जून 02, 2016

मुश्किल समय में..............

यह समय
ईमानदारी से मुझे स्वीकारने के लिए
तैयार नहीं है

मैं पतलून की पॉकेट में सिगरेट नहीं रखता
सैंतालिस वर्षों बाद भी
दिखा जाता हूँ अक्सर

सड़क किनारे या पोस्टऑफिस के आसपास
साइकिल का पंक्चर बनवाते हुए

मशहूर कवियों से मेरे ताल्लुकात हैं
यह महसूस कर खुश हैं मेरे बच्चे
मुश्किल समय में
मैं अभी उबाऊ नहीं बना हूँ !


यह कविता अरविन्द श्रीवास्तव सर के द्वारा लिखी गई है और 
http://literaturepoint.com/
 पोस्ट की गई ही है.  

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।