अप्रैल 10, 2012

पुलिसिया जुल्म से कराहता सहरसा का रामपुर गाँव

सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर थाना के रामपुर गाँव में बेमौसम पुलिसिया आफत का कहर बरपा है.पुलिस दिन में तो जब चाहे इस गाँव में आकर उधम मचाती ही है,हद तो यह है की रात में भी किसी वक्त पुलिस इस गाँव में पहुंचकर किसी भी घर का दरवाजा खटखटाती है और घर खोलने को यह कहकर मजबूर करती है की घर का दरवाजा खोलो नहीं तो दरवाजा तोड़ डालेंगे.दरवाजा को बुजुर्ग महिला,महिला या कोई लड़की खोलती है तो उससे क्रमशः सवाल किये जाते हैं की तुम्हारा बेटा,पति और भाई कहाँ है,उसी ने वायरलेस सेट लिया है.गाँव का हर घर दहशत और खौफ के साए में है.जाहिर सी बात है की इस गाँव में शोले का गब्बर या किसी बड़े अपराधी गिरोह से कोई दहशत नहीं है बल्कि यह डर और भय पुलिस से है.हम आपको घटना को लेकर तफसील से बताते हैं की आखिर पुलिस इतनी  बेदर्दी प़र क्यों उतरी हुई है.रामपुर गाँव में रामनवमी और चैती दुर्गा पर्व के मौके प़र दो दिवसीय ऑर्केस्ट्रा प्रोग्राम का आयोजन एक और दो अप्रैल को दो दिवसीय किया गया था.एक अप्रैल को प्रोग्राम हुआ लेकिन उसमें मारपीट हो गयी जिस वजह से दो अप्रैल को प्रोग्राम स्थगित कर दिया गया.इस वजह से रामपुर गाँव वालों और बगल के गाँव सरोजा के ग्रामीणों के बीच ना केवल जमकर मारपीट हुई बल्कि गोलीबारी भी हुई.हद बात तो यह थी की सारा बबाल पुलिस की मौजूदगी में हुआ.गुस्साए लोगों ने उस समय पुलिस को भी अपना निशाना बनाया और पुलिस प़र ना केवल जमकर पथराव किये बल्कि पुलिस जवानों को दौड़ा--दौड़ा कर पीटा भी.पुलिस को अपमी जान बचाने के लिए गोलीबारी भी करनी पड़ी थी.करीब तीन घंटे तक पूरा इलाका रणक्षेत्र में तब्दील रहा.इस घटना में जहां दो ग्रामीणों को गोली लगी थी वहीँ करीब तीन दर्जन लोग अफरातफरी में जख्मी हुए थे.यही नहीं इस घटना में एक हवलदार सहित करीब ढाई दर्जन पुलिस के जवान भी घायल  हुए थे.इसी अफरातफरी में गुस्साए लोगों ने पुलिस जीप को ना केवल क्षतिग्रस्त कर दिया था बल्कि जीप की बैटरी और जीप में रखा वायरलेस सेट भी उड़ा ले गए थे.अब खासकर के इसी वायरलेस सेट की बरामदगी के लिए पुलिस के जवान गाँव वालों की चैन छीनकर उनकी आँखों की नींद उड़ा दी है.पूरे गाँव में दहशत का माहौल है.गाँव से पचहत्तर प्रतिशत लोग भाग चुके हैं और जो बचे हैं वे घर की जगह खेत और नजदीक के जंगल में शरण लिए हुए हैं.हर घर बेदम हो रहा है.दहशत में डूबी घर की महिलायें और बुजुर्ग अपनी तकलीफ को खुलकर बता रहे हैं.घर में अनाज--पानी नहीं है.आसपास की सारी दुकाने बन्द हैं.घर के मर्द पलायन कर चुके हैं.ऐसे में भोजन प़र भी आफत है.लगता है की इस गाँव में अघोषित कर्फ्यू लागू है.गाँव के लोग मीडियाकर्मी से कहते हैं की वे लोग चंदा करके रूपये देने को तैयार हैं.कोई उन्हें वायरलेस सेट खरीदकर ला दें जिसे वे पुलिस को सौंपकर इस मुसीबत से निजात पा सकें.इस गाँव में हर आँख खौफ की कहानी बयां कर रही है.अब तो आलम यह है की बुजुर्ग महिलायें रोटी--बिलखती ना केवल विलाप और क्रंदन कर रही हैं बल्कि कोई उन्हें इस मुसीबत से निजात दिला दे की गगनभेदी फ़रियाद भी लगा रही हैं.पुलिस के एक वायरलेस सेट ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है.स्थिति बद से बदतर होती जा रही है लेकिन इसपर आलाधिकारी कोई ठोस और मजबूत पहल की बजाय क्रूरता बरसाने प़र आमदा हैं.नक्सल क्षेत्र के जो हालात होते हैं पुलिस ने वहीँ हालात इस गाँव में पैदा भर करके नहीं बल्कि काबिज करके रख दिया है.हमारी नजर में इस सेट को वापिस कराने के लिए पुलिस द्वारा इस तरह से बर्बर कारवाई करना कहीं से भी जायज नहीं है.पुलिस लोगों को भरोसे में लेकर भी वायरलेस सेट की तलाश कर सकती है या फिर लोगों से सेट वापिस करने के लिए आग्रह--अनुग्रह कर सकती है.लेकिन ब्रिटिश पुलिस की तरह यह दादागिरी दिखाना पुलिस के काले और बदसूरत चहरे को दर्शा रहा है जो उसकी सेहत और छवि के लिए कहीं से भी अच्छा नहीं है.मामला काफी बिगड़ा हुआ है इसमें अब राज्य सरकार के साथ--साथ राज्य मुख्यालय को खुद से हस्तक्षेप करना चाहिए.यूँ ये सुशासन की पुलिस है भैईये,इनपर अब किसी का जोर नहीं चलता.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।