अगस्त 14, 2016

कालाबाजारी का बड़ा खुलासा .......


650 क्विंटल से ज्यादा पंजाब का चावल बरामद .......
एसडीओ और डीएसओ के नेतृत्व में मिली कामयाबी...... 
वर्षों से इस जिले में चल रहा है कालाबाजारी का खेल .......
आखिर क्या होगा बरामद चावल का ? 
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक--- बीती रात सोनवर्षा राज थाना क्षेत्र के दुर्गापुर स्थित श्रवण राईस मिल से 650 क्विंटल से ज्यादा पंजाब का चावल बरामद किया गया जो कालाबाजारी के लिए रखा हुआ था। एसडीओ सदर जहांगीर आलम को गुप्त सूचना मिली की श्रवण राईस मिल में बीते कुछ महीनों से अनाज की कालाबाजारी की जा रही है। बाहर से चावल मंगवाकर रिपैकिंग के अलावे सरकारी चावल और सरकारी गेंहूँ का भी इस मिल में पहले स्टॉक किया जाता है, फिर बोरे बदलकर खुले बाजार में इसे खपाया जाता है । 
सदर एसडीओ जहांगीर आलम ने बिना समय गंवाए डीएसओ अरविन्द कुमार और ब्लॉक आपूर्ति पदाधिकारी के साथ--साथ सोनवर्षा पुलिस को अपने साथ लिया और दुर्गापुर स्थित राईस मिल पर धावा बोल दिया। राईस मिल से कालाबाजारी के तेरह सौ से ज्यादा चावल के बोरे बरामद हुए, जो पंजाब से मंगाए गए थे ।हांलांकि जिला प्रशासन को एक बड़ी कामयाब मिली लेकिन मिल मालिक भागने में कामयाब हो गया। एसडीओ जहांगीर आलम ने बताया की मिल को सील कर दिया गया है और इस मामले में प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी के बयान पर मिल मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है । जल्द ही मिल मालिक की गिरफ्तारी कर ली जायेगी ।
निश्चित रूप से यह एक बड़ी कामयाबी है और एसडीओ सहित सभी अधिकारियों की पीठ थपथपाई जानी चाहिए । लेकिन सहरसा जिले में कुछ वर्षों की बात करें तो कालाबाजारी के हजारों क्विंटल अनाज मसलन गेंहूँ और चावल दोनों बरामद किये गए लेकिन कार्रवाई के नाम पर आजतक कालाबाजारी करने वाले एक भी बहुरूपये को पुलिस और प्रशासन के अधिकारी सजा नहीं करा पाये ।हद तो इस बात की है की जो कालाबाजारी के अनाज बरामद किये गए थे,उन अनाजों को नियम और कानून की दुहाई देकर सदर थाने या फिर किसी अन्य थाने में सड़ा डाला गया लेकिन उन्हें गरीबों तक नहीं पहुँचने दिया गया ।
माननीय सर्वोच्च न्यायालाय का स्पष्ट आदेश है की किसी भी सूरत में अनाज को सड़ने नहीं देना है ।अगर अबाज सड़ने की स्थिति पैदा होती है,तो अनाज को गरीबों के बीच बाँट दिया जाए ।लेकिन कहते हैं की सिस्टम में सौ छेद ।सिस्टम की वजह से कालाबाजारी के नाम पर बरामद अनाज सड़ जाएंगे लेकिन उसे गरीबों के बीच वितरित नहीं किया जाएगा । इसलिए इस कामयाबी को बेहतर कार्रवाई मान सकते हैं लेकिन अगर बरामद अनाज का उपयोग होता,तो सच मानिए फिर सोने पर सुहागा होता ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।