मार्च 23, 2015

देश की आजादी में प्राणों की आहुति देने वालों को याद करना हमारी नैतिक जिम्मेवारी ----- रिजवान

कैंडल मार्च निकलते हुए संगठन के सदस्य 
कृष्णमोहन सोनी की रिपोर्ट:- ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता को समाप्त कर अपने देश वासियों को आजाद कराकर भारत कि पवित्र धरती पर खुशहाली देने वाले वीर भगत सिंह की शहादत को देशवासी कभीभुला  नही पाएंगे जब देश में अंग्रेजों द्धारा जुल्म ढाया जाता था तो देश की आजादी के लिए अपने प्राणो को न्योछावर कर भारत माता को आजाद कराने वाले ऐसे  वीर सपूतों वीर भगत सिंह, राजगुरु  सुखदेव को कोसी समाज सेवा संगठन के युवा साथी सत सत नमन करते है.  उक्त बाते संगठन के संस्थापक सह संयोजक मीर रिजवान ने कहा. उन्होंने कहा कि आज का दिन वैसे तो हम देशवासियों के लिए दुःख की घड़ी है कि हमारे देश के वीर सपूत वीर भगत सिंह और उनके कई साथियों ने शहादत दी आज के दिन ही 23 मार्च को वीर भगत सिंह ने देश की खातिर फांसी की तख्त को चूमा था. 
शहीदों को पुष्प अर्पित करते हुए मीर रिजवान 
शहादत दिवस के मौके पर कोसी समाज सेवा संगठन के बैनर तले सेकड़ो युवाओ ने शहर में केंडिल मार्च निकाल कर श्रद्धांजलि दिया. कैंडिल मार्च शहर के रिफ्यूजी क्लोनी स्थित सुभाष चन्द्र बॉस चौक से निकल कर मीर टोला , महावीर चौक , होते हुए चांदनी चौक स्थित शहीद चौक पर पहुंच कर वीर शहीदों के स्मारक पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दिया गया इस मौके पर संगठन के मीर रिजवान ने कहा कि देश कि आजादी के लिए अपने प्राणों कि आहुति देने वालो को याद करना हमारी नैतिक जिम्मेवारी है उन्होंने लोगों से सकारात्मक सोंच के साथ आपसी सद्भाव कायम करने कि अपील की शहादत दिवस के मौके पर श्रद्धांजलि देने वालों में संगठन के जिला महासचिव जावेद अनवर चाँद , मनोज , पाठक मो०आरिफ, जिला अध्यक्ष - पिंटू शर्मा,  मासूम जिया रहमानी , दीपक कुमार , मो० आफ़ताव  बबलू , अभिषेक ,राजपूत  महबूब अली केशर , शाहव उद्दीन ,संजय यादव , भूषण कुमार ,  सिंटू , अंशु , सुचेन  कुमार , बनती , अब्दुल , हैप्पी , साकिब , मो० परवेज, अजहर, सरताज, कल्लू , सज्जाद, आमिर, नौशाद समशद खान, मो० हैदर ,अब्दुल्लाह, इरफ़ान , इमरान , सफी  अहमद , आदि मुख्य रूप से भाग लिया।    

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।