

आज जब प्रदर्शनकारी आन्दोलन कर रहे थे तो स्थानीय पत्रकार डिक्शन राज ने जब न्यूज कवरेज कर रहे थे तो पुलिस बेवजह लाठिया से पिटपिट कर घायल कर दिया. एक पत्रकार को बचाने के क्रम में दूसरा पत्रकार भी पुलिसिया कहर से बच नहीं पाया और घायल हो गया.
जाहिरतौर पर अब तो सबसे बड़ा सवाल ये है क्या समाचार संकलन करना भी दुर्लभ हो गया है. क्या लोकतंत्र के चौथे के स्तम्भ पर भी ख़तरा मंडरा रहा है. अब तो आप खुद सोचिये जिस देश में पत्रकारों के साथ ये कहर होता है वहां की आवाम पर कैसा खतरा होगा............
अपनी नाकामी छिपाने को पत्रकार पर खीज कर लाठिया बरसाने का कार्य किया है पुलिस ने।
जवाब देंहटाएंअपराधियों को तो पकड़ नही पाती और निर्दोषो को दौड़ा दौड़ा कर पीटती है। शर्म आनी चाहिए ऐसी पुलिस को....