मार्च 17, 2015

आध्यात्मिक परिचर्चा से मानव जीवन को मिलती है शान्ति ........

कृष्णमोहन सोनी की रिपोर्ट:-  सहरसा में लगातार एक सप्ताह से हो रहे अष्टयाम, भजन कीर्तन में भारी  संख्यां में महिला पुरुषों ने भाग लिया. इस आध्यात्मिक परिचर्चा संकीतर्न में जिले के विभिन्न क्षेत्रों सहित नेपाल, भूटान सहित अन्य जगहों से सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कलाकारों, भजन गायकों ने भक्तिमय संगीतों की प्रस्तुति और नृत्यकला भजनो से शहर वासियों का मन मोह लिया. 
स्थानीय बड़ी दुर्गा स्थान के प्रांगण में शहर के व्यवसायी संघ, सब्जी बाजार सहरसा द्धारा आयोजित अष्टयाम लगातार सात दिनों तक चल कर सम्पन्न हुआ. इस कार्यक्रम को सुरक्षित संचालित करने के लिए जगह जगह स्वयं सेवकों को रखा गया जिसमे महिला एवं पुरुष स्वयं सेवक द्धारा भक्तजनो के बीच समय समय पर पेयजल सेवा कि व्यवस्था किये गए.  इस मौके पर व्यवसायी संघ के सचिव श्याम सुंदर साह ने कहा कि इस तरह का आयोजन हर वर्ष व्यवसायी संघ के द्धारा किया जाता है आध्यामिक परिचर्चा, अष्टयाम सत्यसंग संकीर्तन भजन से सामाजिक व्यवस्था जहां संतुलित रहता है वही लोगो के बीच फैली कुरीतियां दूर होकर मानव जीवन को शांति भी मिलती है और सामाजिक सौहार्द एक दूसरे के बीच कायम रहता है. इस तरह का आयोजन में सब्जी बाजार के सभी व्यवसायी वर्ग का सहयोग रहता है.जिसमे लाखों रूपया खर्च होता है उन्होंने कहा की इस अष्टयाम में भगवान राम सीता लक्ष्मण हनुमान शिवशंकर आदि कि मूर्तियां भी बनाई जाती है और अग्नि हवन कुण्ड भी इस भजन संकीतर्न में कलाकारों द्धारा रामलीला भी दिखाया जाता है.
इस मौके पर व्यवसायी संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह, दिलीप केशरी, सुभाष साह, बिट्टू भगत, छोटेलाल भगत , अर्जुन भगत, श्याम पंडित, कैलाश प्रसाद दास, मुन्ना भगत , पंकजभगत , राजू चौधरी , राजेन्द्र भगत , आदि ने मुख्य रूप से भाग लिया। 

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।