अगस्त 14, 2016

रसूख हो तो इंसान को बैल बनाते देर नहीं लगती.........

राजद नेत्री सह मुखिया इंसानों को बैल बनाकर करती हैं तफ़रीह 
हालात इंसान को कुछ भी करने को कर देता है मजबूर
आदिम युग की याद हो रही है ताजा 
सहरसा से ख़ास नज़ारे को समेटे मुकेश कुमार सिंह की दो टूक--
हम किसी फ़िल्म की शूटिंग की तस्वीर आपको नहीं दिखा रहे ।या फिर किसी आदिम जमाने की भी यह तस्वीर नहीं है ।यह अभी के मौजूं हकीकत की ज़िंदा तस्वीर है । 
इस तस्वीर को देखिये ।यह तस्वीर खुदी बहुत कुछ बयां कर रही है ।यह तस्वीर सहरसा जिला मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत सत्तर (वार्ड ऩ 1) की मुख्य सड़क की हैं। यह वह सड़क है जो सहरसा से सत्तर कटैया को जोड़ती हैं ।यूँ तो इस सड़क पर सालों भर पानी जमा जमा रहता है लेकिन बरसात में इस सड़क की और फजीहत हो जाती है और यह सड़क की जगह लंबी दूरी वाला तालाब बन जाता है । जरा सी बरसात होने पर यह नजारा बार--बार देखने को मिलता है ।  हद तो यह है की इस तालाबनुमा सड़क पर कीचड़ भी काफी है और कीचड़ में फँस जाने की वजह से कोई भी वाहन लेकर गाँव आना नहीं चाहता ।यहाँ तक की बच्चे स्कूल जाने से भी कतराते हैं । पर आज तक किसी सरकारी अधिकारी ने इस सड़क की मरम्मती के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है । बड़े--बड़े नेता और मंत्री इधर से अपना रास्ता मोड़ लेते है । बचपन मे हमसब "रास्ते का पत्थर"कहानी पढ़े थे । ठीक उसी की तर्ज पर रास्ते का पानी और रास्ते का कीचड़ की कहानी यहाँ सटीक बैठती है ।
आइये आपको कुछ ऐसी  तस्वीर दिखाते हैं जिसमें सत्ता दल राजद की जिला महिला अध्यक्ष सह पंचायत की मुखिया विजय लक्ष्मी किस तरह से इंसानी बैलगाड़ी की सवारी कर रही हैं ।बताना लाजिमी है की गांव की सड़क 200 मीटर ख़राब है और ब्लॉक जाने की कोई और सुविधा नहीं है,तो,मोहतरमा ने अपनी सुविधा के अनुसार इंसानों को ही बैल बना लिया और मजे से सवारी कर रही हैं । पंचायत की मुखिया और सत्ताधारी दल की नेत्री जब इंसान और जानवर का फर्क ना समझे तो, आखिर कौन इस फर्क को समझेगा? हम यह जरूर चाहते हैं की सम्बद्ध विभाग, विधायक और सांसद सहित मंत्रीगण की नजर इस सड़क पर जाए और जल्दी से इस सड़क का कायाकल्प हो । 
लेकिन विजय लक्ष्मी जिसतरह से अपना काम निपटाने और सैर--सपाटे के लिए इंसानों को बैल बनाकर सवारी कर रही है,वह कहीं से भी जायज नहीं है ।सामाजिक न्याय के पुरोधा लालू प्रसाद को यह तस्वीर जरूर देखनी चाहिए और क्या उचित है,उसको लेकर आवाज बुलंद करनी चाहिए । वैसे हम जानते हैं की गंभीर मसलों पर भी मजाकिया लहजा अपनाने वाले लालू जी को यह तस्वीर देखकर भी,समाधान की जगह कोई मजाक ही सूझेगा ।चलते--चलते हम   ताल ठोंककर कहेंगे की यह तस्वीर इंसानियत को जद से शर्मसार कर रही है ।                                                                                 

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।