गजल और गीतों के साथ जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन की जिंदगी की एक नयी उड़ान...
वाकई कथाकार भी और गीतकार भी हैं मोहन....
एक शिल्पी को छल,प्रपंच,बेशर्मी और खुदगर्जी से जेल में रखने की हुयी थी साजिश....

राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित कैद में आज़ाद कलम आयर स्वाधीन अभिव्यक्ति के चुनिंदा 12 गीतों और गजलों का ओडियो (गीत) सेट आगामी 19 जनवरी 2017 को वीर सिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर पटना के मिरर हाई स्कूल में आहूत न्याय मार्च में रिलीज किया जायेगा ।12 गीतों और गजलों में से एक ""तन्हाई में संग जी लेता हूँ बाते कर लेता हूँ""……….को अपनी सुरीली आवाज दी है भागलपुर के उभरते हुए युवा गजल गायक सैयद तासीर हुसैन ने ।यहाँ बताना बेहद लाजमी है की अन्य गजलों में विभिन्य गायकों ने भी अपनी आवाज दी है ।
जनवरी में आयोजित न्याय मार्च में पूर्व सांसद आनंद मोहन के करीब 1 लाख समर्थक उनकी सम्मानजनक रिहाई की मांग के साथ देश सहित प्रदेश के कोने--कोनेसे पटना में जुटेंगे ।ठीक उसी दिन पूर्व सांसद आनंद मोहन की दो पुस्तक गुमनाम नहीं मरूँगा (काव्य संग्रह)और काल कोठरी से का भी विमोचन किया जायेगा ।इस अवसर पर देश-प्रदेश के चर्चित जानेमाने कवि,साहित्यकार,शायर,गजल कार,राजनेता सहित बुद्धिजीवी और अन्य लोग भी जुटेंगे और उनके द्वारा ओडियो सेट एवं पुस्तकों का विमोचन किया जायेगा ।
शूरवीर पूर्व सांसद आनंद मोहन जो छल--प्रपंच और दोगलागिरी की वजह से सजायाफ्ता मुजरिम बनकर आज सहरसा जेल में बंद हैं,वे एक अच्छे कवि, गीतकार,शायर और साहित्यकार भी है ।दुनिया ने जीसस को नहीं बख्सा,महावीर को पत्थर मारे,गांधी गोली के शिकार हुए,कार्ल मार्क्स ने पूरी जिंदगी सलाखों के पीछे गुजार दी ।सुकरात ने जहर पीया ।तो व्यवस्था की मार आनंद मोहन जी को भी सौगात में मिल रही है ।आनंद मोहन जी की एक ताजा गजल है,जिसे एकबार अवश्य सुने ।रूह काँप और थर्रा उठेंगी ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
THANKS FOR YOURS COMMENTS.