मार्च 25, 2013

अस्पताल में बेइंतहा लापरवाही एक्सक्लूसिव

बीते 20 मार्च को ट्रेन की चपेट में आकर एक हाथ और एक पाँव गंवा चुकी गंभीर रूप से जख्मी अज्ञात महिला का नहीं हो रहा इलाज///मुकेश कुमार सिंह///
सदर अस्पताल सहरसा इनदिनों लापरवाही और बदइन्तजामी के अपने सारे पुराने रिकॉर्ड्स को ध्वस्त करने पर न केवल आमदा दिख रहा है बल्कि लापरवाही और बदइन्तजामी की नयी और भयानक ईबारत भी लिख रहा है।बीते 20 मार्च को ट्रेन की चपेट में आकर एक हाथ और एक पाँव गंवा चुकी गंभीर रूप से जख्मी एक अज्ञात महिला आपातकालीन कक्ष के एक कोने में पड़ी न केवल तड़प रही है बल्कि मौत के मुहाने पर खड़ी है।आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की उसके पुरे शरीर पर मख्खियाँ भिनभिना रही है और उसके शरीर से नाक फाड़ू बदबू निकल रहे हैं लेकिन उसका इलाज नहीं हो रहा है।सहरसा टाईम्स की दखल के बाद ना केवल विरोधी दलों के नेताओं ने इस पीडिता के लिए पुरजोर आवाज उठायी बल्कि हमारी दखल के बाद मौके पर तुरंत सिविल सर्जन पहुंचे और आनन---फानन उसका ईलाज शुरू हुआ।
सहरसा टाईम्स, सिविल सर्जन और राजद नेता  मोहम्मद ताहिर 
सहरसा टाईम्स की पुरजोर दखल के बाद विरोधी दलों के नेताओं का अस्पताल में जमावाडा लगने लगा।राजद के जिलाध्यक्ष मोहम्मद ताहिर पहले तो अस्पताल प्रशासन पर जमकर बरसे और फिर कहा की वे राजद के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद से तुरंत बात करके इस वीभत्स स्थिति से ना केवल उन्हें अवगत करायेंगे बल्कि इसको लेकर वे उग्र आन्दोलन भी करेंगे।इन्होने सहरसा टाईम्स को इस मानवीय दखल के लिए धन्यवाद भी दिया। इन्होनें कहा की सहरसा टाईम्स के दखल के बाद ही उन्हें इस घटना के बारे में जानकारी मिल पायी।
सहरसा टाईम्स के लगातार फोन से परेशान सिविल सर्जन डॉक्टर भोला नाथ झा डेढ़ घंटे के बाद सदर अस्पताल पहुंचे।सच की एक्सक्लूसिव तस्वीर  देखिये हमारे कैमरे के सामने और हमारी मौजूदगी में विरोधी दल के नेता उनका किस तरह से क्लास लगा रहे हैं।हमने भी कई सवाल उनसे किये।देखिये सच की इस नंगी तस्वीर को।हमारे सामने इस पीडिता की मरहम---पट्टी और इलाज किस तरह से शुरू हुआ है।इस तमाम कवायद के बाद भी सिविल सर्जन खुद को या फिर स्वास्थ्य महकमा को कहीं से भी लापरवाह मानने को तैयार नहीं हैं। इस करमजली महिला की जिन्दगी आगे बच सकेगी की नहीं इसपर तो हम कोई शब्द फिलवक्त नहीं दे पायेंगे लेकिन एक बार सहरसा टाईम्स ने फिर से सामाजिक सरोकार के अपने दायित्व का निर्वहन किया,हम यह जरुर कहेंगे। मरीज की जान बची वह भी ठीक चली गयी वह भी ठीक।यहाँ हम नहीं सुधरेंगे,चाहे दुनिया इधर से उधर हो जाए।तमाम बदरंग आलम के बाबजूद सहरसा टाईम्स सच की मुखालफत करते हुए बार--बार ऐसी तस्वीरों के साथ आपके सामने आता रहेगा।हम अपना प्रयास तबतक जारी रखें जबतक सिस्टम के तमाम वाहियात छेद बंद नहीं हो जाते।

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।