अगस्त 27, 2016

पत्रकारों को वाजिब हक़ दिलाने के लिए करेंगे जंग का आगाज


हमेशा पत्रकारों पर बरसने वाले लालू का नया पैंतरा


पत्रकारों को वाजिब हक़ दिलाने के लिए करेंगे जंग का आगाज 
लालू प्रसाद ने मीडियाकर्मियों के लिए नये वेतनबोर्ड का किया समर्थन किया
पटना से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---

अपने पुराने अंदाज से ईतर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की तर्ज पर श्रमजीवी पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के लिए नये वेतनबोर्ड के गठन की मांग का आज समर्थन किया ।लालू प्रसाद ने आज यहां फेडरेशन अॉफ पीटीआई इम्प्लाइज यूनियंस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही ।लालू की आज की शारीरिक भाषा बता रही थी की पत्रकारों की दुर्दशा का उन्हें मलाल है ।लालू ने कहा की ""पत्रकार तथा मीडिया संगठन के अन्य कर्मचारी देश के पढ़े लिखे नागरिक हैं तथा समाज की बेहतरी के लिए खबरें जुटाने और उन्हें प्रसारित करने में अपनी जान जोखिम में डालते हैं ।उनके वेतन में भी उसी तरह की अच्छी बढ़ोतरी होनी चाहिए,जैसी सरकारी कर्मचारियों के वेतन में सातवें वेतन आयोग से हुई है ।’’ लालू ने कहा की ""मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर नये वेतन बोर्ड के गठन की मांग करूंगा ताकि पत्रकार एवं मीडिया के अन्य कर्मियों को बढ़ती महंगाई के इस दौर में अपना घर ठीक से चलाने में मदद मिल सके ।""उन्होंने बेहद संजीदगी और बदले हुए अंदाज में कहा की वह इस मुद्दे पर पत्रकारों के साथ हैं तथा जरूरत पड़ने पर वह इसके लिए पत्रकारों के साथ सड़क पर उतरने को भी  तैयार हैं ।‘पत्रकारों एवं अन्य मीडिया कर्मियों का आह्वान करते हुए उन्होनें कहा की वेतन बोर्ड गठन के संघर्ष में जेल जाने को वे तैयार रहें ।मैं आपके साथ हूं और यदि जेल जाने की जरूरत पड़ी,तो,उसमें भी मैं पीछे नहीं रहूंगा ।इससे पहले फेडरेशन के महासचिव एम.एस. यादव ने कहा कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद के पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में रेलमंत्री रहने के दौरान पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के लिए उन्होनें वेतन बोर्ड गठित करवाने में काफी मदद की थी ।उन्होंने कहा कि इस बार भी उन्हें इस काम में पत्रकारों की महती मदद करनी चाहिए ।लालू ने एमएस यादव एवं श्रमिक संगठन के अन्य नेताओं से नये वेतनबोर्ड के गठन के लिए समुचित तैयारियां करने तथा आंदोलन के लिए कार्यक्रम बनाने को कहा है ।‘‘इस मुद्दे पर मैं आपके साथ हूं । आप अपने कार्यक्रम की तारीख के बारे में मुझे बस सूचित कर दीजिएगा ।’’ उन्होंने आरोप लगाया की भाजपा नीत केन्द्र सरकार केवल अखबार मालिकों की जरूरतों को पूरा कर रही है तथा पत्रकारों एवं अन्य मीडिया कर्मियों की ओर ध्यान नहीं दे रही है ।राजद सुप्रीमो ने आगे कहा, ‘‘हम मीडिया श्रमिक संगठनों की इस जरूरी मांग की,सरकार को अनदेखी नहीं करने देंगे तथा पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों का वेतन एवं अन्य भत्ते बढाने के लिए सरकार का घेराव करेंगे ।’’ उल्लेखनीय है की फेडरेशन आफ पीटीआई इम्लाइज यूनियंस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यहां चल रही तीन दिवसीय बैठक में केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान एवं बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविन्द भी श्रमजीवी पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के लिए नये वेतनबोर्ड के गठन की मांग का समर्थन कर चुके हैं ।जाहिर तौर पर यह सुखद लक्षण प्रतीत हो रहे हैं लेकिन आगे सभी कुछ मनमाफिक होगा,इसपर फिलवक्त कुछ भी कयास लगाना जल्दबाजी होगी ।
राजद के मुखिया एक तरफ आज जहां पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के सबसे बड़े शुभचिंतक और गार्जियन होने का प्रदर्शन कर रहे थे वहीं बीते कल एबीपी न्यूज़ संवाददाता पर लालू प्रसाद के लाडले और सूबे के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ना केवल बुरी तरह से भड़के थे बल्कि बदसलूकी भी की थी ।. मामला यूँ था की पटना के दीदारगंज थाना क्षेत्र के बाजार समिति में बाढ़ राहत शिविर का दौरा करने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पहुंचे थे ।राहत शिविर का दौरा करने के बाद उन्होनें पत्रकारों से बातचीत की और उनके कुछ सवालों के जबाब भी दिए । इसी बीच ए बी पी न्यूज़ के पटना संवाददाता ने जब उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से बिहार के कितने जिलो में बाढ़ आई है, यह सवाल पूछा,तब लंदन से सैर कर लौटे बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सवाल का जबाब देने के बजाए भड़क गए और उल्टे संवाददाता से ही सवाल--जबाब कर बदसुलूकी करने लगे । बिहार जब बाढ़ में डूब रहा था तब तेजस्वी लंदन  और स्विज़रलैंड से अपनी तस्वीरें अपलोड कर रहे थे ।आज पटना लौटे तब उन्हे बाढ़ पीड़ितों की याद आई और उलटे बिहार के कितने जिलो में बाढ़ आई है,के सवाल पर भड़क गए ।वैसे हमारी समझ से क्रिकेट के बाद सैर--सपाटे फिर राजनीति में आते ही रुतबेदार पद मिलना कोई हल्की बात नहीं है 
अपनी राजनीतिक जिंदगी में तेजस्वी शायद पहली बार बाढ़ पीड़ितों से मिल रहे थे ।उनकी तैयारी बिल्कुल सिफर थी ।ऐसे में पत्रकारों के तल्ख सवालों को झेलना आसान नहीं होता ।अभी तेजस्वी को बहुत कुछ सीखना है ।विरासत में मिली राजनीति के दम पर उप मुख्यमंत्री बन जाने के बाद उन्हें सभी के साथ शालीनता बनाये रखने का गुड़ सीखना चाहिए ।
हमारे इस आलेख का मकसद यह है की पिता पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के हक़ और हकूक के लिए जेल तक जाने की बात कर रहे हैं,वहीं बेटा इन पत्रकार और मीडिया कर्मियों को दुलत्ती लगा रहे हैं ।पिता--पुत्र का यह खेल कुछ हजम नहीं हो रहा है भाई ।वैसे राजनीति में कुछ भी असम्भव नहीं है ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।