मार्च 10, 2016

रूपये दो, फिर होगा ईलाज ... इसी क्रम में जच्चा---बच्चा दोनों की हो गयी मौत

मुकेश कुमार सिंह की कलम से :- रूपये दो फिर होगा ईलाज ।बिना रूपये के यहां नामुमकिन है ईलाज ।रूपये नहीं हैं तो आपके मरीज की चली जायेगी जान ।यह कोई फ़िल्मी डायलॉग नहीं बल्कि कोसी इलाके के  पीएमसीएच कहे जाने वाले सदर अस्पताल की हकीकत है ।बीती देर रात एक गर्भवती महिला का ईलाज ठीक से इसलिए नहीं हुआ,क्योंकि उसके परिजनों ने दस हजार रूपये नहीं दिए ।ईलाज के अभाव में आज सुबह जच्चा---बच्चा दोनों की मौत हो गयी ।घटना से आहत परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया ।
देखिये अस्पताल का मंजर ।मेले की शक्ल में यहां भीड़ मौजूद है ।नवहट्टा के रहने वाले चन्दन दास की पत्नी गायत्री देवी और उसके पेट में पल रहा बच्चा दोनों काल के गाल में समा चुके हैं ।चन्दन अपनी पत्नी को बीती रात दो बजे डिलेवरी के लिए सदर अस्पताल लेकर आये ।लेकिन मौके पर मौजूद नर्स और महिला चिकित्सक ने उससे दस हजार रूपये मांगे ।लेकिन तत्काल चन्दन के पास इतने रूपये नहीं थी ।रूपये नहीं होने की वजह से चन्दन की पत्नी के ईलाज की जगह दुत्कार और फटकार मिलती रही ।नतीजतन आज सुबह बच्चा--जच्चा दोनों की मौत हो गयी। 
सदर अस्पताल में हंगामे की खबर सुनकर सदर थाना के एसएचओ संजय सिंह दल--बल के साथ अस्पताल पहुंचे और सख्ती दिखाते हुए मामले को शांत करा लिया ।मृतका को एम्बुलेंस से नवहट्टा भेजने की तैयारी आनन्---फानन में कर ली गयी ।लेकिन सहरसा टाईम्स के कड़े हस्तक्षेप के बाद पुलिस अधिकारी ने इस मामले में पीड़ित के आवेदन के आधार पर जांच और कार्रवाई की बात की है।इधर सिविल सर्जन डॉक्टर अशोक कुमार सिंह ने भी जांच कर कठोर कार्रवाई का भरोसा दिलाया है ।
सदर अस्पताल में पैसे के दम पर ईलाज का यह कोई पहला वाकया नहीं है ।सहरसा टाईम्स के हस्तक्षेप से आज से पहले भी कई अस्पताल कर्मी निलंबित किये जा चुके हैं ।वैसे सबसे अहम् बात यह है की सदर अस्पताल में आखिर गरीब अपनी जान कबतक यूँ ही और बेजा गंवाते रहेंगे ।जाहिर तौर पर पहले से मुफलिसी और फटेहाली की मार झेल रहे इन गरीबों को सरकारी अस्पताल में भी भगवान् की जगह यमराज से सामना होता है ।सिस्टम आखिर कब ईमानदारी से इन गरीबों के लिए खड़ा होगा ।आजादी से लेकर आजतक गरीबों की सियासी चिंता और उनकी अल्फाजी वकालत खूब हुयी है।लेकिन ये गरीब आजतक ना केवल ठगे गए हैं बल्कि बेहतर कल की उम्मीद पाले इस दुनिया को अलविदा भी कहते रहे हैं।



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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।