सितंबर 07, 2016

कोसी का पीएमसीएच कहा जाने वाला सदर अस्पताल इनदिनों तांत्रिकों की गिरफ्त में....

सिविल सर्जन को भी अपनी काबीलियत और दवा से ज्यादा भरोसा है तांत्रिकों पर.....
अब मरीजों की कौन करे सेवा..........
सांसत में फंसी है मरीजों की जान.........

मुकेश कुमार सिंह की दो टूक-------सच में आज हम ना केवल परेशान हैं बल्कि डरे--सहमे हुए भी हैं ।सच मानिए तस्वीर के साथ जब आप भी पूरी कहानी को जानेंगे,तो आपका भी यही हाल,या फिर इससे भी बुरा हाल होगा ।इनदिनों सियासतदां,पुलिस--प्रशासन से लेकर सभी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी के हम पुरे निशाने पर हैं ।एकलव्य और अर्जुन ही नहीं राजवर्धन सिंह की तरह ये मुझपर निशाने लगाए बैठे हैं ।इसलिए कुछ भी लिखने से पहले हम साक्ष्यों का भरपूर जुटान कर लेते हैं की किसी शाही आदमजात को कोई मौक़ा ना मिले । आज हम कोसी इलाके के पीएमसीएच कहे जाने वाले सदर अस्पताल की कहानी लेकर हाजिर हुए हैं । हमारे पाठक यह जान लें की तक़रीबन पचास लाख की आबादी की इस अस्पताल से उम्मीद है । 
खासकर गरीब--गुरबों के लिए तो यह जिंदगी दायनी जन्नत है ।इस जिले के सबसे बड़े स्वास्थ्य अधिकारी सिविल सर्जन सह सीएमओ डॉक्टर अशोक कुमार सिंह है ।बड़े घराने के हैं और रसूख वाले भी हैं डॉक्टर साहब ।अस्पताल में मरीजों का ईलाज डॉक्टर और दवा से हो पायेगा, इसपर से इनका भरोसा उठने लगा है ।अस्पताल परिसर में ही ये एक जबरदस्त फ़िल्मी तांत्रिक से दुआ की खेप बटोरते रहते हैं ।देखिये डॉक्टर साहब किस तरह से अपने मस्तिष्क के जरिये तांत्रिक से आशीर्वाद ग्रहण कर रहे हैं ।डॉक्टर साहब के चेहरे की भाव--भंगिमा बता रही है की उनके सारे मनोरथ पुरे हो गए ।अब इसको लेकर तांत्रिक क्या सोच रहे होंगे,इसपर हम कुछ भी ज्यादा खुलकर नहीं बोलेंगे लेकिन इतना जरूर कहेंगे की आज इनकी भी बल्ले--बल्ले जरूर हुयी है ।
हमारा विषय है की इतने बड़े अस्पताल के विद्वान् चिकित्सक जो खुद सिविल सर्जन हैं जब वे किसी बाबा और तांत्रिक के भरोसे हैं,तो उनके मातहत के चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी भला क्या करेंगे ?वैसे हम अपने पाठकों को बताना चाहते हैं की कई तांत्रिक इस अस्पताल के रोजाना ना केवल चक्कर लगाते हैं बल्कि इमरजेंसी से लेकर विभिन्न वार्डों में घूम--घूमकर ईलाज के नाम पर मरीजों की झाड़--फूंक भी करते हैं ।यही नहीं अस्पताल परिसर के खुले मैदान में भी ये अक्सर अपनी दूकान सजाकर झाड़--फूंक करते हैं लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है । सिविल सर्जन के साथ एक तांत्रिक की तस्वीर को हम नजीर बनाना चाहे, जिससे आगे कोई बड़ी कार्रवाई हो ।सिविल सर्जन के तांत्रिक से आशीर्वाद लेती इस तस्वीर को लेकर हमने सोचा की इसे स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव को भेजूं । फिर मुझे खुद पर ही हंसी आई और मैंने यह विचार त्याग दिया ।लेकिन हम चुप बैठने वाले नहीं थे ।हम लगातार यह सोचते रहे की इस तस्वीर को किन्हें भेजें जिससे,इस अस्पताल का उद्धार हो सके । 
आखिरकार मन बनाया की सूबे के मुखिया नीतीश बाबू और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को यह तस्वीर भेजूं ।तस्वीर भेजने की हमने लगभग सारी प्रक्रिया अपना ली थी की अचानक ध्यान आया की लालू जी और नीतीश जी तो खुद लगातार तांत्रिकों से झाड़--फूंक करवाने जाते हैं ।मैं पसीने तर था और मेरे मनसूबे पर पानी फिर चुका था ।पानी पीकर हमने खुद को समझाया की चलो नरेंद्र मोदी जी को ही यह तस्वीर भेजता हूँ ।फिर अपने ज्ञान पर मुझे तरस आया की यह राज्य के अंदर का मसला है,इसमें प्रधानमंत्री कुछ नहीं कर सकते ।फिर सोचा पटना में बैठे स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को यह तस्वीर भेजूं ।असमंजस की स्थिति में लगभग मैंने यह फैसला ले लिया की यह तस्वीर प्रधान सचिव को ही भेजूंगा ।अचानक मुझे जदयू के प्रखंड अध्यक्ष के घर मिली शराब मामले में उत्पाद निरीक्षक को इनाम मिलने की जगह जेल भेजने का वाकया याद आ गया ।मुझे लगा की इस तस्वीर को ऊपर भेजने से कुछ भी नहीं होगा । इस तस्वीर को लेकर जब प्रधान सचिव नीतीश बाबू और लालू जी के पास जाएंगे तो फिर तीनों  मिलकर इस तस्वीर के साथ खो--खो खेलेंगे ।
इस आशीर्वाद लेती हुयी तस्वीर के अलावे एक और तस्वीर है जो मानवीय संवेदना के चीथड़े उड़ा रहा है ।एक तरफ सिविल सर्जन साहब तांत्रिक से आशीर्वाद ले रहे हैं तो दूसरी तरफ अपने जवान पति को खोकर पति की लाश पर एक अभागन विलाप कर रही है ।बिल्कुल अस्पताल परिसर की सड़क पर यह रोदन और कन्द्रन चल रहा है ।आसपास के लोग तमाशबीन बने हैं ।बड़ी बात और बड़े जिगर का इजहार तो तब होता जब लाश को उठाने में सिविल सर्जन साहब थोड़ी भी पहल करते और बेबा को सांत्वना के दो बोल कहते लेकिन सिविल सर्जन साहब को तो अपने ऊपर चमत्कार की बारिश की दरकार थी ।यह नजारा ठीक उसी वक्त का है ,जब सिविल सर्जन साहब सीधे आसमानी सत्ता के संपर्क में थे और इधर धरती पर एक बेबा दहाड़ मार कर रो रही थी ।खुद से लेकर घर --परिवार की सुख और समृद्धि के लिए आशीर्वाद लेते हुए सिविल सर्जन साहब अपना कर्तव्य और अपना मानवीय आचरण भी भूल गए ।हम सिविल सर्जन साहब और इस लाश दोनों की तस्वीर को देखकर बेहद हताश और निराश हैं ।
अपनी मानवीय समझ से हमने तस्वीर कहीं भी और किसी को भी भेजने का अपना इरादा अब त्याग दिया है ।हम इस तस्वीर को लेकर अपने पाठकों और जनता--जनार्दन से ही यह सवाल करते हैं की आखिर क्या होगा कोसी के पीएमसीएच कहे जाने वाले इस महान सदर अस्पताल का ?हमारी समझ से यह अस्पताल पूरी तरह से ना केवल भगवान के नियंत्रण में है बल्कि  भगवान भरोसे ही यह अस्पताल चल रहा है ।इस अस्पताल में भगवान और यमराज दोनों बैठते हैं । अगर कोई मरीज बच गया तो समझियेगा की भगवान ने ईलाज किया है और अगर कोई मरीज मर गया तो समझियेगा उसका ईलाज यमराज ने किया होगा ।

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