मई 23, 2016

अब महापुरुषों की प्रतिमा भी सुरक्षित नहीं ........


** पुलिस--प्रशासन का खौफ हो रहा खत्म ......
** अपराधियों की बल्ले--बल्ले ............
** सुबाष चन्द्र बोस की प्रतिमा को तोड़ा........... 
मुकेश कुमार सिंह की कलम से....... अपराधी और असामाजिक तत्वों के हौसले गर बुलंद हों तो इंसानों की खैर नहीं ।आलम तो अब यह है की आतातायी अब महापुरुषों की प्रतिमा का सर कलम करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं । 
बीती रात सदर थाना के रिफ्यूजी चौक स्थित नेताजी सुभाष चन्द्र की प्रतिमा को उपद्रवियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। इस घटना से आहत स्थानीय लोगों ने ना केवल NH 106 को जाम कर यातायात को पूरी तरह से बाधित कर दिया है बल्कि प्रतिमा के पुनः स्थापन के साथ--साथ दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी और उन्हें फांसी की सजा हो इसकी जिद पर अड़े गए । वहाँ का मंजर का ऐसा था, मानो आक्रोशित लोगों का सैलाब उमड़ा हो ।आगजनी और नारेबाजी से लोग अपने आक्रोश को व्यक्त कर रहे थे । 
लोगों का साफ़ कहना है की जिन उपद्रवियों ने इस घटना को अंजाम दिया है उसकी गिरफ्तारी तुरंत हो और उन्हें फांसी की सजा हो । साथ ही क्षतिग्रस्त प्रतिमा के पुनः स्थापन के साथ उसकी सुरक्षा की पूरी गारंटी हो ।मौके पर लोग बड़े अधिकारियों को बुलाने की जिद पर अड़े थे । सुबह नौ बजे से पूरा चक्का जाम कर लोग आगजनी भी कर रहे थे ।
शुरूआती समय में मौके पर पहुंचे सदर थाना के एसएचओ संजय सिंह कह रहे थे की लोग बेहद आक्रोशित हैं ।उन्हें काम करने का मौक़ा लोग दें । पहले जिन्होनें इस घटना को अंजाम दिया है उसकी गिरफ्तारी वे सुनिश्चित करेंगे ।
आगे प्रतिमा के स्थापन को लेकर स्थानीय लोगों से बात कर समाधान ढूंढा जाएगा ।लेकिन लोगों ने एसएचओ की एक नहीं मानी । लोग बड़े अधिकारी मौके पर आएं इस जिद पर डटे थे ।बाद में मौक़ा ए वारदात पर एसडीओ जहांगीर आलम,एसडीपीओ सुबोध विश्वास और पुलिस कप्तान अश्वनी कुमार पहुंचे और लोगों को समझा--बुझाकर शांत कराया ।
यातायात दिन के दो बजे बहाल किया जा सका ।अधिकारियों ने बड़े--बड़े आश्वासन की घूंटी पिलाकर मामले को  शांत तो करा लिया लेकिन यक्ष प्रश्न यह है की क्या अब महापुरुषों की प्रतिमा और उनका सम्मान भी सुरक्षित रख पाना पुलिस---प्रशासन के लिए मिल का पत्थर है ।आखिर वे कौन लोग हैं जिन्होनें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा को तोड़ डाले और इसके पीछे आखिर उनकी मंशा क्या थी ?

1 टिप्पणी:

  1. बेनामीमई 23, 2016 4:04 pm

    saberaat me yahi sab hota hai.. 4 saal pahle sabeeraat me tiranga chowk par mandir me anda feka gaya tha.. mukesh ji apne kalam ko aazad rakhiye aur sach logo ko batadijiye..

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।