अक्टूबर 24, 2016

शिक्षा में सुधार के नारे सिर्फ दिखावा......

सही चीजों की अभी भी हो रही अनदेखी 
कई विद्यालयों और महाविद्यालयों का निबंधन रद्द करने के पीछे बड़ी राजनीति
अच्छे विद्यालय और महाविद्यालय के निबंधन भी हो रहे हैं रद्द 
बिहार में चल रहा तुगलकी फरमान
मधेपुरा से मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट----बिहार में हुए टॉपर घोटाले से पुरे देश में बिहार की पूरी नाक कट गयी ।सरकार ने अपनी ईज्जत बचाने के लिए बड़े पैमाने पर विद्यालय और महाविद्यालयों की जांच शुरू करवाई ।लेकिन जिस तरह से जांच हुयी है और हो रही है,उसमें मनमाने तरीके से विद्यालय और महाविद्यालयों के निबंधन को रद्द किया गया है ।हम ताल ठोंक कहते हैं की इस जांच में भी ना केवल खूब उगाही हुयी है बल्कि राजनीति के मानक का भी ख्याल रखा गया है ।यूँ हमारे पास कई उदाहरण हैं जिसे हम करीने से अपने पाठकों के सामने परोस सकते हैं ।लेकिन एक आलेख में सभी को समेटना नामुमकिन है ।इसलिए हम इस आलेख में महज एक मामले के सच से अपने पाठकों को रूबरू करा रहे हैं ।ये सरकारी पदाधिकारी जनता की सेवा के लिए हैं  या शोषण के लिए।।।।।।।।।।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का एक मामला जिसको हम तुगलकी फरमान कह सकते हैं ।ज्ञातव्य हो की बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा हाल ही में नव संबंधन प्राप्त महाविद्यालयों एवं विद्यालयों की जाँच पाँच सदस्यों की समिति द्वारा करायी गई थी ।इसी क्रम में मधेपुरा जिला के उदाकिशुनगंज अनुमंडल में अवस्थित उदयनाचार्य विद्याकार कवि महाविद्यालय करामा उदाकिशुनगंज की भी जाँच की गई ।इस महाविद्यालय की विधि व्यवस्था,भवन, पुस्तकालय,सेमिनार हॉल,परीक्षा भवन,शिक्षक, छात्र/छात्रा,प्रायोगिक कक्ष,स्मार्ट क्लास देख कर जाँच करने वाले भी यह बोलने से अपने आप को नहीं रोक सके की मधेपुरा जिला क्या पुरे कोसी में ऐसा सम्बन्धन एवं अनुदानित प्राप्त महाविद्यालय नहीं देखा। 
जांचोपरांत मधेपुरा के 10 महाविद्यालयों जिनको निलंबित किया गया उनसे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा स्पष्टीकरण पूछा गया लेकिन उदयनाचार्य विद्याकार कवि महाविद्यालय करामा उदाकिशुनगंज को ना तो निलंबित किया गया ना ही इसकी मान्यता ख़त्म की गई ।
हद तो इस बात की है की इस मुतल्लिक कोई स्पष्टीकरण तक नहीं पूछा गया और ना ही कोई पत्र दिया गया ।इंतहा तो तब हो गयी जब इस महाविद्यालय पर  केवल तुगलकी फरमान सुनाते हुए F.I.R दर्ज करने का आदेश सुना दिया गया ।आपको यह जानकार बेहद हैरानी होगी की FIR का कारण बताया गया कि ये महाविद्यालय बिना अनुमति के छात्रों का एडमिशन,पंजीयन,फॉर्म ,परीक्षा प्रपत्र भरवा रहे हैं ।जबकि सच्चाई यह है की इस महाविद्यालय को वर्ष 2008 में ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा पत्रांक BSEB(SS)PRE-CONF/1143/08 दिनांक 4/08/2008 द्वारा कोड 6331 निर्गत कर दिया गया है और पत्रांक BSEB/SS/COLL-ESTAB/508/D/08 दिनांक 23/07/2008 द्वारा स्थापना अनुज्ञा की कोटि में रखने की सहमति का आदेश पत्र प्राप्त है ।तो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने किस आधार पर इस महाविद्यालय पर FIR दर्ज करते हुए छात्र--छात्राओं का पंजीयन प्रपत्र भरवाने से रोकने का आदेश दिया है ।यह तो बिल्कुल समझ से परे है ।इस तुगलकी आदेश से क्या आनंद किशोर की जांच टीम टॉपर घोटाले में फंसी सरकार को बचाने की कोशिश कर रही है या जनता का ध्यान भटका रही है ।
अभीतक 77 विद्यालय और महाविद्यालयों पर निबंधन रद्द करने की की गाज गिरी है ।सरकार का यह फैसला की मानक पर खड़ा उतरने वाले विद्यालय और महाविद्यालयो का निबंधन बरकरार रहेगा और नए निबंधन भी होंगे ।लेकिन तमाशा तो कुछ और ही चल रहा है ।वैसे हर साल टॉपर घोटाला चलता रहा और सरकार चैन की बंसी बजाती रही ।इसमें कतई दो मत नहीं की यह सारा खेल या तो सरकारी जानकारी में या फिर सरकारी इशारे पर होता रहा ।अभी भी वक्त गुजरा नहीं है ।सम्भव है बहुत चीजों से आनंद किशोर अनभिज्ञ रह रहे हों ।इससे नामचीन विद्यालय और महाविद्यालय का बंटाधार हो जाएगा ।उदयनाचार्य विद्याकार कवि महाविद्यालय करामा उदाकिशुनगंज मामले को पुनः देखने और उसपर फिर से आदेश निर्गत करने की जरुरत है ।आनंद किशोर के साथ--साथ शिक्षा मंत्री सहित खुद नीतीश कुमार को जागना होगा ।आखिर गलती दर गलती...यह सिलसिला कब थमेगा....कब पूरी तरह से रुकेगा ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।