अगस्त 04, 2016

पुलिस के बड़े अधिकारियों की भी लगनी चाहिए बाट .....


किसी मामले को हल्के में लेने की परम्परा को बदलिये साहेब 
थानेदार की दादागिरी की एक अखबार ने उधेड़ी बखिया 
बांकी कई जिम्मेवार अखबार थानेदार से रिश्ता निभाते दिखे 
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक----
हमें सच कहने से कभी गुरेज नहीं रहा है ।कई बड़ी नौकरी के पोहपाश में ना फंसते हुए हमने पत्रकारिता की राह चुनी ।लेकिन इस पेशे के दलदल को जब हमने करीब से देखा,तो,बड़ी घिन्न आई लेकिन एकला चलो की तर्ज पर हम आजतक सफ़र तय करते रहे ।
खैर, आज का मसला है एक थानेदार की गुंडई पर क्या कर रहे हैं आला अधिकारी और इस मामले में अखबार और खबरिया चैनल कैसे अपनी भूमिका निभा रहा है । अखबार की भीड़ में एक अखबार प्रभात खबर ने दिलेरी से सच को उकेरा है। बांकी अखबारों नें रश्म अदायगी या फिर कोरम पूरा करना भी जरुरी नहीं समझा ।जहांतक खबरिया चैनल का सवाल है तो यह खबर किसी रिजिनल चैनल में दहकते अंदाज में नहीं दिखी ।नेशनल चैनल आजतक में यह खबर जरूर दिखी। लेकिन हद तो इस बात की है की इतना बड़ा अपराध एक थानेदार कर गया और आवाज उठाने वाले लोग बर्फ की तरह ठंढे पड़ गए। इस मामले में सोसल मीडिया ने अपनी महती भूमिका निभायी। 
सोसल मीडिया के माध्यम से ही यह कुकाण्ड राज्य मुख्यालय के अधिकारियों के संज्ञान में गया। यही नहीं इस मामले की भनक सूबे के मुखिया नीतीश बाबू को भी लग गयी है। लेकिन सहरसा के पुलिस अधीक्षक इस काण्ड को लेकर ज्यादे संजीदा नहीं दिख रहे हैं। 
थानेदार पर क्या कार्रवाई करेंगे की जगह उनका जबाब है की दो पक्षों के बीच मारपीट का मामला है और दोनों पक्षों का केश दर्ज होगा और फिर अनुसंधान बाद कार्रवाई होगी। अरे साहेब ये तो ठीक है लेकिन आप अपने फ़िल्मी थानेदार का क्या करेंगे ? क्या थाने में पीड़ित के साथ सम्मान से बात करने का तरीका कहीं बदल तो नहीं गया ? क्या फरियादी को गाली और धक्के खाने के नियम बनाये गए हैं ? एसपी साहब भौतिकवादी चकाचौंध से बाहर निकालिये और न्याय का चश्मा पहनिए । जनता को आपसे बहुत उम्मीद है ।अगर आप इस थानेदार पर कार्रवाई में देरी करेंगे,तो,सहरसा की जनता सड़क पर उतरेगी । आंदोलन,धरने और प्रदर्शन होंगे जिससे आपकी भी फजीहत होगी ।वैसे आपके निचले अधिकारी एसडीपीओ सुबोध विश्वास ने अपनी जांच में स्वीकार किया है की पीड़ित के साथ दुर्व्यवहार हुआ है ।
कुमार आशीष, प्रभात खबर 
एसपी साहेब, पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्य को लेकर कितने संजीदा और गंभीर हैं, इस सच को जनता जानती है । हिम्मत करके एक बड़ी कार्रवाई कीजिये,जनता समझेगी की किसी बड़े अधिकारी ने गंगा स्नान किया है ।
इस थानेदार प्रकरण में प्रभात खबर अखबार और समाचार लिखने वाले संवाददाता कुमार आशीष बधाई के पात्र हैं ।चमचई और दलाल अपसंस्कृति पर आशीष ने करारा तमाचा जड़ा है ।वैसे इस आलेख के जरिये हम बताना चाहते की सोसल मीडिया पर यह मसला तबतक आग उगलता रहेगा,जबतक न्याय सम्मत कार्रवाई नहीं हो जाती है ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।