अक्टूबर 27, 2015

मै भी आपका सेवक हूँ, मुझे सेवा करने का मौका दे :- रितेश रंजन

कृष्ण मोहन सोनी की रिपोर्ट:-  निर्दलीय प्रत्याशी रितेश रंजन अपने सेकड़ो समर्थकों के साथ क्षेत्र में जनता के बीच जा रहे है जहां जनता का भरपूर समर्थन ही नही बल्कि बुजुर्गो के साथ नौजवान भी इनके सेवाभाव व विचारों के कायल हो रहे है तो  वही महिलाओ की भी रितेश के पहुंचते ही रितेश भैया मत घबराना हम भी तुम्हारे साथ है की नारे लगाने लगते है.
गांव के हर पगडंडियों पर कतारबद्ध चल रहे मतदाताओ की आबाज से क्षेत्र गूंज उठती है. वीरान सड़कें वर्षो से विकास की वाट जोह रही जनता को ऐसे ही प्रत्याशी का शायद  इन्तजार था, तभी तो उत्साह के साथ विकास की उम्मीद लिए रितेश के समर्थन में जनता गोलबंद हो रही है. अपने जनसम्पर्क अभियान के दौरान ही रंजन ने कहा की यह कोसी कि धरती है कारु खिड़हरी, लक्ष्मी नाथ गोसाई, दीना भद्री, राजा सलहेस, मांगन की धरती है, जहाँ एक से एक समाजवादी विचारों के पूर्वजो ने सहेज कर रखा था, जिन्हे राजकमल चौधरी जैसे महान साहित्यकार ने भी इस धरती ब्यथा को कागज की बेजान टुकड़ो पर उकेरा है.
वर्तमान परिवेश में राज सत्ता पाने वालो ने इस कोसी के दर्द को नजर अंदाज कर के चला. जिससे यह क्षेत्र विकास की रौशनी से कोसो दूर हो गया. सबसे दुखद यह भी है की कोसी तटबंध के अंदर के लोगो की दुर्दशा ऐसी है की इन्हे सड़क तक नशीब नही है डेंगराही पुल तक नही बन सकी है, बीमार मरीजों के लिए एक व्यवस्थित अस्पताल नही, स्कूली बच्चों के लिए अच्छे स्कुल तक नही नोजवानो के हाथ में कोई काम नही पलायन को रोकने की कोई ठोस योजना तक नही ग्रामीण महिलाओ के लिए भी कोई ठोस कदम बढ़ाने की पहल तक यहां से जीते गए किसी भी प्रतिनिधि ने नही किया. ऐसी परिस्थिति में इस जनता की सेवा व क्षेत्र की समुचित विकास के लिए में चुनाव मैदान में हूँ लोकतंत्र के महा पर्व में मै भी आपका एक सेवक हूँ मुझे एक बार सेवा  का मौका दे.  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।