अगस्त 27, 2016

कोसी के दो सगे भाईयों ने लहराया परचम ......

कोसी की मिट्टी में भी है दम........
रायफल शूटिंग में कोसी सहित सूबे का बढ़ाया मान .......

मुकेश कुमार सिंह की कलम से---- 
कहते है प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है और यह अपना गहरा रंग दिखाकर रहती है । 

कोसी के दो लाल ने रायफल शूटिंग प्रतियोगिता में उत्तराखंड में धमाल मचाकर एक इतिहास रच डाला है । दोनों सहोदर भाइयों में सोलह साल के देवांश प्रिय और बारह साल के एकांश प्रिय को पन्द्रहवां उत्तराखंड स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में क्रमशः गोल्ड और सिल्वर मैडल से नवाजा गया है । जीतने पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत और राज्यपाल कृष्णकांत ने सभी विजेताओं सहित दोनों भाईयों को सम्मानित किया ।
बताना बेहद लाजिमी है की बचपन की पढ़ाई सहरसा में करने के बाद दोनों भाइयों को 2013 में देहरादून के लूसेंट इंटर नेशनल स्कूल में दाखिला कराया गया ।
सरकारी सेवा से निवृत होने वाले लक्षमण सिंह के दोनों पोते को शूटिंग चैम्पियन बनने का जूनून बचपन से ही था । पत्रकार सह व्यवसायी बुद्धिनाथ सिंह और गृहिणी श्वेता सिंह के पुत्र 11वीं क्लास के देवांश और सातवीं क्लास के एकांश की सबसे बड़ी तमन्ना देश के लिए शूटिंग चैम्पियन में नाम रौशन करने का है ।
उत्तराखंड स्टेट रायफल एसोसिएशन द्वारा आयोजित चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में दोनों भाइयों के कारनामे पर बजी तालियों की गड़गड़ाहट ने बिहार के पिछड़े जिले माने जाने वाले सहरसा का सम्मान भी उत्तराखंड में बढ़ाकर रख दिया है ।
कोच अमर सिंह भी दोनों बच्चों के प्रदर्शन से खुश हैं । उनका कहना है की देवांश और एकांश का शूटिंग के प्रति जुनून यह साबित करता है की भविष्य के ओलम्पिक चैम्पियन में रियो की तरह निराशा हाथ नहीं लगने वाली है ।भारत के ये दोनों लाल मैडल के लिए तरसते देश को जरूर गौरवान्वित करेंगे ।
जिस घर का सपूत ऐसा हो,वहाँ का आलम क्या होगा,आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं । मासूम उँगलियों के जौहर से माँ ख़ुशी से कांपती हुयी मोहल्ले वासियों को ख़ुशी के लड्डू खिला रही थीं ।
पिता बुद्दिनाथ सिंह
सहरसा जिला मुख्यालय के कबीर चौक स्थित देवांश का घर अभी किसी ऐतिहासिक मंदिर की याद ताजा कर रहा है । 
पिता बुद्दिनाथ सिंह कहते हैं की वे जीवन में देश के लिए कुछ बड़ा करना चाहते थे लेकिन परिस्थिति और माली हालात ने उनके सपने को कतर डाला ।दोनों बेटों से उन्हें ढेरों आशाएं और उम्मीदें हैं ।उनके दोनों बेटे देश के बेटे साबित होंगे ।यह कहकर बुद्दिनाथ सिंह रो पड़े । कहते हैं पूत के पाँव पालने में ही दिख  जाते हैं ।निश्चित रूप से ये दोनों बच्चे आसमानी जौहर दिखाएँगे और इनके शौर्य का आगे जयकारा लगेगा ।

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।