जुलाई 23, 2016

प्रेम प्रसंग का मामला पुलिस के लिए बड़ी चुनौती.........

घर से भागते प्रेम--पंछी को आखिर कौन रोके ?
पुलिस अपराध रोकने की जगह क्या प्रेम की पहरेदारी करे ?
पारिवारिक मर्यादा और अनुशासन की दरकती दीवार की वजह से घट रही घटनाएं.........
मामला प्रेम का लेकिन दर्ज हो रहे हैं अपहरण के मामले......
घर--परिवार और समाज के पुरजोर दखल की जरुरत..........
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---- 
सूबे को कोई थाना ऐसा नहीं है जहां थोक में लड़का--लड़की से जुड़े अपहरण के मामले दर्ज नहीं हों । घर से लड़की और लड़का भागते हैं और अधिकाँश मामले में लड़की के परिजन लड़का सहित उनके परिजन पर अपहरण, रंगदारी और हत्या किये जाने की आशंका तक का केश दर्ज करा डालते हैं ।
ऐसे मामले अधिकतर अंतर्जातीय होते हैं । हांलांकि कभी--कभी स्वजातीय मामले भी सामने आते हैं । चूँकि आवेदन पुलिस अधिकारी के हाथ लगता है तो उनकी मज़बूरी के साथ--साथ जरुरत होती है की वे कई कठोर धाराओं से युक्त एफआईआर दर्ज करते हैं । मामला दर्ज करने में पुलिस अधिकारी की मज़बूरी यह होती है की अगर मामला वे दर्ज नहीं करेंगे तो लोगों का आक्रोश फूटेगा और वे आंदोलन करेंगे की पुलिस निकम्मी है। 
फिर पुलिस की जरुरत भी होती है की अगर वे मामला दर्ज करेंगे तभी वे किसी दूसरे थाना क्षेत्र से लड़का--लड़की की बरामदगी की कोशिश कर पाएंगे ।दूसरे थानों की मदद भी उन्हें तभी मिल सकेगी जब एफआईआर दर्ज होगा ।
लेकिन सबसे अहम् सवाल यह है की पुलिस का मुख्य काम अपराध पर लगाम लगाना और लोग कैसे अमन--चैन से रहें,इसे सुनिश्चित करना है । विभिन्य सूचना तंत्र के संपर्क में बने रहकर पुलिस की लगातार गस्त अपराधियों पर नकेल कसने के लिए आवश्यक है ।पुलिस वाले भी इंसान हैं । उनकी भी पारिवारिक जिम्मेवारियां हैं ।ऐसे में पुलिस जनता की सेवा में जुटी रहती है ।पुलिस की नौकरी बेहद जिम्मेवारी भरी होती है और सही मायने में उनकी ड्यूटी 24 घण्टे वाली होती है ।
कहीं लावारिश लाश मिली तो पुलिस की जरुरत ।कहीं हंगामा हुआ तो,पुलिस की जरुरत । कहीं कोई छोटा और बड़ा अपराध हुआ तो पुलिस की जरुरत । सास--बहु और पति--पत्नी का झगड़ा हुआ तो पुलिस की जरुरत । कहीं दुर्घटना घटी तो पुलिस की जरुरत ।नदी में कोई डूबा ,तो कहाँ है पुलिस ?छेड़छाड़ या रेप की कोई घटना घटी,तो कहाँ है पुलिस ? ह्त्या, लूट, राहजनी हुयी, तो कहाँ है पुलिस ? बिजली--पानी या किसी जनहित के मुद्दे पर प्रदर्शन और जाम हुआ तो किधर है पुलिस ?नेता--मंत्री आये तो कहाँ है पुलिस ?यानि एक ऐसा महकमा जिसके मुलाजिम को हर जगह होना चाहिए ।
हमारे इस आलेख का मकसद बेहद साफ है की पुलिस से समाज के हर वर्ग और हर तबके को जरुरत है लेकिन पुलिस का समय आवश्यक काम की जगह बेजा काम में ज्यादा बर्बाद हो रहा है । इसका नतीजा यह है की पुलिस अपराध पर काबू पाने में अक्षम और फिसड्डी साबित हो रही है । खासकर के पुलिस का समय जमीन के मामले के निपटारे में ज्यादा जाता है । इस मामले में पुलिस धन उगाही की नीयत से अपना समय सोच--समझकर झोंकती है ।लेकिन पुलिस का सब से अधिक समय बर्बाद होता है प्रेम प्रसंग में भागे लड़के--लड़की को बरामद करने में ।लड़की के परिजन अपनी किसी गलती को स्वीकारने को तैयार नहीं होते और पुलिस जल्दी से दोनों को बरामद करे,इसकी जिद पर अड़े रहते हैं ।
लड़के और लड़की के भागने में अब जाति और धर्म की कोई बंदिश नहीं रही है । इस प्रेम प्रसंग की वजह से समाज में अक्सर जातीय और धार्मिक तनाव भी देखने को मिलता है ।यहां भी स्थिति काबू में रहे,इसकी जिम्मेवारी भी पुलिस पर रहती है । पहले के जमाने में शिक्षा का अलग तौर--तरीका और उसके वृहत्तर मायने थे ।पहले गुरुकुल हुआ करते थे,या फिर एक अलग कोटि के गुणी लोग शिक्षा देने की अगुआई करते थे ।गुरु की एक अलग और खास गरिमा थी ।पहले नैतिक शास्त्र की पढ़ाई होती थी ।रिश्ते और सामाजिक मर्यादा को अत्यावश्यक समझा जाता था ।लेकिन समय बदला और सभी कुछ पाश्चात्य के रंग में रंग गया ।सिनेमा,टीवी,लैप टॉप और मोबाइल ने लोगों की जिंदगी।में क्रान्ति ला दी ।
इस आलेख के माध्यम से हम यह सवाल उठाना चाह रहे हैं की प्रेम प्रसंग में लड़के और लडकियां घर से भाग रही हैं, इसके लिए आखिर जिम्मेवार कौन है ? हम सबकुछ पुलिस पर क्यों छोड़ना चाह रहे हैं। आखिर पारिवारिक संस्कार और सामाजिक मूल्यों का क्या हुआ? आखिर रिश्ते और चरित्र--मर्यादा की डोर इतनी कमजोर क्यों है ? बच्चों की परवरिश में आखिर कहाँ चूक हो रही है? हमने गहन अध्ययन किया है और हम दावे के साथ कह रहे हैं की अमूमन माता--पिता खुद गलतियां करने से बाज नहीं आ रहे हैं और नतीजतन बच्चे भी बेपटरी हो रहे हैं ।
प्रेम एक विशाल रिश्ता है जिसको घर से भागकर कभी भी आसमानी कद नहीं दिया जा सकता है ।तंद्रा, नासमझी, तृषणा और शारीरिक भूख की वजह से प्रेम शब्द का सहारा लेकर लड़के--लड़कियों के घर से भागने का यह खेल चल रहा है। सामाजिक जानकार और चिंतकों को अब सामने आना चाहिए। इस विषय पर देश स्तर पर बहस और विमर्श की जरुरत है। कहते हैं की व्यक्ति के जीवन की पहली पाठशाला उनका घर होता है । घर को आचरण सम्पन्न और आदर्शयुक्त बनाना होगा। संस्कृति की खुशबू से घर को तर करना होगा। प्रेम प्रसंग के ऐसे मसलों का समाधान समाज को करना चाहिए ।पुलिस का ज्यादा समय इस मसले पर दिलवाकर हम अपराधियों को अपराध करने का अधिक अवसर दे रहे हैं ।
हमारी समझ से अब समय आ गया है की प्रेम प्रसंग के इस मसले को लेकर थाने स्तर पर सेमीनार होना चाहिए । समाज के बुजुर्ग, समझदार और जिम्मेवार लोगों को पुलिस--प्रशासन के अधिकारियों के साथ सीधा संवाद करना चाहिए । घर और संतान कैसे सही रास्ते पर चलें,इसकी हर कालजयी जुगत करनी चाहिए ।आखिर में हम यह जरूर कहेंगे की समाज को आज बड़े परिवर्तन की जरुरत है ।

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