सितंबर 22, 2016

उरी में आतंकी हमले का दर्द

शहीदों ने सीने पे खायी है गोली,देश के लिए । 
हर माँ ने बेटा खोया है, देश के लिए । 
हर एक आँसू का हिसाब हम गिन--गिन कर लगे । 
चाहे हमें भी कफन नसीब हो,देश लिए । 
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शहीदों की शहादत पर रो पड़ा है,पूरा देश । 
सूना कर गया है,वो पूरा देश । 
गली--गली या शहर--शहर मातम में खो गया है,पूरा देश । 
हमलोगों को छोड़ कर क्यों चले गये,जहाँ रो पड़ा है,पूरा देश । 
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हमें रक्षा देने वाला मौत को गले लगा गया । 
हमारी परवाह करने वाला खुद शहीद हो गया । 
वक़्त आ गया है,दुश्मनों से लोहा लेना का । 
कई अपने शहीदों का दर्जा लेकर धरती में शमा गया । 
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मो० अजहर उद्दीन
माँ से बेटा.....
पत्नी से पति.....
बहन से भाई.....
बेटी से बाप.....
और ना जाने कितने रिश्ते असमय जमींदोज हो गये,देश की सुरक्षा के लिए हमारे वीर जवानों की कुर्बानी हमलोगों के जेहन में ताउम्र जज्ब रहेगी ।एक बार फिर नम आँखों से तमाम शहीदों को शत--शत नमन ।जय हिन्द... जय भारत... 
  

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।