फ़रवरी 15, 2017

पत्रकारिता के एक युग का हुआ अंत


कोसी -- सीमांचल के एक मजबूत हस्ताक्षर नहीं रहे दशकों से पत्रकारिता का अलख जगाने वाले वयोवृद्ध पत्रकार सह छायाकार धर्मवीर गुप्ता की हुयी मृत्यु प्रेस क्लब में पत्रकार, नेता, अधिकारी, समाजसेवी, बुद्धिजीवी सहित आम लोगों ने किया उनका अंतिम दर्शन, जताया शोक करीब पांच दशक से पत्रकारिता में थे सक्रीय.  
मुकेश कुमार सिंह की ख़ास रिपोर्ट ----

करीब पांच दशक से एक छायाकार और पत्रकार के तौर पर समाज को अपनी विशिष्ट सेवा देने और अनमोल छाप छोड़ने वाले वयोवृद्ध धर्मवीर गुप्ता ने आज सुबह अंतिम सांस ली और दुनिया को अलविदा कह दिया ।कोसी और सीमांचल के एक कलमकार,छायाकार, साहित्य के पुरोधा का नहीं बल्कि सही मायने में आज पत्रकारिता जगत के एक युग का अवसान हो गया । 

सहरसा जिला मुख्यालय के डीबी रोड स्थित उनके आवास में ही उनका निधन हुआ ।परिजनों के मुताबिक बीती रात करीब साढ़े दस बजे खाना खाकर वे अपने कमरे में सोने गए ।लेकिन आज रोज की तरह सुबह में नहीं जागे, तो घर के लोग कमरे में दाखिल हुए।बिस्तर पर धर्मवीर गुप्ता सोने की मुद्रा में लेटे थे लेकिन वे इस दुनिया से कूच कर चुके थे । धीरे--धीरे घर के लोग जमा हुए और फिर रोदन और क्रंदन का दौर शुरू हो गया । मौत की खबर हम पत्रकार बिरादरी को भी मिली । बिना समय गंवाए हम और कुछ पत्रकार भाई दिवंगत के घर पहुंचे और आगे की सारी जिम्मेवारी अपने काँधे पर ले ली ।हमने क्षेत्र के पत्रकारों अधिकारियों,समाजसेवियों,डॉक्टर,प्रोफेसर से लेकर तमाम ऐसे लोगों को इस घटना की जानकारी दी,जो दिवंगत से अवगत थे ।धीरे--धीरे लोगों का कारवां मृतक के घर पर जमा हो गया । सभी को सदमा लगा था और सभी शोक जता रहे थे ।
मृतक धर्मवीर गुप्ता कई अखबारों का सफर तय करते हुए फिलवक्त उर्दू अखबार कौमी तंजीम के लिए लिखते थे और स्वतन्त्र फोटोग्राफी करते थे । उनकी फोटोग्राफी की तारीफ प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी,अटल बिहारी बाजपेयी,कई महामहिम राज्यपाल और सूबे के मुख्यमंत्री ने खुले मंच से किया था ।
धर्मवीर गुप्ता की सब से खास बात यह थी की वे जब भी किसी कार्यक्रम की फोटोग्राफी करते थे,तो उस फोटोग्राफी की सारी तस्वीरें अपने खर्चे पर बनवाकर उस कार्यक्रम के संचालक या उससे जुड़े लोगों तक पहुंचा देते थे ।कोसी प्रमण्डल सहित सीमांचल के सभी जिले के बड़े अधिकारी दिवंगत धर्मवीर गुप्ता की काफी ईज्जत करते थे ।अपने पुरे पत्रकारिता जीवन में उन्होनें ना तो किसी के लिए किसी अधिकारी से कोई पैरवी की और ना ही पिछले रास्ते से कोई कमाई की । ईमानदार पत्रकारिता की वह एक नजीर थे ।आज उनकी मौत को हम जीवंत मौत मानते हैं ।परिवार के किसी भी सदस्य पर बिना बोझ बने वह इस दुनिया से चल बसे ।दिवंगत धर्मवीर गुप्ता की उम्र करीब 78 वर्ष थी ।कुछ वर्ष पूर्व ही उनकी पत्नी का देहांत हुआ था ।दिवंगत को कोई संतान नहीं थी ।
दिवंगत के शरीर को हमलोगों ने दिन के एक बजे सुपर बाजार स्थित प्रेस क्लब में लोगों के अंतिम दर्शनार्थ रखा ।सदर एसडीओ जहांगीर आलम, एसडीपीओ सुबोध विश्वास, डीपीआरओ बिन्दुसार मण्डल, राजद नेता अजय कुमार सिंह, मोहम्मद ताहिर, जन अधिकार पार्टी के शैलेन्द्र शेखर, जदयू के  सुरेश लाल, अमर यादव, कांग्रेस के कुमार हीरा प्रभाकर, कई और राजनितिक दल के नेता, डॉक्टर्स, प्रोफेसर, विभिन्य विभागों के अधिकारी सहित सैंकड़ों की संख्यां में पत्रकारों ने पुष्प अर्पित कर मृतक को श्रधांजलि दी। पत्रकारों में हमारे सिवा जागरण के प्रभारी कुंदन सिंह, अमरेंद्र कांत, प्रभात खबर के प्रभारी दीपांकर, मनोज कुमार, दैनिक हिन्दुस्तान के प्रांजल सुमन, रंजीत कुमार, राष्ट्रीय सहारा के मनोज कुमार सिंह, सोनभद्र एक्सप्रेस के बीएन सिंह पप्पन, भार्गव कुमार, दैनिक भास्कर के प्रभारी मनोज कुमार झा, तरुण मित्र के प्रभारी मनोज कुमार, सिदार्थ शंकर, बी टीवी के पंकज कुमार सिंह, सहारा समय के नीरज सिंह, आजतक के धीरज सिंह, कशिश न्यूज के रणजीत सिंह, न्यूज नेशन के वंदन वर्मा, राष्ट्रीय सहारा उर्दू के प्रभारी मोहम्मद जियाउद्दीन, न्यूज 24 के अमित कुमार, एबीपी के मुकेश कुमार चुन्नू, आईबीएन 7 के कुमार अनुभव, जी पुरवईया के विशाल कुमार, एएनआई के आनंद झा, सहरसा टाईम्स के चन्दन सिंह, कोसी एक्सप्रेस के कुणाल किशोर, वर्ल्ड टीवी न्यूज के बिहार हेड विकास कुमार, समकालीन तापमान के तेजस्वी ठाकुर, लाइव सिटी के अमित अमर, संदीप कुमार, आलोक झा, रमण ठाकुर सहित इलाके के सैंकड़ों पत्रकार मौजूद थे ।
मृतक का दाह--संस्कार मधेपुरा जिले के भिरखी में किया गया ।मोटे तौर पर कोसी और सीमांचल के पत्रकारिता जगत का एक महारथी चला गया जिसकी भरपाई आने वाले दिनों में,बेहद मुश्किल है ।जाहिर तौर पर एक शून्य सा छोड़ गए मृतक धर्मवीर गुप्ता ।उनकी आत्मा को ईश्वर शान्ति दे,इसकी हम अंतरतम से कामना करते हैं ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।