जून 06, 2015

दरिंदा कातिल बाप


 मात्र  तीन  हजार के लिए अंकित को जान से मार दिया …  
मुकेश कुमार सिंह की कलम से-------महज तीन हजार रूपये की खातिर एक कलयुगी बाप ने अपने बेटे की ईहलीला खत्म कर डाली. क्या एक बाप अपने कलेजे के टुकड़े की जान ले सकता है? यह सोचकर आपका सीना चाक हो रहा होगा, लेकिन यह सच है. सहरसा के महिषी गाँव में एक सनकी बाप ने मोबाइल की खातिर तीन हजार रूपये की चोरी करने के आरोप में अपने मासूम बेटे की तबतक पिटाई की जबतक उसकी जान नहीं चली गयी. फिलवक्त दरिंदा बाप पुलिस की गिरफ्त में है. आप यह जानकार हैरान हो जाएंगे की इस बहशी खून--चटोरे ने करीब दस साल पूर्व अपनी पत्नी को भी जलाकर मार डाला था.
महिषी गाँव जहां माँ उग्रतारा शक्तिपीठ है आज रो और सुबक रहा है. जिस गाँव में देश के कोने--कोने सहित नेपाल, चीन और भूटान जैसे देश से श्रद्धालु संतान प्राप्ति सहित कई तरह की मन्नत लेकर आते थे वह ग्राम आज कलंकित हो गया है.कहते हैं की जल्लाद को भी अपनी संतान प्यारी होती है लेकिन एक सनकी पिता गोविन्द मिश्रा ने अपने पंद्रह वर्षीय पुत्र अंकित मिश्रा की तबतक पिटाई की जबतक उसने दुनिया को अलविदा नहीं कह दिया.अंकित पर यह आरोप था की उसने मोबाइल के लिए अपने पिता की जेब से तीन हजार रूपये चुरा लिए थे.रिश्ते की अनमोल दीवार पल भर में धराशायी हो गयी.यह सनकी बाप पहले भी रिश्ते का सर कलम कर चुका है.दस साल पहले इसने अपनी पत्नी को भी ज़िंदा जलाकर मार डाला था.इसके रिस्तेदार जहां इसकी काली करतूत की दास्ताँ सूना रहे हैं वहीँ बड़े साफ़ लहजे में यह भी कह रहे हैं की मृतक अंकित को एक और भाई है,कहीं यह जालिम उसे भी ना मार डाले.गाँव के लोग इस जालिम की दरिंदगी से काफी दुखी हैं और इस घटना से गाँव को कलंकित बता रहे हैं.लोगों का कहना है की इस खुनी को फांसी की सजा मिलनी चाहिए,ताकि आगे कोई बाप ऐसी दरिंदगी नहीं दिखा सके.
जिले के पुलिस कप्तान पंकज कुमार सिन्हा बता रहे हैं की बच्चे को पीट--पीटकर मौत की नींद सुलाने के बाद दरिंदा बाप अपने बेटे का अंतिम संस्कार करना चाहता था लेकिन एन वक्त पर पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.इनकी नजर में आरोपी पिता पूर्व से ही अपराधी चरित्र का रहा है.आगे इस मामले में त्वरित गति से न्यायालय में पुलिस चार्जसीट समर्पित करेगी और स्पीडी ट्रायल करवाकर इसे जल्द से जल्द सजा दिलाई जायेगी.
क्या एक बाप इतना बड़ा जुल्म कर सकता है?क्या जिगर के टुकड़े को कोई इंसान मौत के घाट उतार सकता है?संतान के लिए तो लोग अपना जीवन और सर्वस्व लूटा डालते हैं लेकिन महज तीन हजार रूपये के लिए एक बाप अपने बेटे की बलि चढ़ा सकता है?यह क्रूरतम घटना एक सपने की तरह है लेकिन सच यही है की मासूम अंकित  इस दुनिया में नहीं रहा और उसका कातिल बाप अब जेल के सलाखों के भीतर जा रहा है.इस हत्या ने अंकित के -साथ-साथ रिश्ते--नाते और तमाम भरोसे का कत्ल कर डाला है.

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