अगस्त 22, 2016

शराब लेकर फंसायेंगे ........


या मुलाहिजा होशियार ......
शराब लेकर फंसायेंगे .........
अब पत्रकार भी महफूज नहीं........ 
मकान की जगह खुले मैदान में भी मिली शराब की बोतल,तो खैर नहीं .......
शराब का टैंकर लेकर भी हमें  फंसायेंगे,तब भी हम सच लिखेंगे फाड़कर........

साजिश और सच की जंग का हम आज कर रहे आगाज .......

मुकेश कुमार सिंह की खड़ी--खड़ी और दो टूक-----
जनाब सबसे पहले हम यह बताना चाहते हैं की हम शराब नहीं पीते हैं लेकिन शराब पीने वाले कई नेता--मंत्री,रसूखदार,अफसरान,यहां तक की गुंडे--मवाली और पत्रकार तक को भी हम बाखूबी जानते हैं ।लेकिन जिस तरह से पुर्णिया में पत्रकार अशोक कुमार के साथ हुआ,वह हमें जंग छेड़ने का न्योता दे रहा है । पुर्णिया के पत्रकार अशोक कुमार को बीते शुक्रवार को उत्पाद विभाग की टीम घर से उठा कर ले गई ।विभाग को सूचना मिली थी की अशोक कुमार शराब के बड़े कारोबारी हैं और शराबबंदी के बाबजूद शराब बेचते हैं ।सूचना दाता के साथ जब शराब की खोज शुरू हुई तो उनके घर के बगल के बगीचे से प्लास्टिक में लिपटी हुयी शराब की सिर्फ एक बोतल,वह भी सूचना दाता ने ही खोज कर जंगल से निकाली ।बगीचे के बगल में पत्रकार अशोक कुमार की चारदिवारी है फिर उसके अंदर घर है ।आप हैरान मत होईये ! पूरी कथा सुनिए ।अशोक कुमार के ना ही घर से और ना ही चारदीवारी के अंदर से शराब की वह बोतल बरामद हुई, फिर भी उत्पाद विभाग उन्हें उठा कर ले गई ।हद की इंतहा जानिये की बगल की खाली जमीन में जो बगीचा है वो अशोक कुमार के नाम से भी नहीं है ।सिर्फ बगल में घर होने के वजह से उत्पाद विभाग की टीम उन्हें उठा कर ले गई ।जब सूचना दाता से सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने नया खुलासा किया की चाँद नाम के एक शख्स के कहने पर उसने ऐसा किया ।चाँद वही व्यक्ति है जिसके खिलाफ कई दिनों से पत्रकार अशोक कुमार लिखते आ रहे हैं । चाँद जिस्मफिरोशी के धंधे का सरगना है । सूचना दाता के कबूलनामे के बाद उत्पाद विभाग की टीम ने भी माना की अशोक कुमार को फंसाया गया है ।मगर,उत्पाद विभाग ने यह दलील दी की मेरा काम सिर्फ पकड़ना है ।मैं जज नहीं हूँ! ।जज सच्चाई जानकार छोड़ देंगे ।यह कहते हुए निर्दोष पत्रकार को जेल भेज दिया गया । 🎯 इस कांड के बाद पूर्णिया के पत्रकार काफी दहशत में है की कोई भी घर के बाहर शराब रखकर उन्हें फंसा सकता है ।रात में घर के लोग सोने की जगह रतजगा कर रहे हैं ।जग कर लोग पहरा कर रहे हैं की कहीं कोई छुप--छुपाके कहीं शराब रख,या फेंक ना दे ।इतना तो तय हो चुका है की पूर्णिया में खाली जमीन पर भी शराब फेंके रहने पर भी, उत्पाद विभाग आसपास के ख़ास लोगों को पकड़ रही है ।🎯

पत्रकार की गिरफ्तारी बेहद शर्मनाक ?
अशोक कुमार अगर शराब पीते पकड़े जाते,या फिर उनके घर से शराब बरामद होती तो,उत्पाद विभाग और पुलिस के लिए हम भी एक मजबूत गवाह बन जाते लेकिन जिस साजिश के तहत उनके सम्मान के चीथड़े उड़ाकर उन्हें जेल भेजा गया है,हम चुप नहीं बैठेंगे ।मुकदमा पुलिस और सरकार के विभिन्य विभागों पर भी होता है ।चमरी के सौदागर के लिए एक कलमकार को जेल भेजा गया है ।इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है ।पुर्णिया के पत्रकारों को बिना समय गंवाए,लामबंद होकर आवाज बुलंद करनी चाहिए ।

सहरसा सहित बिहार के पत्रकार रहिये खबरदार....
हम सहरसा सहित बिहार के सभी ऐसे पत्रकारों से अपील करते हैं की ""जो सच की पत्रकारिता करते हैं और जिनकी ख़बरों की वजह से शासन--प्रशासन से लेकर माफिया और गुंडे भी निशाने पर होते हैं "", ऐसे पत्रकार सजग और सतर्क रहें । खासकर पुलिस वाले ऐसी काली करतूत कभी भी कर सकते हैं ।वैसे थोड़ा हम अपने बारे में बताते चलें की कुछ अधिकारी,कुछ माफिया,कुछ रसूखदार और कुछ सियासतदां हमारी हत्या तक कराने की फिराक में हैं ।लेकिन हम दिन में कई बार मरने वालों में से नहीं हैं ।हम खुदा से जंग लड़ते हैं ।मौत तो एक दिन आनी ही है ।हम शेर की तरह मौत का कब से इन्तजार कर रहे हैं ।
शराब बना बड़ा हथियार...
जो घटनाएं सामने आ रही हैं और जो हालात दिख रहे हैं,उसमें शराब साजिश का एक उम्दा और सटीक हथियार बनता दिख रहा है ।वैसे पूर्ण शराबबंदी के बाद भी ऊँची कीमत पर शराब बिहार के हर जिले में बिक रही है ।और हद तो यह जानिये की,पुलिस और प्रशासन के अधिकारी, नेता जी,आमलोग और पत्रकार बंधू भी डूबकर पी रहे हैं  । लेकिन सड़क पर अब महफ़िल नहीं सजती है ।अब छुपकर सभी शराब पीते हैं ।शहर से लेकर गाँव तक आसानी से शराबी अभी के समय में नहीं मिलते हैं ।
सरकार इस मसले को देखे...
सरकार को शराब की बोतल से फंसाये जाने की इस नायाब और नयी परिपाटी पर नकेल कसने की अभी ही कोई जुगत करनी पड़ेगी । समय रहते अगर इसका कोई समाधान नहीं निकाला गया,तो आने वाले दिनों में बिहार की तमाम जेलों में निर्दोषों का मेला लगा रहेगा ।

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।