अक्तूबर 12, 2016

दो समुदाय के बीच बड़ी वारदात होने से टला..

ना हिन्दू हैं हम,ना सिख,ना ईसाई और ना ही  मुसलमान हैं हम
हमने पुरे विश्व में करा दी है मुनादी,की खालिस हिन्दुस्तान हैं हम
बाबजूद इस पैगाम के आपसी तनाव से मन होता है मैला
सब्र,एहतियात,प्रेम,भाईचारे और ख़ामोशी से संवरते हैं रिश्ते
दो समुदाय के बीच बड़ी वारदात होने से टला 

मधेपुरा से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---->> अभी पाकिस्तान की काली करतूतों से जहां पूरा देश उबल रहा है वहीं आपसी भाईचारा भी कुलाचें भर रहा है ।ऐसे में हिन्दू--मुस्लिम भाई की किसी बात पर टकराहट बड़े नुकसान की गवाह बन सकता है ।
मधेपुरा जिले के बिहारीगंज में माँ दुर्गे की मूर्ति  विसर्जन के दौरान दो समुदायों के बीच तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई ।कल रात जहाँ आक्रोश में कुछ घंटे मूर्ति विसर्जन को रोक दिया गया और पुलिस--प्रशासन के खिलाफ लोगों ने जमकर नारेबाजी की ।यही नहीं एक समुदाय का आक्रोश इतना जबरदस्त था की स्थिति को सँभालने गए एसडीओ और एसडीपीओ के वाहन को भी उग्र भीड़ ने आग के हवाले कर दिया ।स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी ।जिस घटना से परहेज की पूरी तैयारी की गयी थी,उसपर पलीता लग रहा था ।स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए,बिना समय गंवाए मौके पर मधेपुरा डीएम, एसपी,सांसद और विधायक पहुंचे और बहुत मशक्कत के बाद उन्होनें लोगों को समझाने में कामयाबी पायी ।तब जाकर किसी तरह मूर्तियों का विसर्जन किया गया ।पुलिस--प्रशासन ने रात की घटना से सबक लिया है ।बिहारीगंज मार्केट में बड़ी संख्यां में पुलिस बल मौजूद है ।जाहिर सी बात है की यह आज मुहर्रम है और उसी को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है ।

मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए विवाद के पीछे आखिर वजह क्या थी ?इसे हमने जद से खंगालने की कोशिश की ।हमें जो जानकारी मिली उसके मुताबिक़ तनाव नवमी की रात ऑर्केस्ट्रा के दौरान शुरू हुआ जब बिहारीगंज के कुस्थन के रहने वाले एक युवक ने आर्केस्ट्रा कलाकार के साथ वहां ओछी हरकत शुरू कर दी ।लोगों ने पहले तो इसका विरोध किया लेकिन तनाव बढ़ने पर उक्त युवक के साथ जमकर मारपीट कर दी गई ।पुलिस ने उस युवक को अपने कब्जे में लिया और ईलाज करवाकर उसे छोड़ दिया ।बताया जाता है कि मार खाया युवक जख्मी शेर बन चुका था और उसने अपने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर दूसरे पक्ष को धमकाना शुरू कर दिया और बीती रात दूसरे पक्ष के एक युवक के साथ उनलोगों ने मारपीट की घटना को अंजाम दे दिया ।उसके बाद तनाव काफी बढ़ गया और लोगों ने कुछ घंटे के लिए रेलवे दुर्गा पूजा समिति,बिहारीगंज और बड़ी दुर्गा स्थान बिहारीगंज की मूर्ति विसर्जन रोक दिया ।घटना बड़ी घट सकती थी ।लेकिन पुलिस--प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधि की समय रहते मुस्तैदी ने एक काला इतिहास बनने से रोक दिया ।

 मूर्ति विसर्जन में विवाद और मुहर्रम को देखते हुए जब बड़े अधिकारी हंगामा शांत कराने मौके पर पहुंचे तो आक्रोशित भीड़ ने गांधी चौक पर एसडीओ औए सुभाष चौक पर एसडीपीओ की गाड़ी में आग लगा दी ।आनन-फानन में पहुंची दमकल की गाड़ी ने किसी तरह आग पर काबू पाया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी ।गाड़ी पूरी तरह जलकर बर्बाद हो चुकी थी ।जानकारी मिली की बिहारीगंज थानाध्यक्ष के रामपुर में दो पक्षों के बीच तनाव सुलझाने में व्यस्त रहने के कारण कनीय अधिकारी स्थिति को तुरंत सँभालने में असमर्थ रहे ।बाद में मधेपुरा डीएम मो० सोहैल, एसपी विकास कुमार, एएसपी राजेश कुमार, सांसद पप्पू यादव और स्थानीय विधायक निरंजन मेहता ने जाकर लोगों को समझाया तब जाकर किसी तरह मूर्तियों का विसर्जन किया गया ।हांलांकि फौरी कार्रवाई से तत्काल मामले को शांत करा किया गया है लेकिन इलाके में तनाव अभी भी व्याप्त है ।किसी भी नाजुक स्थिति से निपटने के लिए बड़ी संख्यां में पुलिस मौके पर कैम्प कर रही है ।
इस घटना को कहीं से भी छोटी घटना नहीं कहेंगे ।निश्चित रूप से पुलिस--प्रशासन की चूक इस घटना में झलक रही है ।ऐसे मौके पर महाभारत के संजय की तरह दृष्टि रखनी होगी ।वर्ना सतर्कता हटी और दुर्घटना घटी ।फिर उसका दंश लंबे समय तक झेलते रहिये ।कोशिश ऐसी होनी चाहिए की किसी भी सूरत में घटना घटे ही नहीं ।कोई भी पर्व और त्यौहार बिना प्रेम,भाईचारे,सहयोग, समर्पण और त्याग के सम्भव नहीं है ।ऐसे में थोड़ी सी नादानी नासूर ना बन जाए ।सबसे बड़ी जिम्मेवारी अवाम की है की वे अपने रिश्ते को मजबूत और प्रेम रस में डुबोकर रखें ।आपसी रिश्ता अपनेपन से लवरेज हो ।फिर पुलिस--प्रशासन के अधिकारियों को चाहिए की वे अपने कनीय कर्मियों से पल--पल संवाद बनाये रखें और कहीं भी विवाद को बढ़ने से पहले ही पाट लें ।यानि फुंसी को भगंदर ना बनने दें ।

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।