सितंबर 04, 2012

रमेश झा महिला कॉलेज में लफंगे मजनुओं का मजमा

रिपोर्ट चन्दन सिंह  कोसी प्रमंडल के इकलौते अंगीभूत रमेश झा महिला कॉलेज में इनदिनों छककर तमाशा हो रहा है.साढ़े चार हजार से पाँच हजार की संख्यां में नामांकित बच्चियों के इस कॉलेज में हरवक्त लड़कों का जमावाड़ा लगा रहता है जिससे लड़कियों को काफी दिक्कतें हो रही हैं. आलम यह है की मनचलों--मजनुओं के हुजूम की वजह से यह कॉलेज परिसर शिक्षण स्थल की जगह पूरी तरह से पिकनिक स्पॉट में तब्दील है. कॉलेज की प्राचार्या के लाख मना करने के बाबजूद लड़कों की भीड़ थोड़ी भी कम नहीं हो रही है.हद की इंतहा तो यह है की हलकान--परेशान कॉलेज कर्मी अपने हाथ खड़े किये लाचार, बेबस और फरियादी बने दिख रहे हैं.कहना लाजिमी है की लडकों की भीड़ से बच्चियां और कॉलेज प्रबंधन पूरी तरह से परेशान--परेशान हैं.कॉलेज के इस नज़ारे से लड़कियों के परिजनों प़र क्या बीत रही होगी इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है.
रमेश झा महिला कॉलेज में लफंगों का मजमा
1972 में स्थापित यह है कोसी प्रमंडल का इकलौता अंगीभूत रमेश झा महिला कॉलेज,सहरसा.प्रमंडल की साढ़े चार हजार से पाँच हजार बच्चियां इस कॉलेज में नामांकित हैं.लेकिन इस कॉलेज के भीतर घुसते ही आप भौचक रह जायेंगे.आपको भीतर का नजारा देखकर यह कहीं से नहीं लगेगा की यह महिला कॉलेज है. अन्दर से यह कॉलेज  को-एडुकेशन के जैसा दिखने में लगता है. इस कॉलेज में लड़कों का जमावड़ा लगा रहता है.पहली नजर में तो आपको यह लगेगा की कहीं ये सभी युवक इसी कॉलेज के तो नामांकित छात्र नहीं हैं.लेकिन ऐसा नहीं है.कुछ युवक यहाँ अपनी रिश्तेदार लड़की के बहाने इस कॉलेज में घुसे ते है तो कुछ आँखें सेंकने के लिए.यहाँ की ज्यादातर भीड़ मनचले और मजनुओं की रहती है. यह कॉलेज पूरी तरह से पिकनिक स्पॉट में तब्दील है.आलम यह है की राह चलते जिसे जी में आया वह भीतर घुसा और नजरें चार करने में जुट गया.जाहिर तौर पर इससे लड़कियों को काफी दिक्कतें होती होंगी. यहाँ की भीड़ से लडकियां और उसके परिजन भी खासे परेशान हैं.लडकियां कहती हैं की लड़कों की भीड़ की वजह से उन्हें काफी दिक्कतें होती हैं.उनकी राय में लड़कों को खुद सोचना चाहिए और उन्हें भीतर नहीं आना चाहिए.लड़कियों के परिजन भी लड़कों की इस भीड़ को नाजायज बताते हुए इसे रोकने की बात कर रहे हैं.
इस कॉलेज के बिगडैल नज़ारे को कब बदला जा सकेगा,फिलवक्त कयास लगाना मुमकिन नहीं है.अभी हम इतना जरुर कहेंगे की इस कॉलेज का मौसम ठीक नहीं है.आगे रब की निगेहबानी से ही जल्दी से इस के दिन बहुरने के आसार हैं.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।