अप्रैल 08, 2012

एक लाख में हुआ बच्ची का सौदा

भूख,बेकारी,अभाव और बीमारी से भरे कोसी के इलाके में मासूम बच्चियों की खरीद--फरोख्त का धंधा बदस्तूर जारी है.गरीबी की मार और पैसे की लालच में कभी खुद माँ--बाप अपनी बच्चियों का सौदा दलालों के हाथों कर डालते हैं तो कभी मजबूर बच्चियां खुद दलाल की चंगुल में फंसकर बिक जाती हैं.ताजा घटना में एक मासूम बच्ची का सौदा एक राजस्थानी व्यक्ति से एक महिला दलाल के द्वारा एक लाख में हुआ था जिसकी शादी सदर थाना के शंकर चौक स्थित शिव मंदिर में बीती रात हो रही थी.किसी ने इस बात की सूचना सदर थाना के पुलिस को दी.फौड़ी कारवाई करते हुए रात के दो बजे पुलिस मंदिर पहुंची जहां उसने राजस्थानी दुल्हे के साथ--साथ महिला दलाल को ना केवल गिरफ्तार कर लिया बल्कि बर्बाद होने जा रही बच्ची को भी सकुशल बरामद कर लिया..सहरसा के धमसैनी गाँव की रहने वाली अमिला देवी नाम की एक महिला दलाल ने अमीषा नाम की तेरह वर्षीय नाबालिग बच्ची का सौदा एक लाख रूपये में राजस्थान के रहने वाले प्रेम कुमार से किया था.सौदा पक्का था और वायदे के मुताबिक़ बच्ची विवाह के रस्म अदायगी के बाद राजस्थानी दुल्हे को सौंपी जाने वाली थी लेकिन कुदरत को यह मंजूर नहीं था.जाहिर सी बात है की यही वजह थी की हमेशा अपनी लेट--लतीफी को लेकर बदनाम रहने वाली सहरसा पुलिस इतनी चुस्त निकली की उसने सही वक्त प़र मंदिर पहुंचकर लड़की को बर्बाद होने से बचा लिया.अमीषा मधेपुरा जिला के कोरलाही-सुखासन गाँव की रहने वाली है लेकिन छः माह पूर्व वह गुस्से में घर छोड़कर भाग गयी थी.उसके माता--पिता और अन्य रिस्तेदार लुधियाना में रहते हैं.अमीषा की मानें तो जिसे महिला दलाल कहा जा रहा है,वह दलाल नहीं है.उसी ने छः माह पूर्व उसे अपने घर में पनाह दी थी,जब वह सड़कों प़र भटक रही थी.अमिला देवी नाम की महिला दलाल को वह दलाल मानने से साफ़ तौर प़र इनकार करती है और कहती है की यह शादी उसकी मर्जी से हो रही थी,उसका सौदा नहीं हुआ था.महिला दलाल अमिला देवी भी खुद को दलाल होने से इनकार कर रही है.उसका कहना है की लड़की की मर्जी से उसका विवाह किया जा रहा था.उसने दलाली के तौर पर कोई रकम नहीं ली है.लड़की और महिला दलाल के बीच इतने गहरे ताल्लुकात हैं की सारे सच को दफनाने की कोशिश हो रही है.

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।