मार्च 12, 2017

भारतीय जीवन बीमा निगम पर लगा गंभीर आरोप....

eXclusive Report 
सवालों के घेरे में भारतीय जीवन बीमा निगम....
आप भी हो जायें सावधान....

मो० अजहर उद्दीन की स्पेशल रिपोर्ट ------भारतीय जीवन बीमा निगम को देश स्तर पर आम जनों के बीच बीमा करने में लोगों के दिल में एक अलग पहचान और भरोसा बना लिया हैं और ये संस्थान काफी पुरानी बीमा संस्थान हैं. जिससें लोग आँख बंद कर अपने और अपने लोगों का बीमा इस संस्था में करवा देते हैं जिससें समय पर लोगों को इस बीमा का उचित लाभ ससमय मिल सकें. लेकिन अब इस बीमा कंपनी की कुछ अलग तस्वीर सामने आ रही हैं।  
गौरतलब है कि सोनवर्षा राज ग्राम व पोस्ट-देहद, जिला-सहरसा के निवासी अशोक कुमार (सहायक शिक्षक) जो की 28/10/2001 में भारतीय जीवन बीमा निगम, सहरसा ब्रांच में एजेंट के द्वारा बीमा करवाया था जिसका पॉलिसी नम्बर 521889659 प्रीमियम साल में दो बार 3,836/- रुपया के दर से दे रहें थे ।
वर्ष 2016 में उनका मैच्यूरिटी अमाउंट पूरा होना था पॉलिसी के हिसाब से उन्हें 1,64,000/- रुपया मिलना था लेकिन समय पूरा होने पर उन्हें मात्र 28,696/-रुपया ही उनके बचत खाते 11770690812 स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में भुगतान हुआ। शेष 1,35,304/- रुपया कम मिलने से उन्होंने इसकी बात बीमा कार्यालय, सहरसा में की तो इन्हें पता चला की 1,35,304/- रुपया आपका होम लोन में कट गया हैं ये सुन कर में काफी अचरज में पर गया और मैंने कार्यालय कर्मचारी से कहा कि मैंने आज तक कोई लोन नहीं लिया हैं तो ये रुपया कैसे कटा और किस लोन में काटा गया मुझें उसका कागजात दीजिये, लेकिन कहा गया ये जाँच का विषय हैं जाँच होगा आप बाद में आयें। ये कहानी अक्टूबर 2016 की हैं। तब मैंने दिसंबर माह में भारतीय जीवन बीमा निगम के Executive Director (CRM), Mumbai को पत्र और मेल भेजा और जिसकी प्रतिलिपि जिला अधिकारी, सहरसा को भी मेल किया लेकिन अब--तक कोई संतोषजनक जबाब कहीं से नहीं आया।


मैं लगातार स्थानीय कार्यालय के सम्पर्क में हूँ लेकिन वहाँ से भी टालमटोल किया जा रहा हैं और कहा जा रहा हैं कि उच्च स्तरीय जाँच हो रही हैं जल्द आपको आपकी धन राशि मिल जायेगी। शेष धन राशि के वापस करने की ना तो मुझें कार्यालय से कोई लिखित आवेदन मिल रहा हैं ना ही तसल्ली भरी बातें की जा रही हैं।मैं पेर से शारारिक रूप से विकलांग भी हूँ।और सोनवर्षा में शिक्षक के रूप में कार्यरत हूँ।जिससें समय निकाल कर कार्यालय के चक्कर लगा--लगा कर अब थक चूका हूँ।ये जुबानी बीमा धारक अशोक कुमार की हैं जो भारतीय जीवन बीमा निगम पर धोखाधड़ी और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगा रहें हैं।मामला जो भी हो लेकिन अगर ये सच हैं तो लोगों का विश्वास अब बीमा की इस संस्थान से भी उठ जायेगा।जो करोड़ों लोगों के दिल पर आज तक पूरे भरोसे के साथ राज करती आ रही हैं।

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।