जून 28, 2016

आखिर बिहार में क्या हो रहा है ? सरकार ने डीआईजी का किया तबादला .

**जिस डीआईजी से अपराधियों ने 20 लाख की रंगदारी मांगी थी,.........
**सरकार की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल .......
**अब न्याय के साथ विकास के नारे को लग रहा पलीता ........
कोसी जोन के डीआईजी चन्द्रिका प्रसाद
मुकेश कुमार सिंह की कलम से दो टूक----
बीते 24 जून को कोसी जोन के डीआईजी चन्द्रिका प्रसाद से अपराधियों ने फोन कर के ना केवल 20 लाख रूपये की रंगदारी मांगी बल्कि नहीं देने पर पुरे परिवार को बम से उड़ाने की धमकी भी दी । यही नहीं उन्हें रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले सरकारी पैसे में से भी आधा पैसा देने की अलग से धमकी दी गयी ।इस पूरी घटना के बाबत डीआईजी ने सदर थाना में 24 जून को ही मामला दर्ज कराया। डीआईजी को मोबाइल नम्बर 08826757488 से उनके निजी मोबाइल नम्बर 9931024019 पर धमकी दी गयी थी। धमकी देने वाले ने खुद को यूपी का रहने वाला और अपना नाम आजम खान बताया। डरे--सहमे डीआईजी इस बात को मीडिया से छुपाते रहे लेकिन कहते हैं की गर्भवती महिला अपना गर्भ कबतक छुपा कर रख सकेगी ? आखिरकार कल 27 जून को इसकी भनक सब से पहले सहरसा टाईम्स को लगी ।
इसके बाद प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी खलबली मच गयी। पुलिस ने अनुसंधान शुरू किया ।मोबाइल का सीडीआर निकाला गया जिसमें फोन करने वाले अपराधी का नाम शेष नारायण यादव निकला जो दिल्ली का रहने वाला है ।इस पुरे मामले में पुलिस के अधिकारी चुप्पी बरत रहे थे लेकिन जब मीडिया में यह बात आई तो डीआईजी की तलाश शुरू हुयी ।लेकिन डीआईजी किसी कारणवश मुख्यालय से बाहर थे ।चूँकि मामला बेहद गंभीर था इसलिए इस मसले पर हमने पुलिस कप्तान अश्वनी कुमार से बात की ।एसपी साहब ने इस मामले में बिल्कुल ठोका--बजाया अनुसंधान करते हुए कहना शुरू किया की यह मामला जमीन संबंधी विवाद से जुड़ा और पारिवारिक लग रहा है ।
सहरसा पुलिस अधीक्षक
हद कर दिया एसपी साहब ने ।अरे पहले आप शेष नारायण को गिरफ्त में तो लेते लेकिन आपने तो शुरू में ही मामले की गंभीरता पर ही सवाल खड़े कर डाले ।सूत्रों से यूँ मिल रही जानकारी के मुताबिक़ पटना के बेऊर जेल के समीप डीआईजी का मकान है, जहां दबंगों से उनकी अदावत है। बेऊर थाने में भी डीआईजी मुकदमा दर्ज करवा रखे हैं लेकिन वहाँ भी उनकी फ़रियाद सुनने वाला कोई नहीं है । सहरसा पुलिस अधीक्षक एक डीआईजी से जुड़े मामले को बेहद हल्के ढंग से लेते हुए पुलिस अपना काम कर रही है, कहकर पल्ला झाड़ गए । लेकिन बड़ा सवाल यह है की यह शेष नारायण यादव कौन है ?और पुलिस उसे गिरफ्तार करने से क्यों परहेज कर रही है इधर यह मामला गर्म ही था की आज बिहार सरकार ने कैबिनेट के फैसले में डीआईजी चन्द्रिका प्रसाद का तबादला कोसी रेंज से बीएमपी मुजफ्फरपुर कर दिया और पुर्णिया के डीआईजी उपेन्द्र कुमार सिन्हा को अगले आदेश तक कोसी रेंज का अतिरिक्त प्रभार दिया ।
नौकरी में तबादला लगा रहता है लेकिन जिस डीआईजी को जान का खतरा हो और जिससे रंगदारी मांगी गयी हो,उनके मामले में क्षेत्रीय प्रशासन के साथ--साथ सरकार गंभीर क्यों नहीं है ? आखिर डीआईजी का तबादला क्यों कर दिया गया ? क्या सरकार पर किसी का दबाब था ? आखिर जब पुलिस के बड़े अधिकारी सुरक्षित नहीं हैं तो फिर आम आदमी का क्या होगा ? जब पुलिस के एक बड़े अधिकारी के मामले में पुलिस अनुसंधान की गति मंथर और फलाफल सिफर होगा,तो ज़रा सोचिये की जनता जनार्दन का क्या होगा ?आखिर बिहार में ये क्या हो रहा है ?

2 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा...
    अपराधियों के आगे झुक गई प्रशासन, सरकार ने अधिकारी को भगोरा बनाया..
    पुलिस को अपने ओकात का पता होना चाहिए..
    जय #जंगलराज.. ✌✌

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  2. हा हा हा...
    अपराधियों के आगे झुक गई प्रशासन, सरकार ने अधिकारी को भगोरा बनाया..
    पुलिस को अपने ओकात का पता होना चाहिए..
    जय #जंगलराज.. ✌✌

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।