फ़रवरी 06, 2017

उर्दू जुबान को जिन्दा रखने की जरूरत....

उर्दू हमारी कीमती विरासत है.... 
सभी भाषाओँ की तरह इसे भी रखे जिन्दा....
स्कूल और कॉलेजों से गुम हो रही है उर्दू की तालीम....
मो० अजहर उद्दीन की रिपोर्ट-------
सभी भाषाओँ की अपनी अलग एक पहचान और वजन होती है उसमें उर्दू भाषा की भी अपनी एक अलग पहचान है । उर्दू भाषा शादियों से ही चली आ रही है जिसे हर घर--घर में जिन्दा रखने और उर्दू भाषा को करीब से पहचाने के लिए सहरसा जिले के स्थानीय सुपर बाजार कला भवन में जिला स्तरीय उर्दू विकास कार्यशाला सह सेमिनार 2017 कार्यक्रम मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग (उर्दू निदेशालय), बिहार के सौजन्य से करवाया गया। उर्दू विकास कार्यशाला सह सेमिनार का उद्धघाटन जिला पदाधिकारी, सदर अनुमंडल पदाधिकारी, डी० डी० सी०, डी० पी० आर० ओ०, इसराईल राईन, डॉक्टर मो० मोईउद्दीन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया ।
कार्यशाला के प्रथम चरण में लोगों के दिल और दिमाग से उर्दू भाषा दूर होने पर कार्यशाला में मौजूद उर्दू के जानकार लोगों ने अपनी--अपनी बातें रख कर उर्दू भाषा की सही पहचान लोगों के दिल और दिमाग में उतारने की कोशिश की ।
उर्दू किसी की एकलौती भाषा नहीं है बल्कि ये देश की भाषा है अगर ये हमारे देश से गुम हो रही है तो इसकी चिंता सभी को करनी होगी और इसे जल्द से जल्द अपनी जेहन में उतारना होगा ।उर्दू भाषा सिर्फ मदरसों तक ही सीमित रह गई जो काफी चिंता की बात है सभी विषयों की तरह उर्दू की भी बेहतर पढ़ाई सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों और संस्थानों में होनी चाहिये जिससें उर्दू भाषा को पुरे देश में जिन्दा रखा जा सकें।
 इस कार्यशाला में डॉ० अबुल कलाम, मुक्तेश्वर मुकेश, प्रो० अब्दुल हन्नान सुब्हानी, मो० मोइउद्दीन राईन, धनिकलाल मुखिया, ओम प्रकाश नारायण, अंजुम हुसैन, मो० तारिक, परवेज रफत, मो० इजहार, टिंकू, हाफिज मो० चाँद और सैकड़ों लोगों ने शिरकत किया । दिन के दुसरें चरण में शाम 7 बजे से महफ़िल-ए-मुशायरा प्रोग्राम का आयोजन किया गया है जिसमें देश और दुनियां के जानेमाने महशूर शायर और नामचीन हस्ती शामिल हो रहे है जो अपनी आवाजों के फनकार और उर्दू के लब्जों से इस महफ़िल को डुबो डालेगे ।       

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।