सितंबर 28, 2015

पूर्व सांसद आनंद मोहन के तल्ख़ बयान .............

*वे कोई फुटबॉल नहीं, जो किक मारकर कोई कार्नर कर दे ..
*वे कोई कंडोम नहीं,जिसका कोई.इस्तेमाल करे..
*उनकी रचना पर्वत पुरुषः दसरथ की चोरी कर के मांझी द माउंटेनमैन फिल्म बनायी गयी है...  
* फिल्म के निर्माता केतन मेहता सहित फिल्म से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण लोगों पर बहुत जल्द मुकदमा..   
मुकेश कुमार सिंह:-   एक मामले में पेशी के लिए सहरसा मंडल कारा से सहरसा न्यायालय आये सांसद आनंद मोहन ने सहरसा टाईम्स से खास बात की जिसमें उन्होनें कई तल्ख़ और विवादित बयान दिए.

आनंद मोहन सिंह के साथ मुकेश सिंह- सहरसा टाइम्स
पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन बिहार में एक जाना--पहचाना रसूख वाला नाम. देखिये पेशी के दौरान न्यायालय आये आनंद मोहन को. बीते दस वर्षों से सहरसा जेल में बंद आनंद मोहन के तेवर आज भी जस के तस मौजूं हैं. सहरसा टाईम्स के साथ हुयी खास बातचीत के दौरान हमारे सवालों का जबाब उन्होनें बेहद तल्ख़ अंदाज में दिए. सब से पहले उन्होनें अपनी राजनीतिक हैसियत को लेकर कहा की "वे कोई फुटबॉल नहीं जो किक मारकर कोई कार्नर कर दे". वे बीते दस सालों से जेल में और सोलह साल से सड़क पर हैं. अगर कोई बड़ा लीडर महज एक साल तक जेल रहे और दो वर्षों तक सड़कों पर तो उसकी स्थिति कुत्ते से भी बदतर हो जायेगी. आज उनकी अहमियत बरकार है तभी कोई राजनेता या प्रेस--मीडिया उन्हें पूछते हैं. आनंद मोहन ने आगे कहा की उनकी पार्टी और  संगठन का विलय हम पार्टी में हुआ है. उनके लिए सीट कोई मायने नहीं रखता है. जीतन राम मांझी आने वाले दिनों में एक बड़ी ताकत के रूप में बिहार की राजनीति में काबिज होने वाले हैं.
सहरसा टाइम्स का सवाल-   सारे राजनेता उनका इस्तेमाल करते हैं और फिर उनको हासिये पर छोड़  देते हैं. आनन्द मोहन - कड़े अंदाज में जबाब दिया और कहा की "वे कोई कंडोम नहीं जिसका कोई.इस्तेमाल करे". आनद मोहन सीबीएससी पाठ्यक्रम में शामिल मधुरिका हिंदी पाठमाला, जिसमेंं पढ़ाई जाने वाली उनकी रचना पर्वत पुरुषः दसरथ को लेकर सवाल खड़े किये और कहा की उनकी रचना की चोरी कर के "मांझी द माउंटेनमैन" फिल्म बनायी गयी है. वे फिल्म के निर्माता केतन मेहता सहित फिल्म से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण लोगों पर बहुत जल्द मुकदमा करने जा रहे हैं. बताते चलें की सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद आगामी विधान सभा चुनाव में शिवहर से हम पार्टी की प्रत्यासी हैं.  दस वर्ष जेल में बिताने के बाद भी पूर्व सांसद आनंद मोहन का निसंदेह आज भी कम से कम बिहार की सक्रिय राजनीति में एक मजबूत हस्तक्षेप है.अपने समर्थकों के दम पर आनद मोहन आज भी कितने नेताओं को विधान सभा तक पहुंचाने और उन्हें वहाँ पहुँचने से रोकने का दम रखते हैं,इसमें कहीं कोई शक--शुब्बा नहीं है.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।