सितंबर 07, 2015

एक विस्थापित गाँव का दर्द देखो सरकार......

* कोसी बरपा रही है कहर...... 
* छतवन गाँव के सैंकड़ों लोग हुए बेघर....
* डेढ़ सौ से ज्यादा घर कोसी में समाये ......
* विस्थापित रिंग बाँध पर ले रहे हैं शरण ......
* सरकारी मदद अभीतक नहीं हुयी है मयस्सर......... 

मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट----- हर साल हमें उजाड़ना है और फिर बसना है.हम कोसी के पेट में रहने वाले हैं.हमारी जिंदगी एक जंग है.हमें सतरंगी सपने देखने की ईजाजत नहीं है.यह एक बड़ा सच है की पूर्वी और पश्चिमी कोसी तटबंध के भीतर बसे लाखों लोगों की मुकम्मिल जिंदगी उजड़ने और फिर बसने में ही गुजर जाती है.आज हम अपनी इस खास रिपोर्ट में नवहट्टा प्रखंड के छतवन गाँव,जिसे कोसी ने लील लिया है,उस गाँव के वैसे लोगों के दर्द से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं जो गाँव से किसी तरह निकल कर पूर्वी कोसी तटबंध पर आकर अपनी जान बचाने की जुगत कर रहे हैं.
देखिये यह नजारा है पूर्वी कोसी तटबंध के नवहट्टा स्थित एक रिंग बाँध का.छतवन गाँव पर कोसी कहर बरपा रही है और उस गाँव के लोग अपने जीवन भर की कुल जमापूंजी को लेकर किसी तरह से जान बचाकर भाग रहे हैं.कोसी ने इस गाँव के डेढ़ सौ से ज्यादा घर को,अपनी तेज धार में समा लिया है.कोसी की विनाशलीला के शिकार ये पीड़ित विस्थापित ऊँची जगह पर शरण ले रहे हैं.ये सभी किसी भी तरह से अपनी जिंदगी बचाने की जुगत में हैं. हांलांकि इनके घर के अधिकाँश हिस्से,पशुधन सहित खाने---पीने के सामान को भी कोसी ने खुद में समा लिया है.जो कुछ बचा, उसे ये लेकर बाहर तो निकल आये हैं लेकिन बाहर में उन्हें पीने के पानी से लेकर खाने को लाले पड़े हैं.सरकारी मदद के नाम पर अभीतक इन्हें आश्वासन तक नहीं मिला है.पॉलीथिन सीट से लेकर एक--एक जरुरी चीज के लिए सभी मोहताज हैं.इनकी पीड़ा को खुद इनकी जुबानी सुनिए.आप खुद समझ जाएंगे की इनकी पीड़ा अथाह है जिसे ईमानदार सरकारी मदद से कम किया जा सकता है.लेकिन दूर--दूर तक हमें सरकारी मदद की कोई हलचल नहीं दिख रही है.
एक जगह हो तो बताएं की दर्द यहां होता है,यहां तो जिधर दबाईये उधर मवाद है.इन पीड़ितों का दर्द देखो सरकार.

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।