अगस्त 21, 2015

तबाही की बारिश............


मुकेश कुमार सिंह की कलम से------यूँ तो बारिश हर साल बिहार की राजधानी पटना के साथ--साथ झारखण्ड की राजधानी रांची के नगर निगम के तमाम इंतजामों की पोल खोलकर रख देती है लेकिन आज हम आपको सहरसा का नजारा दिखा रहे हैं.एक तो पहले से ही यह जिला हर साल कोसी के कहर को झेलता है.इस जिले के कई इलाके ऐसे हैं जो हर साल बाढ़ की चपेट में आकर डूबते और तरते हैं.लेकिन इससे इतर तीन दिन की लगातार झमाझम बारिश में सहरसा जिला मुख्यालय के लगभग तमाम सड़कों से लेकर मुहल्ले तक में सिर्फ पानी ही पानी का नजारा है.चहुँदिश बाढ़ का मंजर है.सड़कों पर पानी है तो लोगों के घरों में भी पानी है.
इस शहर को बारिश ने अपनी धमक से ना केवल पानी से तर कर दिया है बल्कि शहर को नरक में तब्दील करके रख दिया है.आम जनजीवन पूरी तरह से बेहाल है.एक तरह से लोगों की जिन्दगी ठहर सी गयी है.
सहरसा की लगभग तमाम जगहें पानी से तर हैं.शहर का चप्पा--चप्पा पानी--पानी है.शहर के तमाम मुहल्ले मसलन गौतम नगर,गंगजला,बटराहा,कायस्थ टोला,हटियागाछी सहरसा बस्ती,भवानीनगर,संतनगर,न्यू कोलोनी, रिफ्यूजी कोलोनी बारिश के पानी से इसकदर लबालब हैं गोया बाढ़ का कहर हो.बानगी भर को हम आपको हटियागाछी सहरसा बस्ती, न्यू कोलोनी, गंगजला, विद्यापति नगर,कायस्थ टोला और गौतम नगर मुहल्ले का नजारा दिखा रहे हैं.लोग हलकान--परेशान हैं.बारिश में हुए इस जल-जमाव से लोगों का जीना मुहाल है.बच्चे भी हद से परेशान हैं.जिन्दगी में जैसे जंग लग गयी हो.जिन्दगी की रफ़्तार थम सी गयी है.नगर परिषद् पंगु और लाचार है.पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है जिसका नतीजा हमारे सामने है.लोगों की पीड़ा को आईये खुद उनकी जुबानी सुनते हैं.घर से लेकर बाहर तक बस पानी ही पानी है.

यह नजारा है सहरसा के डी.बी रोड स्थित मुख्य बाजार का.देखिये बारिश ने इस बाजार की क्या गत बनाकर रख दिया है.लोग परेशान--परेशान हैं.बाजार से लेकर गली--मुहल्ले तक कोई भी ऐसी जगह नहीं है जहां पानी ने अपना रौब ना दिखाया हो. दूसरी सड़क वी.आई.पी रोड है.उसकी क्या गत है उसे भी देखिये.
इस झमाझम बारिश से नगरवासी खासे परेशान और मुसीबत में हैं.इस बारिश में जिला मुख्यालय में तीन दर्जन से ज्यादा ग़रीब--गुरबों के कच्चे और खपरैल मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं.लोगों की जिन्दगी को ग्रहण लग गए हैं.क्या खाएं और कहाँ सोयें,एक बड़ी मुसीबत लोगों के सामने खड़ी है.छोटे---छोटे मासूम नौनिहालों को लेकर ये मजबूर लोग आखिर जाएँ तो जाएँ कहाँ.अली नगर में बारिश ने सबसे ज्यादा घरों को क्षतिग्रस्त किया है.
हमने इस पुरे मसले पर नगर परिषद के अधिकारी दिनेश राम से भी बात करनी चाही लेकिन जनाब जिला से बाहर होने की बात कह के अपनी जिम्मेवारी निभा दी.यूँ सहरसा का नगर परिषद किसी भी सूरत में आजतक जनहित के लिए काम करता नहीं दिखा है.  कोसी के कहर के साथ सहरसा वासी बारिश का कहर भी झेलने को मजबूर हैं.जाहिर तौर पर इस इलाके के लोगों को कुदरत के कहर के साथ--साथ सरकारी लापरवाही का जुल्म भी सहना पर रहा है.इन्हें ना जाने इस मुसीबत से कब और कैसे निजात मिलेगी.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।