नवंबर 24, 2015

डा0 भूपेंद्र देव कोसी सम्मान से सम्मानित किये गए डा० देव शंकर नवीन................

कृष्णमोहनसोनी की रिपोर्ट:-  सहरसा जिले के सत्तर कटैया प्रखंड क्षेत्र के मिडिल स्कुल बिहरा के प्रांगण में कवि सम्मेलन आयोजित किये गए. इस मौके पर एक से एक साहित्यकारों,कवियों व बुद्धिजीवियों सहित ग्रामीणो ने भाग लिया. यह सम्मेलन वर्तमान परिवेश में जहां साहित्य की महत्ता को मानव जीवन में अति आवश्यकता महशुश कराया वही साहित्य की ह्रास होने की दिशा में देश की संस्कृति व सभ्यताओं पर खतरा के साथ साथ पुरे विश्व की अस्थिरता को भी सामने लाकर लोगो के लिए एक प्रश्न भी छोड़ गया. सम्मेलन में आये साहित्यकारों व कवियों की एक से एक रचना, कवि पाठ से दर्शक भाव विभोर रहे वही अपने समाज की व राजनितिक कुरीतियाँ से भी अवगत हुए. इस सम्मेलन में  डा० भूपेंद्र देव के नाम पर स्थापित  डीबीडी फाउंडेशन बेगुसराय, नई दिल्ली सहरसा द्धारा प्रख्यात साहित्यकार भाषाविद डॉक्टर देव शंकर नवीन को प्रथम डा0 भूपेंद्र देव कोसी सम्मान से सम्मानित करते हुए प्रतीक चिंन्ह प्रशष्टि पत्र एवं 11 हजार रुपये से नवाजे गये. 
फोटो साभार www.maithilijindabaad.com
यह सम्मान डॉ देव की 25 वीं पुण्य तिथि के अवसर पर शुरू किये गए जो हर वर्ष 22 नवंबर को फाउंडेशन की ओर से दिया जाता है. इस बावत साहित्यकार मुक्तेश्वर मुकेश ने कहा की डॉ देव जी डी कॉलेज बेगुसराय में अंग्रेजी के आजीवन प्राध्यापक थे जो सहरसा जिले के बिहरा गावं निवासी थे. वे 22 नवंबर वर्ष 1990 को दुनियां से अलविदा हुए इस सम्मान समारोह कवि सम्मेलन में बेगुसराय, खगड़िया एवं सहरसा सहित अन्य जगहों से आये  प्रसिद्ध कवियों साहित्यकारों में  मुख्य अतिथि प्रदीप बिहारी साहित्य एकादमी सम्मान प्राप्त कवि राजबल्ल्भ राठौड़, दिलीप सिन्हा, महेंद्र बंधु, सुमन शेखर, कैलाश झा किंकर कि कविता  मास्टर केय मस्टरवा कहबो,बेटा पढ़तो कहियो नेय, अइतो जइतो ईस्कुल लेकिन आगू बढतो कहियो नेय श्रोताओं को खूब जमा वही मुक्तेश्वर मुकेश की एक से बढ़कर एक कविता एक क्ष्णिकाएँ हृदय को वेधति रही चकाचोंध चमक देखता हूँ,चमक की रोज खनक देखता हूँ, दिन रात उखड़ती साँसो में दर्द की गहरी झलक देखता हूँ जैसे कविता से एक साहित्य की महत्ता को यादगार छोड़ दिया.
इस मौके पर डॉ देव के भाई बलराम देव भी मौजूद थे जिनके हाथों से सम्मान प्रदान किया गया वही शायर समा मौसम और सलाउद्दीन खां सम्सी की गजलें कर्ण प्रिय मीठी आवाज में सुनकर श्रोता बाग बाग हो उठे. इस मौके पर शेखर सावंत अध्यक्ष् जनेश्वर मेहता ने अतिथियों को धन्यवाद् ञापन किया. 

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