मई 16, 2016

लोकतंत्र का एक मजबूत स्तम्भ आज पूरी तरह से खतरे में......


सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट :- पुरे देश में एक ऐसे पत्रकार की हत्या का विरोध हो रहा है जिसने अपने कलम की ताकत से एक से एक बाहुबलियों के कारनामे को उजागर करने का काम किया। सिवान जैसे क्षेत्रों से निष्पक्ष पत्रकारिता करने की सज़ा राजदेव रंजन को मिली। गाँव से लेकर शहर के गली मुहल्ले में इस घटना का विरोध हो रहा है.  हत्या के दिन से ही पुरे राज्य में मीडिया जगत में शोक छाया हुआ है.
वर्तमान समय ने पत्रकार के लेखनी पर मानो अचानक सा ब्रेक लगा दिया हो. जिले के तमाम मीडिया कर्मी आर. रंजन की हत्या का विरोध करते हुए आज समाहरणालय के मुख्य गेट पर धरना दिया। इनकी मुख्य मांगे हत्यारों को गिरफ्तार करने, परिजन को 50 लाख रूपये का मुआवजा, उनके पुत्र को सरकारी नौकड़ी और जिले के पत्रकारों को हथियार का लाइसेंस देने जैसे अन्य मांगे थी. 
जाहिर तौर से बिहार और झारखण्ड सहित देश के किसी भी हिस्से में पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं. पत्रकारों पर ताबड़तोड़ गोलियां  बरसाई जा रही है और उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है ।लेकिन हर प्रांत में हुक्मरान तमाशबीन है ।सत्ता का अपराधीकरण या फिर तंत्र पर अपराधियों का शिकंजा ।वजह आखिर जो भी हो लेकिन लोकतंत्र का एक मजबूत स्तम्भ आज पूरी तरह से खतरे में है ।पत्रकारों ने समाज के हर वर्ग की सेवा की है ।पत्रकारों की जिंदगी आगे कैसे महफूज रहेगी,इसके लिए समाज को बड़ा और मजबूत हस्तक्षेप करना होगा ।

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।