फ़रवरी 24, 2016

डॉक्टरों की हड़ताल का साईड इफेक्ट, मरीज के परिजन कर रहे हैं त्राहिमाम


मुकेश कुमार सिंह की कलम से :- आईएमए के बैनर तले जिले भर के डॉक्टरों की शुरू हुयी अनिश्चितकालीन हड़ताल का आज तीसरा दिन है हांलांकि इस हड़ताल का साईड इफेक्ट पहले दिन से ही दिखना शुरू हो गया था। इलाज के अभाव में 22 फ़रवरी की शाम में जहां एक मासूम बच्चे की मौत सदर अस्पताल में हो गयी थी वहीं सदर अस्पताल के आपातकालीन में भर्ती मरीज और इनडोर के मरीज भी त्राहिमाम कर रहे थे । सबसे पहले हम यह बताते चलें की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, डॉक्टरों से रंगदारी मांगने वाले अपराधियों की शीघ्रता से गिरफ्तारी और सभी डॉक्टरों को हथियार का अविलम्ब लाइसेंस मिले इसके लिए डॉक्टरों ने हड़ताल की है । 
हड़ताल के पहले दिन ही मधेपुरा जिले के मानपुर तरही टोला के रहने वाले सुभाष पासवान के तीनों बच्चे एक साथ बीमार हुए। डायरिया की शिकायत थी । इलाज के लिए पहले ये सुपौल सदर अस्पताल गए लेकिन वहाँ से इन्हें सहरसा के एक निजी क्लीनिक भेजा गया। लेकिन डॉक्टर की हड़ताल की वजह से इन्हें क्लीनिक में जगह नहीं मिली। ये कई क्लीनिक गए लेकिन हर जगह इन्हें फटकार और दुत्कार मिली। थक--हारकर ये सदर अस्पताल आये लेकिन यहां भी डॉक्टर हड़ताल पर थे । इस हड़ताल की आग और इलाज के अभाव में अस्पताल में इनका एक बच्चा दुनिया को अलविदा कह गया ।
इस हड़ताल का व्यापक असर है।आपको बताएं की अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में भर्ती अन्य मरीजों को भी सहरसा से बाहर भेजने का प्रयास किया जा रहा है ।मरीज के परिजन त्राहिमाम कर रहे हैं और कह रहे हैं की हड़ताल की वजह से उनके मरीज के पास ना तो डॉक्टर आ रहे हैं और ना ही नर्स आ रही है ।

एक महिला सिपाही वीना देवी कह रही हैं की वह एक रेप पीड़िता नाबालिग का मेडिकल करवाने आई थी लेकिन हड़ताल की वजह से बच्ची का मेडिकल नहीं हो सका और वे यूँ ही वापिस लौट रही हैं ।
अब जब डॉक्टर हड़ताल पर हों तो क्या करेंगे सिविल सर्जन साहब डॉक्टर अशोक कुमार सिंह। बेचारे खुद मरीज का इलाज करने का देखिये किस तरह से रस्म निभा रहे हैं ।
डॉक्टर को अत्याधुनिक हथियार रखने का जूनून सवार हुआ है ।ये खुद से अपनी सुरक्षा लायसेंसी हथियार के दम से करेंगे ।यानि अब मरीजों का इलाज हथियार की नोंक पर होगा।  डॉक्टर की सुरक्षा निहायत जरुरी है लेकिन हथियार के लायसेंस के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डॉक्टरों का इस तरह से चले जाना निश्चित रूप से उनके धरती के भगवान् की छवि को पूरी तरह से खत्म कर डालेगा ।
हड़ताल के तीसरे दिन सरकारी और गैर सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से निजी नर्सिंग होम से लेकर सदर अस्पताल तक में मरीज और उनके परिजन त्राहिमाम करते दिखे ।एक तरफ जहां निजी नर्सिंग होम से मरीज भागने की जुगत कर रहे हैं वहीं सदर अस्पताल में भी मरीज बेहद हलकान और परेशान हैं ।जाहिर तौर पर डॉक्टरों के इस अनिश्चितकालीन हड़ताल का खामियाजा हर तबके के लोग भुगत रहे हैं ।
सहरसा में करीब दो दर्जन बड़े नर्सिंग होम हैं लेकिन बीते तीन दिनों से सभी में ताले जड़े हुए हैं ।आलम यह है की नर्सिंग होम में पहले से भर्ती मरीज जिनका आज ऑपरेशन होने वाला था,उस मरीज को हड़ताल की वजह से पटना रेफर कर दिया गया है । 
जो मरीज बाहर से इलाज के लिए आ रहे हैं,वे बिना इलाज कराये ही वापिस हो रहे हैं ।हद तो इस बात की है की परिजन मरीज को ऑटो पर लादकर इस नर्सिंग होम से उस नर्सिंग होम का सफ़र तय कर रहे हैं लेकिन उस मरीज का कहीं भी इलाज नहीं हो रहा है ।इसके अलावे नर्सिंग होम की खाली कुर्सियां इस बात की अलग से तकसीद कर रही हैं  की हड़ताल का व्यापक असर है ।
इधर कोसी के पीएमसीएच कहे जाने वाले सदर अस्पताल की स्थिति तो और भी खराब है ।बताते चलें की कोसी इलाके में गरीबी,बेकारी, भुखमरी और बिमारी कुलाचें भरती हैं ।ऐसे में खासकर के गरीब मरीज पूरी तरह से सरकारी अस्पताल के भरोसे होते हैं ।लेकिन बेमियादी हड़ताल की वजह से सदर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष से लेकर इनडोर में भर्ती मरीज त्राहिमाम कर रहे हैं ।
आपातकालीन कक्ष से लेकर इनडोर का बेहद बुरा हाल है ।आपातकालीन कक्ष में एक महिला के पेट में पत्थर है जिसका ऑपरेशन होना बेहद जरुरी है लेकिन उसका ऑपरेशन हड़ताल की वजह से नहीं हो रहा है ।इनडोर में कल से कोई डॉक्टर मरीज को देखने नहीं गए हैं ।यानि सदर अस्पताल का मंजर बेहद जानलेवा है ।अगर किसी मरीज की जान यहाँ बच जाए तो समझिये अल्लाह मेहरबान है ।
हमने सदर अस्पताल के इस बदतर हालात को लेकर आपातकालीन कक्ष में मधेपुरा से बुलाकर तैनात किये गए डॉक्टर से खास बातचीत की ।डॉक्टर ने खुले सफे से कहा की अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुयी है ।मरीज परेशान हैं ।वे अपनी तरफ से बेहतर कोशिश कर रहे हैं लेकिन हड़ताल ने अस्पताल को पूरी तरह से बदहाल कर दिया है ।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम,डॉक्टरों से रंगदारी मांगने वाले अपराधियों की गिरफ्तारी और सभी डॉक्टरों को हथियार का लायसेंस मिले की जिद पर अड़े ये डॉक्टर बेमियादी हड़ताल पर हैं ।अब सरकार और स्थानीय प्रशासन इन डॉक्टरों को कौन सी जड़ी पिलाकर हड़ताल खत्म कराने की पहल करेगा,आगे यह देखना बेहद जरुरी है ।फिलवक्त मरीज त्राहिमाम करने के साथ--साथ धरती के भगवान् को जीभर के कोस रहे हैं ।बड़ा सवाल यह है की आने वाले दिनों में क्या ये डॉक्टर हथियार की नोंक पर मरीजों का इलाज करेंगे ।

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