दिसंबर 20, 2011

मासूमों पर बेइंतहा जुल्म


दरिंदगी के शिकार बच्चे
मौका मिलते ही लोग कमजोरों पर अपनी ताकत दिखाने से बाज नहीं आते.सहरसा के बंगाली बाजार में चोरी के आरोप में दो मासूम नौनिहालों को जंजीर में जकड़कर इसतरह रखा गया था मानो वे किसी आतंकी संघटन के बड़े दहशतगर्द और खून चटोरे हों.ऐसा लग रहा था की सैलाब की तरह उमड़े लोग जंजीर में जकड़े इन मासूमों को अपने सामने देखकर एक तरह से अपनी मूछें तरेरकर अपनी ताकत दिखा रहे हों.हद बात तो यह भी थी की इस तमाशे में एक पुलिस वाला भी अपनी बेशर्मी दिखाने के लिए वहाँ मौजूद था.
सहरसा के सदर थाना क्षेत्र के अत्यधिक भीड़--भाड़ वाले इलाके बंगाली बाजार का.यहीं पर गैस सिलेंडर और फल चुराने के आरोप में दो मासूमों को ना केवल जंजीरों में जकड़कर रखा गया है बल्कि उसमें ताले भी जड़ दिए गए हैं.देखिये इन दोनों मासूमों को.आँखें आंसुओं से तर हैं.पाँव में ताले जड़ी बेड़ियाँ और हाथों में बंधी रस्सियाँ,इनपर हुए बर्बर जुल्म की कहानी बयाँ कर रहे हैं.तीन घंटे से ज्यादा इन्हें  इसी तरह से तड़पा-तड़पा के रखा गया. दो बच्चे इस तरह जुल्म झेल रहे हैं और लोग भीड़ की शक्ल में तमाशबीन हैं.पत्थर बने लोगों को इन बच्चों की आँखों से बह रहे मोटे--मोटे आंसू पर भी कोई तरस नहीं आ रहा है.लोगों का कहना है की इन बच्चों ने गैस सिलेंडर और फल चुराएं हैं इसलिए इनके साथ ऐसा सलूक किया जा रहा है.
विजय ठाकुर,पुलिस जवान
सहरसा पुलिस की बेशर्मी की जिन्दा मिशाल हैं.दो बच्चों पर जुल्म ढाए    जा रहे हैं और ये पुलिस का जवान भीड़ का एक हिस्सा बना ना केवल बेशर्मी की सारी दीवारें गिरा रहा है बल्कि यहाँ मौजूद लोगों का हौसला भी बढ़ा रहा है.
सहरसा टाइम्स  की पहल के बाद पहले तो इन मासूमों को सदर थाना ले जाया गया जहां इनसे पूछताछ के बाद उन्हें मुक्त कर दिया गया.आखिर आज भीड़ क्यों कानून को अपने हाथों में लेने को आमदा है.अगर यही आलम रहा तो फिर पुलिस और अदालत की क्या और कैसी जरुरत रह जायेगी.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।