अक्तूबर 27, 2016

बिहार में बह रही है भ्रष्टाचार की गंगोत्री


निगरानी ने एक साथ दबोची भ्रष्टाचारी दो मछलियाँ 
पटाखा बिक्री के लायसेंस के नाम पर डेढ़ लाख की ले रहे थे घुस 
जयनगर के एसडीओ और एसडीपीओ की दिवाली हुयी काली 
बिहार में बह रही है भ्रष्टाचार की गंगोत्री 

मधुबनी से मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट----
बिहार के मधुबनी में निगरानी की टीम ने एक बार फिर ना केवल बड़ी कार्रवाई की है बल्कि उसने भ्रष्टाचार के आरोप में दो मछली मधुबनी के जयनगर में पदस्थापित एसडीपीओ और एसडीओ को घुस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है ।
मिली जानकारी के मुताबिक़ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने आज सुबह मधुबनी के जयनगर के एसडीपीओ (अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी) चंदन पुरी व एसडीओ (अनुमंडलाधिकरी) गुलाम मुस्तफा अंसारी तथा उनके बॉडीगार्ड्स को गिरफ्तार कर लिया ।दोनों अधिकारियों को एक पटाखा व्यवसायी से डेढ़ लाख रूपये घुस लेने के आरोप में दबोचा गया है ।यहां दो तरह की बातें सामने आ रही हैं ।पहली यह की पटाखे से ट्रांसपोर्ट की गाड़ी को छुड़वाने की गरज से रकम की मांग की गयी थी ।दूसरी जानकारी यह की दिवाली में पटाखा बेचने को लेकर लाइसेंस देने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा गया है ।
बताते चलें की आज सुबह करीब 10.30 बजे पटना से पहुंची निगरानी की टीम ने जाल बिछाकर यह कार्रवाई की ।चर्चा है कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ निगरानी विभाग को भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें मिली थीं ।इसके बाद टीम ने एक अधिकारी के बॉडीगार्ड को पटाखा व्यवसायिक रामवृक्ष से रिश्वत के लिए रुपयों के साथ पकड़ लिया ।
मोटे तौर पर दोनों अधिकारी दीपावली के अवसर पर पटाखा बेचने के लिए लाइसेंस निर्गत करने के बदले रिश्वत की मांग कर रहे थे ।इसकी सूचना व्यवसायी ने निगरानी को दी थी ।इसके बाद यह कार्रवाई की गई ।हमारे पास जो जानकारी है उस मुताबिक जहां एक लाख रूपये एसडीओ चंदन पुरी को लेने थे वहीं पचास हजार एसडीपीओ गुलाम मुस्तफा अंसारी को लेने थे ।
निगरानी की टीम ने घटना को अंजाम देकर तुरंत जयनगर से रवाना हो गयी ।किसी को कानोंकान खबर नहीं हो सकी ।मधुबनी एसपी दीपक बरनवाल से जब हमने बात की तो उन्होनें केवल इतना बताया कि किसी शिकायत के आलोक में दोनों अधिकारियों को निगरानी की टीम ने गिरफ्तार किया है ।अब उन्हें मुजफ्फरपुर स्थित निगरानी की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा ।
25 अक्टूबर को खगड़िया के उत्पाद निरीक्षक हैदर अली को निगरानी ने एक कारोबारी की केस डायरी कमजोर करने के लिए 31 हजार रूपये घुस लेते पकड़ा था ।यानि कह सकते हैं की सरकार के विभिन्य विभागों में घूसखोरी चरम पर है ।
भ्रष्टाचार की इन मछलियों के निगरानी की गिरफ्त में आने से इतना तो साफ़ हो गया है की बिहार में भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है ।लेकिन बड़ा सवाल यह मौजूं है की क्या वजह की डीएम,एसपी,और बड़े अधिकारी,प्रधान सचिव, सचिव,मंत्री,बिचौलिए,ठेकेदार और नेता निगरानी की गिरफ्त में नहीं आ रहे हैं ।या तो सरकार की तरफ से निगरानी को सीमा के अनुकूल काम करने का निर्देश प्राप्त है,या फिर निगरानी अधिक ताकतवर नहीं है और बहुत कुछ उसकी कुब्बत से बाहर है ।

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