार कहना भी नहीं चाहिए,वे हर तरह की लीला में सिद्धस्त हैं जिसका खामियाजा भी हमें भुगतना पड़ता है ।पत्रकार के कई संघ चल रहे हैं लेकिन पत्रकार का कहीं भला होता नहीं दिख रहा है ।हमारी समझ से पत्रकार के कुछ फर्जी संघ भी चल रहे हैं ।ऐसे संघों को चिन्हित कर,उन्हें बंद कराना भी जरुरी है ।कुछ तथाकथित पत्रकारों की वजह से अक्सर फजीहत तो झेलनी ही पड़ती है ।
सरकार सुरक्षा की गारंटी ले
सरकार को चाहिए की वह पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ना केवल आगे आये बल्कि सुरक्षा के लिए कोई कानून भी बनाये ।एक तो पत्रकार जहां-जहां काम कर रहे हैं,वहां अपने--अपने संस्थानों के मालिक और ओहदेदारों से खासे परशान रहते हैं । लेकिन सरकार क्या करे,उनके मंत्री लोग तो खुद अपराधियों को ना केवल संरक्षण देते हैं बल्कि उसी बिरादरी से आये हैं ।गुर्गे पालने के पुराने शौकीन हैं नेता जी ।फिर भी माननीय नीतीश जी की छवि अच्छी है ।उन्हें अपने पत्रकार समाज के हित के लिए आगे आना चाहिए ।
सीवान में राजदेव ह्त्या मामले का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है ।उस मामले की जांच सीबीआई कर रही है ।जब राजदेव की हत्या की वजह के खुलासे और उनकी ह्त्या किसने की,का खुलासा इतनी मिहनत के बाद भी नहीं हो पा रहा है,तो फिर धर्मेन्द्र को कितना न्याय मिल पायेगा,हम समझ रहे हैं ।
लिक से हटकर हम अपनी राय रख रहे हैं की जिस नेता,अपराधी,अफसर या माफिया ने हमें मार गिराने का मन बनाया है,आगे बढ़कर उसे टपकाना जरुरी है ।हमें अपनी सुरक्षा के लिए कुछ हटकर करना बेहद जरुरी है ।वैसे आपसभी अपनी मर्जी से जो उचित समझें करें ।यह जाहिर सी बात है की बिहार में गुंडा राज है ।जय बोलो सरकार की ।जय बोलो गुंडा राज की ।




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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।