अप्रैल 01, 2015

सरकार द्धारा बिल में परिवर्तन से पूंजीपतियों के हाथों किसानो की जमीन.......... विधानंद मिश्र,पार्टी अध्यक्ष (कांग्रेस)

कृष्णमोहन सोनी की रिपोर्ट:-  केंद्र में भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीति व काला बिल भूमि अधिग्रहण से किसानो पर मड़राता खतरा, मनरेगा में कटौती,खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागु नही करने के खिलाफ में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कमर कस लिया है, इस काला बिल को पास करने वाली केंद्र की भाजपा सरकार द्धारा देश के किसानो के साथ खिलवाड़ ही नही बल्कि अन्याय होने की बात कही है.
इस किसान विरोधी काला  बिल से देश के किसानों की अधिकार को छीनने के वरोध में सहरसा जिला कांग्रेस कमिटी ने पार्टी कार्यकर्ताओं साथ जिले के विभिन्न क्षेत्रों के किसानो बीच जागरूकता एवं हस्ताक्षर अभियान चलाकर किसानो को जागरूक करने में जुट गयी है. कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने भाजपा सरकार को किसान विरोधी सरकार बताया. अभियान को तेज करते हुए नेताओं ने ऐसी सरकार से बचने की  बात किसानो से कहीं इस बावत जिला कांग्रेस कमिटी, सहरसा द्धारा  प्रेस ब्यान जारी कर पार्टी अध्यक्ष विधानंद मिश्र ने कहा कि वर्ष 1894 में ब्रिटिश हुकूमत ने भूमि अधिग्रहण का कानून बनाया था  जिसमे सरकार को किसानो के खिलाफ असीमित ताकत थी. इसे पहली बार वर्ष 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अथक प्रयास से भूमि अधिग्रहण बिल संसद में पास कराया गया जिसमे यह प्रावधान किया गया कि बिना अस्सी प्रतिशत किसानो की रजामंदी के जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकेगा और मुआवजा बाजार दर का चार गुना होगा तथा शहरी क्षेत्र में दो गुना। अधिग्रहित भूमि पर काम नहीं किये जाने की स्तिथि में पांच साल के बाद वह जमीन स्वतः किसान को वापस मिल जायेगी। वर्तमान भाजपा की केंद्र सरकार ने गलत नियत और मंशा से पूंजीपतियों के हाथ किसानो की जमीन लुटवाने के निमित वर्ष 2013 के अधिग्रहण कानून में व्यापक परिवर्तन कर कांग्रेस द्धारा किसानो को दिए गए अधिकारों को छीनने की पुरजोर कोशिश कर रही है।  

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